पंजाब में कंगना रनौत की फिल्म इमरजेंसी का विरोध : सिख जगत में आक्रोश, सिनेमाघरों में बुकिंग रद्द
पटियाला, लुधयिाना और मोहाली आदि में भी विरोध
अन्य स्थानों पर घातक हमलों के साथ-साथ सिख नरसंहार और जनसंहार को दबाकर, राष्ट्र के खिलाफ जहर उगलने की भावना के साथ सिख विरोधी एजेंडे को आगे बढ़ाया गया है।
चंडीगढ़। शिरोमणी गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) के सदस्यों द्वारा फिल्म अभिनेत्री और हिमाचल प्रदेश के मंडी से भारतीय जनता र्पाटी (भाजपा) की सांसद कंगना रनौत कृत फिल्म 'इमरजेंसी' का पंजाब भर में विरोध किया जा रहा है। एसजीपीसी और अन्य सिख संगठनों के सदस्य पूरे राज्य में सिनेमा घरों के बाहर एकत्रित हो गए हैं। हालांकि चंडीगढ़ में फिल्म रिलीज हो गई है, जहां किसी प्रकार का विरोध नहीं किया जा रहा है। सिख संगठनों के विरोध के मद्देनजर अमृतसर में पीवीआर सूरज चंदा तारा सिनेमा के बाहर भारी संख्या में पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया है। पटियाला, लुधयिाना और मोहाली आदि में भी विरोध किया जा रहा है। सिनेमा घरों में बुकिंग की जा रही थी, जिसे रद्द कर दिया गया है। फिल्म इमरजेंसी देश में रिलीज हो रही है, जिसका एसजीपीसी ने विरोध करते हुए पंजाब सरकार से फिल्म को पंजाब में प्रतबिंधति करने की मांग की है। शिरोमणी गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) के अध्यक्ष हरजदिंर सिंह धामी ने पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान को पत्र लिखकर फिल्म पर प्रतिबंध लगाने की मांग की गई थी। उन्होंने कहा कि भाजपा सांसद कंगना रनौत द्वारा निर्मित फिल्म 'इमरजेंसी' 17 जनवरी 2025 को पंजाब के वभिन्नि शहरों के सिनेमाघरों में रिलीज होने जा रही है और इसके लिए टिकटें भी बुक होनी शुरू हो गई हैं।
उन्होंने कहा कि एसजीपीसी ने इस फिल्म के सम्बन्ध में पहले ही 28 सितंबर 2024 को अंतरिम कमेटी के प्रस्ताव के माध्यम से पंजाब सरकार के मुख्य सचिव को पत्र लिखकर पंजाब में कंगना रनौत की फिल्म इमरजेंसी पर प्रतिबंध लगाने की मांग कर चुके हैं। उन्होंने स्पष्ट तौर पर कहा कि फिल्म 'इमरजेंसी' को पंजाब में चलने नहीं दिया जाएगा, क्योंकि यह सिखों को बदनाम करने के उद्देश्य से राजनीतिक तरीके से बनाई गई है। धामी ने कहा कि एक प्रस्ताव के माध्यम से राज्य सरकार से मांग की गई थी कि वह पंजाब में इस फिल्म की रिलिज पर रोक लगाए, लेकिन र्दुभाग्यर्पूण है कि पंजाब सरकार ने अब तक कोई कदम नहीं उठाया है। यदि यह फिल्म 17 जनवरी 2025 को रिलिज होती है, तो स्वाभाविक है कि इससे सिख जगत में आक्रोश होगा। उन्होंने कहा कि फिल्म में 1984 में सिखों के पवित्र र्तीथस्थल सचखंड स्वर्ण मंदिर, अकाल तख्त साहिब और कई अन्य स्थानों पर घातक हमलों के साथ-साथ सिख नरसंहार और जनसंहार को दबाकर, राष्ट्र के खिलाफ जहर उगलने की भावना के साथ सिख विरोधी एजेंडे को आगे बढ़ाया गया है।
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