मदर्स डे स्पेशल- मां ने गरीब बच्चों को शिक्षा का दिया उजियारा
पुस्तकों को पढ़ने की परिपाटी गांव में विकसित की
करवर की रहने वाली 48 साल की मंजू माली की है। जिन्होंने गांव के गरीब और शिक्षा से वंचित बालक बालिकाओं को निशुल्क पढ़ाती थी। इसके बाद में मंजू माली महात्मा गांधी पुस्तकालय खोला। इसके माध्यम से गांव के महिला, पुरुषों से जुड़ी तथा शिक्षा का उजियारा फैलाया।
करवर। ये कहानी करवर की रहने वाली 48 साल की मंजू माली की है। जिन्होंने गांव के गरीब और शिक्षा से वंचित बालक बालिकाओं को निशुल्क पढ़ाती थी। इसके बाद में मंजू माली महात्मा गांधी पुस्तकालय खोला। इसके माध्यम से गांव के महिला, पुरुषों से जुड़ी तथा शिक्षा का उजियारा फैलाया। मंजू ने अपने पति महावीर सैनी के सहयोग से दोनों बेटो को बेहतर तालिम दी। जिसकी बदौलत बड़ा बेटा दिवाकर उदयपुर में सिविल इंजीनियर है और छोटा बेटा मृदूल पुणे में सॉफ्टवेयर इंजीनियर है।
मंजू ने 25 साल पूर्व पूर्व जरुरतमंद बच्चों को नि:शुल्क पढ़ाना शुरु किया था। इसके बाद जन चेतना केंद्र के माध्यम से पुस्तकालय में उपलब्ध पुस्तकों को पढ़ने की एक अच्छी परिपाटी गांव में विकसित की। साक्षरता के क्षेत्र में ग्राम ,तहसील ,जिला स्तर पर कई बार पुरस्कृत हुई। सन 2003 में तत्कालीन राज्यपाल महामहिम निर्मल कुमार जैन द्वारा अक्षर मित्र पुरस्कार से सम्मानित की गई। अभी हाल ही में उदयपुर निवासी कौशल्या कुमावत के पुत्री की शादी के लिए सोशल मीडिया का सहारा लेकर उसकी शादी में प्रेरणा स्रोत साबित हुई और नारायण सेवा संस्थान उदयपुर जैसी संस्था से जुड़ कर इन सभी सेवा कार्यों के साथ-साथ अपने परिवार और बच्चों का पालन पोषण बखूबी किया। मंजू के पति महावीर सैनी अध्यापक है।
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