टॉयकैथॉन-2021: PM मोदी बोले- भारत के चिंतन और मानव कल्याण की अवधारणा वाले गेम बनाएं युवा

टॉयकैथॉन-2021: PM मोदी बोले- भारत के चिंतन और मानव कल्याण की अवधारणा वाले गेम बनाएं युवा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए टॉयकैथॉन-2021 के प्रतिभागियों से बात की। इस दौरान प्रतिभागियों ने प्रधानमंत्री को अपने-अपने गेम्स के बारे में जानकारी दी। प्रधानमंत्री ने भी उनको गेम को और बेहतर करने के लिए सुझाव दिए।

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि मौजूदा समय में उपलब्ध ज्यादातर ऑनलाइन या डिजिटल गेम की अवधारणा भारतीय सोच से मेल नहीं खाती, इसलिए ऐसी वैकल्पिक अवधारणा को बढ़ावा देने की जरूरत है, जिसमें भारत का मूल चिंतन हो और यह मानव कल्याण से जुड़ी हो। मोदी ने गुरुवार को वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से टॉयकैथॉन के प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए कहा कि ऑनलाइन गेमिंग में देश की संभावनाएं और सामर्थ्य तेजी से बढ़ रहा है, लेकिन जितने भी ऑनलाइन या डिजिटल गेम्स उपलब्ध हैं उनमें से अधिकतर का कॉन्सेप्ट भारतीय नहीं है, हमारी सोच से मेल नहीं खाता है। आप भी जानते हैं कि इसमें अनेक गेम्स के कॉन्सेप्ट या तो हिंसा को प्रमोट करते हैं या फिर मानसिक दबाव का कारण बनते हैं। उन्होंने कहा कि हमारा दायित्व है कि ऐसे वैकल्पिक कॉन्सेप्ट डिजायन हों, जिसमें भारत का मूल चिंतन जो सम्पूर्ण मानव कल्याण से जुड़ा हुआ हो वो हो, तकनीकि रूप में सुपीरियर हो, फन भी हो, फिटनेस भी हो, दोनों को बढ़ावा मिलता रहे। और मैं अभी ये स्पष्ट देख रहा हूं कि डिजिटल गेमिंग के लिए जरूरी सामग्री और प्रतिस्पर्धा हमारे यहां भरपूर है। हम 'टॉयकैथॉन' में भी भारत की इस ताकत को साफ देख सकते हैं। इसमें भी जो आइडिया सलेक्ट हुए हैं, उनमें मैथ्स और कैमिस्ट्री को आसान बनाने वाले कॉन्सेप्ट हैं और साथ ही मूल्य आधारित समाज को मजबूत करने वाले विचार भी हैं।

मोदी ने कहा कि बीते 5-6 वर्षों में हैकाथॉन को देश की समस्याओं के समाधान का एक बड़ा प्लेटफॉर्म बनाया गया है। इसके पीछे की सोच है कि देश के सामर्थ्य को संगठित करना उसे एक माध्यम देना। उन्होंने कहा कि कोशिश ये है कि देश की चुनौतियों और समाधान से हमारे नौजवान का सीधा कनेक्ट हो। जब ये कनेक्ट मजबूत होता है तो हमारी युवा शक्ति की प्रतिभा भी सामने आती है और देश को बेहतर समाधान भी मिलते हैं। देश के पहले 'टॉयकैथॉन' का मकसद भी यही है। उन्होंने कहा कि खिलौने और गेम हमारी मानसिक शक्ति, हमारी क्रिएटिविटी और हमारी अर्थव्यवस्था पर ऐसे अनेक पहलुओं को प्रभावित करते हैं। हम सब जानते हैं कि बच्चे की पहली पाठशाला अगर परिवार होता है, तो पहली किताब और पहला दोस्त ये खिलौने ही होते हैं। समाज के साथ बच्चे का पहला संवाद खिलौनों के माध्यम से होता है। आपने देखा होगा बच्चे खिलौनों से बातें करते रहते हैं, उनको निर्देश देते हैं, उनसे कुछ काम करवाते हैं। क्योंकि उसी से उसके सामाजिक जीवन की एक प्रकार से शुरुआत होती है। इसी तरह ये धीरे-धीरे उसकी स्कूल लाइफ का भी एक अहम हिस्सा बन जाते हैं, सीखने और सिखाने का माध्यम बन जाते हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा कि इसके अलावा खिलौनों से जुड़ा एक और बहुत बड़ा पक्ष यह है कि खिलौने और गेम की दुनिया की अर्थव्यवस्था करीब करीब 100 अरब डॉलर की है। जिसमें भारत की हिस्सेदारी सिर्फ डेढ़ अरब डॉलर के आसपास ही है। उन्होंने कहा कि देश अपनी जरूरत के लगभग 80 प्रतिशत खिलौने विदेशों से आयात करता है यानि इन पर देश का करोड़ों रुपए बाहर जा रहा है। इस स्थिति को बदलना बहुत जरूरी है। ये सिर्फ आंकड़ों की ही बात नहीं है, बल्कि ये सेक्टर देश के उस वर्ग तक, उस हिस्से तक विकास पहुंचाने में सामर्थ्य रखता है, जहां इसकी अभी सबसे ज्यादा जरूरत है। उन्होंने कहा कि खेल से जुड़ा जो हमारा कुटीर उद्योग है, जो हमारी कला है, जो हमारे कारीगर हैं, वो गांव, गरीब, दलित, आदिवासी समाज में बड़ी संख्या में हैं। हमारे ये साथी बहुत सीमित संसाधनों में हमारी परंपरा, हमारी संस्कृति को अपनी बेहतरीन कला से निखारकर अपने खिलौनों में ढालते रहे हैं। इसमें भी विशेष रूप से हमारी बहनें, हमारी बेटियां बहुत बड़ी भूमिका निभा रही हैं। खिलौनों से जुड़े सेक्टर के विकास से, ऐसी महिलाओं के साथ ही देश के दूर-दराज इलाकों में रहने वाले हमारे आदिवासी और गरीब साथियों को भी बहुत लाभ होगा।

मोदी ने कहा कि भारत के वर्तमान सामर्थ्य को, कला-संस्कृति को समाज को आज दुनिया ज्यादा बेहतर तरीके से समझने के लिए बहुत उत्सुक है, लोग समझना चाहते हैं। इसमें हमारा खिलौना और गेम उद्योग बहुत बड़ी भूमिका निभा सकता है। उन्होंने कहा कि एक भारत, श्रेष्ठ भारत से लेकर वसुधैव कुटुंबकम की हमारी शाश्वत भावना को समृद्ध करने का दायित्व भी आप पर है। आज जब देश आजादी के 75 वर्ष का अमृत महोत्सव मना रहा है, तो ये बहुत बड़ा अवसर है। आजादी के आंदोलन से जुड़ी अनेक ऐसी दास्तान हैं, जिनको सामने लाना जरूरी हैं। हमारे क्रांतिवीरों, हमारे सेनानियों के शौर्य की, लीडरशिप की कई घटनाओं को खिलौनों और गेम्स के कॉन्सेप्ट के रूप में तैयार किया जा सकता है। आप भारत की लोककला को भविष्य से कनेक्ट करने वाली भी एक मजबूत कड़ी है। उन्होंने कहा कि यह इसलिए जरूरी है कि हमारा फोकस ऐसे खिलौना और गेम्स का निर्माण करने पर भी हो जो हमारी युवा पीढ़ी को भारतीयता के हर पहलू को रोचक और संवादपूर्ण तरीके से बताए। आप जैसे युवा इनोवेटर्स और क्रिएटर्स से देश को बहुत उम्मीदें हैं। मुझे पूरा विश्वास है कि आप अपने लक्ष्यों में जरूर सफल होंगे, अपने सपनों को जरूर साकार करेंगे।

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