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Read More... शहर में खड़ी हैं लापरवाही की सैकड़ों बहुमंजिला इमारतें, फायर अनुभाग भी नोटिस देकर कर रहा इतिश्री
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मल्टी स्टोरियों में आग से सुरक्षा के इंतजाम तक नहीं। रेस्पोंस टाइम कम करने को बनेगा नया फायर स्टेशन
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नगर निगम कोटा दक्षिण के सीएफओ राकेश व्यास का कहना है कि आग लगने पर उसे बुझाने के लिए दमकलों का रेस्पोंस टाइम सबसे महत्वपूर्ण होता है। दमकलें जितनी जल्दी मौकेी पर पहुंचेंगी आग से नुकसान को उतना ही कम किया जा सकता है। आग पर काबू पाने के लिए तैयार हैं हम...
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शहर के विकास व विस्तार को देखते हुए निगम के अग्निशमन बेडे में संसाधन व मैन पावर तो भरपूर हो गई है। व्यवस्था की दृष्टि से भे ही शहर को कोटा उत्तर व दक्षिण निगम में बांट दिया गया है। लेकिन आग जैसी आपात स्थिति में दोनों निगम एक साथ मिलकर काम कर रहे हैं। लेकिन कोटा उत्तर में अभी भी फायर स्टेशनों की दरकार है। असर खबर का - सीएफओ ने दोबारा की हॉस्टलों की जांच
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आग लगने व हादसे होने पर नगर निगम द्वारा हॉस्टल संचालकों को नोटिस देने के बाद उन हॉस्टलों की दोबारा जांच नहीं करने का मुद्दा नवज्योति ने प्रमुखता से उठाया था। 18 फरवरी के अंक में पेज दो पर ‘संचालकों को नोटिस देकर भूला निगम, नहीं की ठोस कार्रवाई’ शीर्षक से समाचार प्रकाशित किया था। जिसके बाद निगम के फायर अधिकारी हरकत में आए। उन्होंने दोबारा से हॉस्टलों की जांच की। जिसमें फायर सिस्टम लगना पाया गया। संचालकों को नोटिस देकर भूला निगम,नहीं की ठोस कार्रवाई
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निगम के फायर अनुभाग द्वारा ये तीन ही नहीं इस तरह के सैकड़ों नोटिस जारी किए जा चुके हैं। लेकिन उनमें से किसी के भी खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है। जिससे किसी भी हॉस्टल संचालक पर कोई असर ही नहीं हो रहा है। वात्सल्य हॉस्टल व रेस्टोरेंट संचालक को दिए नोटिस
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नगर निगम कोटा दक्षिण के सीएफओ राकेश व्यास ने बताया कि वात्सल्य रेजीडेंसी हॉस्टल की जांच में फायर सेल्टी के पर्याप्त इंतजाम नहीं थे। इस पर हॉस्टल संचालक को नगर पालिका एक्ट के प्रावधानों के तहत 7 दिन का नोटिस जारी किया है। रूफटॉप रेस्टोरेंट संचालक को भी 7 दिन का नोटिस जारी किया है। वहां भी तीन दिन पहले आग लग गई थी। अस्सी फीसदी भवन मालिकों के कान पर जूं तक नहीं रेंगी
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नगर निगम कोटा दक्षिण के अग्निशमन विभाग द्वारा दिए गए एक हजार नोटिसों में से मात्र 20 फीसदी पर ही अमल हुआ है। उनमें भी किसी ने निगम में जवाब पेश किया है तो किसी ने उपकरण लगवाए हैं। जबकि अभी भी 80 फीसदी भवन मालिकों के कानों पर जूं तक नहीं रेंगी है। साथ ही निगम ने भी उन्हें दिए गए नोटिसों पर कोई कार्रवाई नहीं की है। शहर में गर्मी के समय में तो आग लगने की घटनाएं होती ही हैं। 