मलबे के टुकड़ों के कारण अंतरिक्ष में लग सकता है ट्रैफिक जाम

ऑर्बिट के इस्तेमाल को मुश्किल बना सकती है

मलबे के टुकड़ों के कारण अंतरिक्ष में लग सकता है ट्रैफिक जाम

तत्काल कार्रवाई की आवश्यकता पर बल देते हुए इसके लिए एक अंतरराष्ट्रीय ढांचा बनाने का आह्वान किया है।

वॉशिंगटन। अंतरिक्ष विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि बढ़ते उपग्रहों और अंतरिक्ष कबाड़ के कारण पृथ्वी के लॉ अर्थ ऑर्बिट में जाम लग सकता है। ऐसे में यह ऑर्बिट के इस्तेमाल को मुश्किल बना सकती है। संयुक्त राष्ट्र के एक पैनल ने अंतरिक्ष यातायात समन्वय पर कहा है कि अगर कंपनियां और देश मिलकर काम नहीं करेंगे और अंतरिक्ष के इस सबसे सुलभ क्षेत्र के प्रबंधन के लिए जरूरी जानकारी साझा नहीं करेंगे, तो यह समस्या और गंभीर हो जाएगी। उन्होंने तत्काल कार्रवाई की आवश्यकता पर बल देते हुए इसके लिए एक अंतरराष्ट्रीय ढांचा बनाने का आह्वान किया है।

एक रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिका स्थित स्लिंगशॉट एयरोस्पेस ने बताया है कि 14 हजार से ज्यादा सैटेलाइट हैं, जिनमें 3,500 निष्क्रिय हैं। इनके साथ-साथ लॉन्च, टकराव और टूट-फूट से करीब 12 करोड़ मलबे के टुकड़े भी जमा हो गए हैं। इनमें से कुछ हजार ही इतने बड़े हैं कि उन पर नजर रखी जा सके। बाकी सभी बहुत छोटे टुकड़े हैं।

लागत और निकटता के बीच संतुलन 
पृथ्वी का वह क्षेत्र है, जो मानव निर्मित वस्तुओं से सबसे अधिक भरा हुआ है। यह लागत और निकटता के बीच संतुलन प्रदान करता है। यह तेजी से बढ़ते वाणिज्यिक अंतरिक्ष क्षेत्र के लिए इसे एक प्रमुख लक्ष्य बनाता है। स्लिंगशॉट के आंकड़ों से पता चला है कि पिछले एक साल में प्रति उपग्रह नजदीकी दृष्टिकोण में 17 फीसदी की वृद्धि हुई है। अनुमान बताते हैं कि आने वाले वर्षों में हजारों और उपग्रह प्रवेश करेंगे। इस जोखिम के और बढ़ने का अंदेशा है।

अब देरी नहीं करनी चाहिए
संयुक्त राष्ट्र की अंतरिक्ष मामलों के कार्यालय की निदेशक आरती होला मैनी का कहना है कि अंतरिक्ष यातायात समन्वय में देरी करने का समय नहीं है। अंतरिक्ष में इतनी सारी वस्तुएं भेजी जा रही हैं कि हमें अंतरिक्ष सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए हर संभव प्रयास करना होगा। इसका मतलब है कि टकराव से बचने के लिए ऑपरेटरों के बीच सूचना साझा करना जरूरी है। मैनी ने कहा कि पृथ्वी को सुरक्षित रखना जरूरी है, ताकि वैश्विक संचार, नेविगेशन और वैज्ञानिक अन्वेषण के पीछे की तकनीक में महंगे व्यवधान को रोका जा सके। अभी तक कोई केंद्रीकृत प्रणाली नहीं है, जिसका सभी अंतरिक्ष यात्री राष्ट्र लाभ उठा सकें। उन्हें ऐसी प्रणाली का उपयोग करने के लिए भी कई बाधाएं हैं। कुछ देश डेटा साझा करने को तैयार हैं, जबकि अन्य सुरक्षा से समझौता करने से डरते हैं।

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