जमीन पर उच्च शिक्षा : कॉलेजों में फर्श पर चल रही कक्षाएं

आयुक्तालय ने फर्नीचर खरीद का बजट दिया नहीं, नोडल कॉलेजों ने भी नहीं की व्यवस्था

जमीन पर उच्च शिक्षा : कॉलेजों में फर्श पर चल रही कक्षाएं

कहीं दरी पट्टी पर तो कहीं जमीन पर चल रही कक्षाएं ।

कोटा। हाड़ौती के नवीन राजकीय महाविद्यालयों में उच्च शिक्षा का स्तर जमीन पर पहुंच गया। सरकारी मशीनरी की लचरता व लापरवाही से 372 विद्यार्थी जमीन पर बैठकर पढ़ने को मजबूर हैं। कॉलेजों में विद्यार्थियों के बैठने के लिए टेबल कुर्सियां नहीं हैं। कहीं, दरी पट्टियों पर बिठाकर पढ़ाया जा रहा तो कहीं जमीन पर बिछाने के लिए दरी पट्टी तक नहीं है। ऐसी अव्यवस्थाओं के बीच  छात्र-छात्राओं को कई तरह की परेशानियों से जूझना पड़ रहा है। दरअसल, मुख्यमंत्री बजट घोषणा में सत्र 2024-25 में कोटा, बूंदी झालावाड़ में चार नए राजकीय कला महाविद्यालय खोले हैं। जिनमें करीब 447 विद्यार्थी अध्ययनरत हैं। जिन्हें बिठाने के लिए कॉलेज प्रशासन के पास टेबल कुर्सियां तक नहीं हैं। उन्हें कक्षाओं में जमीन पर बिठाया जाता है। 

जमीन पर बैठने को मजबूर 372 विद्यार्थी 
कोटा के चेचट, बूंदी के लाखेरी तथा झालावाड़ के डग राजकीय कला महाविद्यालय को मिलाकर कुल 372 विद्यार्थियों ने सत्र 2024-25 में बीए प्रथम वर्ष में एडमिशन लिए हैं। जिन्हें कक्षाओं में जमीन पर बिठाकर पढ़ाया जा रहा है। जबकि, कॉलेजों में टेबल-कुर्सियों की व्यवस्था करने की जिम्मेदारी आयुक्तालय द्वारा संबंधित नोडल महाविद्यालय को दी गई है। इसके बावजूद इन तीन कॉलेजों के नोडल प्राचार्यों ने अपने अधीन नवीन महाविद्यालयों के लिए टेबल-कुर्सियां खरीदने में कोई रुची नहीं दिखाई। विद्यार्थी जमीन पर बैठने में असहज महसूस कर रहे हैं लेकिन उनकी मजबूरी  समझने वाला कोई नहीं। 

लाखेरी महाविद्यालय में बिछाने को दरी पट्टियां तक नहीं
बूंदी जिले के राजकीय महाविद्यालय लाखेरी की स्थिति सबसे ज्यादा खराब है। यहां फर्नीचर तो दूर स्टूडेंट्स के बैठने के लिए दरी पट्टियां तक नहीं है। 132 छात्र-छात्राओं को जमीन पर बैठना पड़ता है। कई बार छात्राओं को लेने अभिभावक आते हैं तो बच्चों को जमीन पर बैठा देख नाराजगी जताते हैं। न तो आयुक्तालय ने फर्नीचर खरीद के लिए बजट दिया और न ही नोडल महाविद्यालय बूंदी ने विकास समिति फंड से फर्नीचर खरीदे। 

सर्दियों में गलेंगे फर्श, कैसे चलेंगी क्लासें
सरकार नए कॉलेज खोल वाहवाही लूट रही है लेकिन संसाधन नहीं दे रही। कोई सामुदायिक अस्पताल के खस्ताहाल भवन में तो स्कूलों की पुरानी बिल्डिंगों में चल रहे हैं। अक्टूबर के अंतिम सप्ताह से सर्दियां प्रारंभ हो जाएंगी। सर्दी से फर्श गलेंगे तो छात्र-छात्राएं जमीन पर कैसे बैठ पाएंगे। ऐसे में कक्षाएं प्रभावित होंगी, नियमित कक्षाएं नहीं लगने से कोर्स पूरा नहीं हो पाएगा, जिसका असर परीक्षा परिणामों में नजर आएगा। 

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स्कूलों से मांग रहे दरी पट्टियां 
डग महाविद्यालय में फर्नीचर तो दूर बिछाने के लिए दरी पट्टियां तक नहीं हैं। कॉलेज भी राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय में चल रहा है। ऐसे में कॉलेज प्रशासन को विद्यार्थियों को बिठाने के लिए स्कूल से दरी पट्टियां मांगनी पड़ रही है। नोडल प्राचार्य ओम प्रकाश के अनुसार, फर्नीचर खरीद के लिए आयुक्तालय से बजट नहीं मिला है। ऐसे में फर्श या दरी पट्टियों का इंतजाम करना पड़ रहा है।

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कॉलेज में अभी टेबल-कुर्सियों की खरीद में वक्त लगेग। क्योंकि, इसके लिए बजट की उपलब्धता व टेंडर प्रक्रिया से गुजरना होगा। अभी तो नल-बिजली की व्यवस्था कर रहे हैं। जिसकी संबंधित विभागोें में फाइल लगा रखी है। फिलहाल दरी पट्टियों पर ही बिठाकर बच्चों को पढ़ा रहे हैं।
- डॉ. पवन शर्मा, नोडल प्रभारी, राजकीय महाविद्यालय, चेचट 

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कॉलेज में फर्नीचर व्यवस्था के लिए कई बार नोडल राजकीय महाविद्यालय बूंदी को लिख चुके हैं। लेकिन,  बजट नहीं आने की बात कही जाती है। आयुक्तालय ने 34 कोएड तथा 27 गर्ल्स कॉलेज को फर्नीचर खरीद के लिए बजट मुहैया करवाया है लेकिन सूची में लाखेरी महाविद्यालय का नाम नहीं है। बच्चों को जमीन पर बिठाकर ही कक्षाएं लगा रहे हैं। 
- डॉ. दिनेश कुमार शुक्ल, नोडल प्रभारी राजकीय महाविद्यालय, लाखेरी 

राजकीय महाविद्यालय डग चौमेहला कॉलेज के अधीन है और यहां रेगुलर फैकल्टी के रूप में मैं अकेला हूं। इसलिए सभी आॅफिशियल काम मुझे ही करना है। 5 अक्टूबर तक तो विद्या संबल शिक्षकों के आवेदन निकाले हैं। क्योंकि, इससे पहले तक चौमेहला कॉलेज में सेमेस्टर परीक्षाएं सम्पन्न करवा रहे थे। टेबल कुर्सियां नहीं है। आयुक्तालय से 10 लाख का बजट मांगा है, जिसके प्रस्ताव भेज चुके हैं। सोमवार से कक्षाएं शुरू होंगी। विद्या संबल फैकल्टी भी आ चुकी है। अब दरी पट्टियों की व्यवस्था कर रहे हैं। 
- ओम प्रकाश, नोडल प्राचार्य राजकीय महाविद्यालय डग

सभी नोडल कॉलेजों के प्राचार्यो को अपने स्तर पर उनके अधीन नवीन महाविद्यालयों के लिए फर्नीचर की व्यवस्था करने के निर्देश दिए गए हैं। वहीं, लाखेरी कॉलेज में बिना दरी पट्टियों के जमीन पर विद्यार्थियों को बिठाए जाने की जानकारी नहीं है। मामले की जानकारी लेकर उचित व्यवस्था करवाएंगे। 
- प्रो. गीताराम शर्मा, क्षेत्रिय सहायक निदेशक कॉलेज आयुक्तालय कोटा

क्या कहते हैं विद्यार्थी
कस्बे में कॉलेज खुला तो बहुत खुशी हुई थी। क्योंकि, घर से मुख्यालय की दूरी करीब 70 किमी है। ऐसे में  यहां एडमिशन लिया लेकिन पहले दिन कक्षा में गए तो वहां टेबल-कुर्सियां नहीं थी, विद्यार्थी जमीन पर बैठे हुए थे। बिछाने के लिए दरी पट्टियां तक नहीं थी। ऐसे में जमीन पर बैठना असहज लगा। कम से कम सरकार को बैठने की व्यवस्था तो करनी चाहिए। 
- जोगेंद्र कुमार, छात्र राजकीय महाविद्यालय, लाखेरी 

अभी तक कॉलेज में कक्षाएं तक नहीं लगी है। लेकिन, यहां टेबल कुर्सियां नहीं है। कॉलेज स्तर के विद्यार्थियों को प्राथमिक विद्यालय के बच्चों की तरह जमीन पर ही बिठाया जाएगा। सरकार को जब संसाधन मुहैया नहीं करवाने थे तो कॉलेज भी नहीं खोलने चाहिए थे।
- सीमा कराड़िया (परिवर्तित नाम) छात्रा, राजकीय महाविद्यालय, डग 

टेबल-कुर्सियां तो छोड़िए कॉलेज में बिजली तक नहीं है। कक्षाओं में अंधेरा रहता है। पीने के पानी की व्यवस्था तक नहीं है। दरी पट्टियां बिछाकर ही क्लासों में बिठाया  जाता है। कॉलेज की बहुत बूरी स्थिति है। अव्यवस्थाओं के कारण कई विद्यार्थियों ने तो कॉलेज आना ही छोड़ दिया। पहले 70 से 80 छात्र-छात्राएं नियमित आते थे लेकिन अब यह संख्या घटकर 40 से 50 रह गई। जबकि, यहां 153 विद्यार्थियों का नामांकन है। 
- हेमंत नागर (परिवर्तित नाम) छात्र प्रथम वर्ष, राजकीय महाविद्यालय, चेचट 

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