राजनीति के अजात शत्रु अटल के विचार आज भी अटल हैं
भारतीय राजनीति में स्वच्छता व स्पष्टता का अभियान उन्होंने ही शुरू किया
वो अकसर कहा करते थे कि- मैं यहां वादे नहीं इरादे लेकर आया हूं, इसलिए मैं वहीं कहूंगा और करूंगा, जो भारत के लिए जरूरी है और उन्होंने जीवन भर यही किया।
भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी भारतीय राजनीति के क्षितिज पर एक ऐसे पुरोधा माने जाते हैं, जो आम जनता में बहुत लोकप्रिय और अजात शत्रु यानि उनका कोई भी दुश्मन नहीं था और विपक्ष भी उनका हमेशा सम्मान करता था, वे जितने अच्छे राजनेता थे, उतने ही उत्कृष्ट कवि, लेखक और विचारक भी थे। अपने लंबे राजनीतिक करियर में उन्होंने 3 बार प्रधानमंत्री के रूप में अपने राजधर्म को निभाते हुए भारतमाता की अथक व सतत सेवा की। भारतीय राजनीति में स्वच्छता व स्पष्टता का अभियान उन्होंने ही शुरू किया। मोरारजी देसाई की सरकार में विदेश मंत्री रहते हुए उन्होंने संयुक्त राष्ट्र संघ में पहली बार हिंदी में भाषण देकर निज भाषा ही सबसे बड़ी आशा है का प्रबल संदेश दिया। मजबूत इच्छा शक्ति की बदौलत उन्होंने प्रधानमंत्री रहते पोकरण में परमाणु परीक्षण करने की हिम्मत दिखा कर, समग्र विश्व के समक्ष यह सिद्ध किया कि - अटल राष्ट्रहित के हर अक्ष व पक्ष पर हमेशा ही अटल रहेगा। देश का हर युवा, बच्चा उन्हें अपना आदर्श मानता है। अटल बिहारी वाजपेयी ने ‘‘राष्ट्र-सेवा सर्वोपरि भावना’’ से आजीवन अविवाहित रहने का निर्णय लिया जिसका उन्होंने अपने अंतिम समय तक निर्वहन किया। बेशक अटल बिहारी वाजपेयी कुंवारे थे, लेकिन देश का हर युवा उनकी संतान की तरह ही था। देश के करोड़ों बच्चे व युवाओं को वो अपना वंश मानते थे। अटल बिहारी वाजपेयी का बच्चों और युवाओं के प्रति खास लगाव था। इसी लगाव के कारण वाजपेयी बच्चों और युवाओं के दिल में खास जगह बनाते थे। भारत की राजनीति में मूल्यों और आदर्शों को स्थापित करने वाले राजनेता और प्रधानमंत्री के रूप में उनका काम व नाम बहुत ही शानदार रहा। उनके कार्यों की बदौलत ही उन्हें भारत के ढांचागत विकास का दूरदृष्टा कहा जाता है।
सबके चहेते और विरोधियों का भी दिल जीत लेने वाले बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी वाजपेयी का सार्वजनिक जीवन बहुत ही बेदाग और साफ-सुथरा था। इसी बेदाग छवि और साफ-सुथरे सार्वजनिक जीवन की वजह से देश क्या, विदेश का जर्रा-जर्रा उनका सम्मान करता है, और तो और उनके विरोधी भी उनके प्रशंसक आज भी है, उनका नाम नाज से लेते हैं। वाजपेयी के लिए राष्ट्रहित सदा सर्वोपरि रहा, तभी उन्हें युगदृष्टा व राष्टÑपुरूष कहा जाता है। अटल बिहारी वाजपेयी की बातें और विचार सदैव तर्कपूर्ण होते थे और उनके विचारों में जवान और ताजा सोच झलकती थी और यही झलक उन्हें युवाओं में लोकप्रिय बनाती थी। वाजपेयी जब भी संसद में अपनी बात रखते थे, तब विपक्ष भी उनकी तर्कपूर्ण वाणी के आगे कुछ नहीं बोल पाता था। अपनी कविताओं के जरिए अटलजी हमेशा सामाजिक बुराइयों पर प्रहार करते रहे। उनकी कविताएं उनके प्रशंसकों को हमेशा सही रास्ते पर चलने के लिए प्रेरित करती रहेंगी। अटल ही भारतीय जनता पार्टी की रीढ़ की हड्डी के समान थे। जनसंघ के समय से लेकर आज तक उनके योगदान को शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता। भाजपा आज जिस ऊंचाई पर है, वह अटल के अटल निश्चयों की ही देन है। उनके जग जाहिर निश्चयों की सूची में एक निश्चय यह भी था कि ‘‘आज हम दो है तो क्या? आने वाली पीढ़ियां देखेगी राष्ट्र वंदन के लिए भविष्य में हम कई सौ होंगे’’ और उनके इस अटल निश्चय को आज की पीढ़ियां यशस्वी प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के समावेशी नेतृत्व में फलीभूत होती देख रही है।
हार नहीं मानूँगा, रार नहीं ठानूँगा
केवल एक कविता के अंश नहीं हैं, यह जीवन के लिए एक कालातीत मंत्र है, जो हमें मजबूती से खड़े होने, संघर्ष करने और नए जोश के साथ अपनी यात्रा जारी रखने का आग्रह करती है। वाजपेयी के शब्द हमें याद दिलाते हैं कि बाधाएं अस्थायी होती हैं और दृढ़ संकल्प के साथ हम किसी भी बाधा को पार कर सकते हैं। उनके बोल व विचारों का कोई तौल नहीं होता था वह अतुल्य होते थे। वाजपेयी की इस कÞाबलियत से प्रभावित होकर पूर्व लोकसभा अध्यक्ष अनंतशयनम अयंगर ने कहा था कि लोकसभा में अंग्रेजी में हिरेन मुखर्जी और हिंदी में अटल बिहारी वाजपेयी से अच्छा कोई वक्ता नहीं है। जब अटल को अपनी प्रशंसा की यह बात पता चली तो उन्होंने मुस्कुराते हुए सिर्फ इतना कहा - तो वे फिर बोलने क्यों नहीं देते। अलग विचारधारा के होने के बावजूद जब वाजपेयी संसद में कोई मुद्दा उठाते थे तो समस्त सत्ताधारी उन्हें बहुत ध्यान से सुनते थे। हालांकि उस समय अटल बिहारी वाजपेयी का राजनीतिक कद बहुत छोटा हुआ करता था लेकिन नेहरू को तो भविष्य में भारतीय राजनीति की बागडोर वाजपेयी के हाथों में जाने की संभावना दिख गई थी। उनके बोल व वचन न केवल उनकी राजनीतिक दृष्टि और नेतृत्व की क्षमता को दर्शाते हैं, बल्कि वे भारतीय समाज की विविधता और उसकी उम्मीदों को भी उजागर करते हैं। अटल बिहारी वाजपेयी के विचार अक्सर उम्मीद, धैर्य और सच्चाई की ओर इशारा करते हैं और उन्होंने अपने शब्दों के माध्यम से हमेशा भारतीय जनमानस को संघर्ष, समर्पण और महानता की ओर प्रेरित किया है। उनके विचार आज भी लोगों के लिए मार्गदर्शक का काम करते हैं, एक प्रबल विचार के तौर पर उनका मानना था कि - राष्ट्र कुछ संप्रदायों तथा जनसमूहों का समुच्चय मात्र नहीं हैं, अपितु एक जीवित इकाई है। वो अकसर कहा करते थे कि- मैं यहां वादे नहीं इरादे लेकर आया हूं, इसलिए मैं वहीं कहूंगा और करूंगा, जो भारत के लिए जरूरी है और उन्होंने जीवन भर यही किया।
- वासुदेव देवनानी
अध्यक्ष, राजस्थान विधानसभा
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