भारतीयों के बिना नहीं चल पाएगा ट्रूडो का काम, शिक्षा से बिजनेस तक, कनाडा के लिए रीढ़ की हड्डी हैं इंडियन

दोनों पक्षों के शीर्ष प्रतिनिधियों को बाहर कर दिया गया है

भारतीयों के बिना नहीं चल पाएगा ट्रूडो का काम, शिक्षा से बिजनेस तक, कनाडा के लिए रीढ़ की हड्डी हैं इंडियन

इस विवाद ने कनाडा में रहने वाले भारतीयों की तरफ भी ध्यान खींचा है। कनाडा में भारतीय शिक्षा से लेकर श्रम और व्यवसाय तक एक बड़ी भूमिका निभाते हैं।

ओटावा। भारत और कनाडा के बीच तनाव एक बार फिर से काफी ज्यादा बढ़ गया है। इसकी वजह कनाडाई प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो का बयान है, जिसमें उन्होंने कहा है कि उनके पास इस बात के पुख्ता सबूत हैं कि भारतीय सरकार के एजेंट कनाडा में सार्वजनिक सुरक्षा को खतरा पहुंचाने में शामिल रहे हैं। ट्रूडो के बयान पर भारत सरकार ने कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए इसे खारिज कर दिया। इतना ही राजनयिक निष्कासन भी हुए हैं और दोनों पक्षों के शीर्ष प्रतिनिधियों को बाहर कर दिया गया है। एक रिपोर्ट के मुताबिक जस्टिन ट्रूडो ने एक कार्यक्रम में कहा कि मुझे लगता है कि भारत सरकार ने यह सोचकर बुनियादी गलती की कि वे कनाडा की धरती पर कनाडाई लोगों के खिलाफ आपराधिक गतिविधि में शामिल हो सकते हैं। चाहे वह हत्या हो, जबरन वसूली या दूसरे किस्म की हिंसा। हमने साफ किया है कि यह सभी बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। ट्रूडो के इस बयान से विवाद बढ़ा है और इस विवाद ने कनाडा में रहने वाले भारतीयों की तरफ भी ध्यान खींचा है। कनाडा में भारतीय शिक्षा से लेकर श्रम और व्यवसाय तक एक बड़ी भूमिका निभाते हैं।

कनाडा है भारतीयों का पसंदीदा विकल्प

भारतीयों को कनाडा बीते कुछ दशक में काफी पसंद आया है। भारतीयों के लिए कनाडा विदेश जाने के लिए शीर्ष विकल्प बना हुआ है। एक हालिया रिपोर्ट से पता चला है कि 2013 के बाद से कनाडा में प्रवास करने वाले भारतीयों की संख्या चार गुना से भी ज्यादा हुई है। भारतीय छात्र भी दूसरे देशों की तुलना में कनाडाई विश्वविद्यालयों को चुनते हैं। नेशनल फाउंडेशन फॉर अमेरिकन पॉलिसी ने इस साल की शुरूआत में बताया है कि 2013 और 2023 के बीच, कनाडा जाने वाले भारतीयों की संख्या 32,828 से बढ़कर 1,39,715 हो गई, जो 326 प्रतिशत की वृद्धि है। वहीं पिछले दो दशक में कनाडाई विश्वविद्यालयों में दाखिला लेने वाले भारतीयों की संख्या में 5,800 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। 2022 में कनाडा में करीब 8,00,000 अंतरराष्ट्रीय छात्रों में से 40 प्रतिशत भारत के थे।

कनाडा की अर्थव्यवस्था में भारतीयों का योगदान
कनाडा में भारतीयों की इतनी बड़ी संख्या है तो जाहिर है कि वे कनाडा की अर्थव्यवस्था में भी बड़ा रोल निभाते हैं। विदेशी छात्र कनाडा की अर्थव्यवस्था में प्रति वर्ष करीब 22.3 अरब डॉलर का योगदान करते हैं। इसका एक बड़ा हिस्सा भारतीय छात्रों से आता है, क्योंकि वे कनाडाई विश्वविद्यालयों में सबसे बड़ी तादाद में हैं। ये भी जानना जरूरी है कि विदेशी छात्र निजी कॉलेजों में कनाडाई छात्रों की तुलना में तीन से पांच गुना अधिक भुगतान करते हैं। कनाडा में अंतर्राष्ट्रीय छात्र सालाना औसतन 14,306 डॉलर (8 लाख रुपए) ट्यूशन फीस देते हैं, जबकि कनाडाई छात्रों 3,228 डॉलर (लगभग 2 लाख रुपए) फीस ही देते हैं। साफ है कि भारतीय छात्र कनाडा के कॉलेजों को बड़ी रकम दे रहे हैं, जो दरअसल उनके छात्रों के लिए मददगार बनती है। कनाडा के पूर्व आॅडिटर-जनरल बोनी लिसिक कह चुके हैं कि कनाडाई कॉलेजों की अर्थव्यवस्था अंतरराष्ट्रीय छात्रों के फंड के भरोसे है।

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