छह दिन की चांदनी फिर दो महीने अंधेरी रात

अगले महीने सेमेस्टर परीक्षा, कोर्स अधूरे

छह दिन की चांदनी फिर दो महीने अंधेरी रात

हाड़ौती के आठ कॉलेजों में एक दर्जन विषयों की नहीं लगती कक्षाएं।

कोटा। हाड़ौती के आठ राजकीय महाविद्यालय शिक्षकों की कमी से जूझ रहे हैं। सेमेस्टर परीक्षाएं दिसम्बर माह में होनी हैं लेकिन एक दर्जन से अधिक विषयों की कक्षाएं नियमित नहीं लग रही। महत्वपूर्ण विषयों के 60 प्रतिशत से अधिक कोर्स अधूरे हैं, जिनका परीक्षा से पहले पूरे होने की उम्मीद नहीं है। ऐसे में विद्यार्थी रिजल्ट बिगड़ने के डर से तनाव से जूझ रह हैं। दरअसल, इन कॉलेजों में विषय विशेषज्ञ नहीं होने से अंगे्रजी से ज्योग्राफी तक एक दर्जन विषयों की कक्षाएं नहीं लग पाती। ऐसे में यहां 6-6 दिन के लिए कोटा गवर्नमेंट कॉलेज (रे-सेंटर) से फैकल्टी आती है, तब इन विषयों की कक्षाएं लग पाती है लेकिन 6 दिन बाद वापस कक्षाएं अगला राउंड आने तक खाली रहती हैं। 

65% से ज्यादा कोर्स अधूरा
नाम न छापने की शर्त पर सहायक आचार्य ने बताया कि कोटा जिले के इटावा, सांगोद व रामगंजमंडी में कॉलेज में अंग्रेजी, ज्योग्राफी, भूगोल विषय के शिक्षक नहीं है। जिसकी वजह से कक्षाएं खाली रहती हैं। ऐसे में इन विषयों को पढ़ाने के लिए रे-सेंटर कोटा से वैकल्पिक तौर पर 6 दिन के लिए शिक्षक भेजे जाते हैं। वर्तमान में 30 से 35 प्रतिशत कोर्स ही पूरा हो पाया है और 65% कोर्स अधूरा है। जबकि, अगले महीने दिसम्बर तक सेमेस्टर एग्जाम होने हैं। ऐसे में परीक्षा से पहले कोर्स पूरा होना संभव प्रतित नहीं होता। 

क्या है रे-सेंटर
आयुक्तालय ने वर्ष 2019 में रिसोर्स असिस्टेंट एंड कॉलेज विद एक्सीलेंस (रे-सेंटर) का गठन किया था। यह सेंटर  प्रदेशभर में जिले वाइज बनाया गया। कोटा में गवर्नमेंट साइंस कॉलेज रे-सेंटर का नोडल प्रभारी है। इस सेंटर से जिले के सभी सरकारी कॉलेज  जुड़े हुए हैं। सेंटर का मुख्य उद्देश्य महाविद्यालयों को साधन-संसाधन उपलब्ध करवाकर सहायता करना है। ऐसे में जहां फैकल्टी की कमी है, वहां रे-सेंटर की मदद से 6-6 दिन शिक्षक भेज शिक्षण कार्य करवाया जाता है। 

यहां इन विषयों की नहीं लगती कक्षाएं
इटावा में राजनेतिक विज्ञान, हिन्दी, संस्कृत, सांगोद में राजनेतिक विज्ञान,  भूगोल, राजगंजमंडी में इंग्लिश, अटरू में ज्योग्राफी, अंग्रेजी, बारां गवर्नमेंट कॉलेज में इतिहास, केलवाड़ा में इंग्लिश, शाहबाद में अर्थशास्त्र सहित अन्य विषयों के शिक्षक प्रतिनियुक्ति पर अन्य जिलों में चले गए। जिसकी वजह से यहां शिक्षकों के पद खाली होने से कक्षाएं नहीं लग पाती।

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जिन महाविद्यालयों में शिक्षकों के पद रिक्त हैं, वहां शैक्षणिक व्यवस्था के लिए  प्रत्येक जिले में रे-सेंटर बनाए हुए हैं। जहां से डिमांड के अनुसार संबंधित कॉलेजों को 6-6 दिन के लिए शिक्षक उपलब्ध करवाते हैं। आरपीएससी के माध्यम से सरकार जल्द ही कॉलेजों में शिक्षक लगाएगी। उच्च शिक्षा के प्रति सरकार गंभीर है। 
- डॉ. गीताराम शर्मा, क्षेत्रिय सहायक निदेशक, कॉलेज 

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6-6 दिन के लिए फैकल्टी मिलना, समस्या का स्थाई समाधान नहीं है। परमानेंट शिक्षक मिलने चाहिए या फिर प्रतिनियुक्ति पर गए शिक्षकों की जगह विद्या संबल पर शिक्षक लगाने का प्रावधान किया जाना चाहिए। फैकल्टी के अभाव में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
- अनिता वर्मा, प्राचार्य राजकीय सांगोद कॉलेज

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यहां शुरू से ही अंगे्रजी के शिक्षक नहीं है। बारां कॉलेज रे-सेंटर नोडल है, जिन्हें पत्र भी लिखे लेकिन वहां भी शिक्षकों की कमी के कारण फैकल्टी नहीं मिल पाती। ऐसे में विद्यार्थियों को सेल्फ स्टडी करनी पड़ती है।  
- बुद्धिप्रकाश मीणा, प्राचार्य राजकीय अटरू कॉलेज

राजकीय महाविद्यालय इटावा में राजनेतिक विज्ञान, हिन्दी, संस्कृत विषय की कक्षाएं नहीं लग पाती। कोटा रे-सेंटर से 6-6 दिन के लिए शिक्षक आते हैं तब ही कक्षाएं लगती हैं। एक साल में 3 बार ही रे सेंटर से फैकल्टी मिल पाती है। ऐसे में इन विषयों की साल में मात्र 20 दिन ही क्लासें लग पाती है। ऐसे में कोर्स पूरा हो ही नहीं पाता। वहीं, बार-बार फैकल्टी न मांगनी पड़े, इसके लिए रे-सेंटर को नियमित शेड्यूल बनाना चाहिए। 
- रामदेव मीणा, प्राचार्य राजकीय इटावा कॉलेज

पिछले साल भी राजनेतिक विज्ञान की परीक्षा बिना पढ़े देनी पड़ी थी। यही स्थिति इस बार द्वितीय वर्ष में भी बनी हुई है। 15 से 20 किमी दूर से कॉलेज आते हैं लेकिन यहां पॉलिटीकल साइंस व ज्योग्राफी की कक्षाएं ही नहीं लगती।  दिसम्बर में पेपर होने वाले हैं, परीक्षा की तैयारी कैसे करें।
- हिमांशु नागर द्वितीय वर्ष, सांगोद

कॉलेज में ज्योग्राफी के शिक्षक नहीं होने से क्लासें नहीं लगती। ऐसे में कॉलेज जाने की जगह कोचिंग जाना मजबूरी हो गई। परीक्षा सिर पर है, पेपर पैटर्न क्या रहेगा, यह बताने वाले भी नहीं है। कोर्स पूरा करने के लिए कोचिंग का सहारा लेना पड़ रहा है।
- अंजली रेगर, छात्रा सांगोद 

कोटा से 6 दिन के लिए शिक्षक आए तो ज्योग्राफी के प्रेक्टिकल हो सके। सिलेबस पूरा होना तो दूर विद्यार्थियों के लिए परीक्षा में पास होना ही चुनौती बनी हुई है। सरकार को विद्यार्थियों के हित में रिक्त सीटों पर विद्या संबल शिक्षक लगाना चाहिए। 
- खुशी मीणा, छात्रा तृतीय वर्ष

ग्रामीण इलाकों के कॉलेजों में शिक्षकों की कमी लंबे समय से चली आ रही है। आयुक्तालय की लापरवाही का खामियाजा पिछले साल बीए के परिणाम में बड़ी संख्या में विद्यार्थियों को भुगतना पड़ा। कई विद्यार्थियों के सप्लीमेंट्री आई तो कुछ फेल हो गए। 
- आशीष गोचर, अध्यक्ष, ग्रामीण छात्र संगठन सांगोद

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