जानें राज-काज में क्या है खास
कुछ बदले-बदले नजर आ रहे हैं
कुर्सी के सपने देखने वाले भगवा रंग के कुर्ते धारण कर कई देवरे ढोक आए।
बदला कुर्तों का रंग
सूबे में इन दिनों कुछ नेताओं के अचानक कुर्तों का रंग बदलने को लेकर काफी कानाफूसी हो रही है। सरदार पटेल मार्ग स्थित बंगला नंबर 51 में बने भगवा के ठिकाने पर भगवाधारी रंग के कुर्ते पहन कर आने वालों की संख्या में हुए इजाफे को लेकर हार्डकोर वर्कर भी चटकारे लेने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे। राज का काज करने वालों में चर्चा है कि संभावित कैबिनेट रिसफलिंग की खुसरफुसर का इन नेताओं पर असर कुछ ज्यादा ही हो रहा है। कुर्सी के सपने देखने वाले भगवा रंग के कुर्ते धारण कर कई देवरे ढोक आए। और तो और बड़े साधु-संतों तक की सेवा पूजा करने लगे हैं। अब इन भाई लोगों को कौन समझाए कि सियार के उतावलेपन से बेर नहीं पकते।
नहीं मिल रहा तोड़
हाथ वाले कुछ भाई लोग अंदरखाने काफी परेशान हैं। न वो ठीक से सो पा रहे हैं और न ठीक से खा पा रहे हैं। उनकी रातों की नींद और दिन का चैन गायब है। इंदिरा गांधी भवन में बने हाथ वालों के ठिकाने पर भी उनकी चर्चा हुए बिना नहीं रहती। अब देखो न, भाई लोगों ने आलाकमान के कान भरकर जोधपुर वाले भाई साहब को दूर करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। सूबे में हार का ठीकरा भी भाई साहब के सिर पर फोड़ने के लिए दिल्ली दरबार में कई बार माथा भी टेका। लेकिन वर्कर हैं कि भाई साहब को भूल ही नहीं पा रहे, कोई दूसरा नेता उनके गले ही नहीं उतर रहा। अब देखो न सूबे की उप चुनावी जंग में हार के बाद कुछ नेताओं ने भी भाई साहब से किनारा कर लिया, लेकिन पिछले दिनों भाई-बहिन के पिंकसिटी के पगफेरे के दिन वर्कर्स ने जो किया, उससे कई नेताओं की नींद उड़ी हुई है। अब वो भाई का तोड़ निकालने के लिए पसीने बहा रहे हैं, लेकिन बेचारों की पार ही नहीं पड़ रही। भाई साहब ने भी मंच के बजाय नीचे बैठकर नाराजगी जताने में कतई कंजूसी नहीं की।
बदले बदले से साहब
आजकल शेखावाटी से ताल्लुक रखने वाले साहब का मूड पता नहीं कब खराब हो जाए। कुछ बदले-बदले नजर आ रहे हैं। उनके बदले स्वभाव से उनके नजदीकी लोग भी चिंतित हैं। राज का काज करने वाले भी खुसर फुसर कर रहे हैं। कई सालों से साथ निभा रहे साथी भी सोच में डूबे हैं। कुछेक ने तो इधर उधर से सूंघ कर कारणों का भी पता लगा लिया। उनसे हर किसी का मूड खराब होना लाजमी है। राज में चार नंबर की कुर्सी पर बैठे भाई साहब के खास काम नहीं हो रहे। वो फाइल पर कुछ लिखकर भेजते हैं, तो सीएमओ में अटक जाती है। और तो और खुद के गढ़ में राज का काज करने वाले भी परवाह नहीं कर अपने हिसाब से फैसले कर रहे हैं। सब कुछ ऊपर ही ऊपर हो रहा है।
एक जुमला यह भी
इन दिनों सूबे में एक जुमला जोरों पर है। जुमला भी छोटा मोटा नहीं बल्कि नेशनल लेवल की पॉलिटिक्स को लेकर है। इसकी चर्चा से भगवा और हाथ वालों के ठिकाने भी अछूते नहीं है। जुमला है कि पीसीसी के मुखिया की ओर से इन दिनों मोदी और शाह की जोड़ी पर चलाए जा रहे शब्द बाणों के मायने चाहे कुछ भी निकालें, लेकिन उन्होंने महाराष्ट्र वाले शरदजी और वेस्ट बंगाल वाली ममता जी को रेस में कई मील पीछे छोड़ दिया। तभी तो पीएमओ में उनकी हर खबर पर विशेष टिप्पणी होने के साथ नमोजी को भी बचाव में बोलना पड़ता है।
(ये लेखक के अपने विचार हैं)
-एलएल शर्मा
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