वन्य जीव संरक्षण के लिए काम करने वालों का बढ़ाएं हौसला : हमारे इतिहास और संस्कृति में बसे हैं वन्य जीव, मोदी ने लोगों से की अपील
केवल हमारे देश में ही पाए जाते हैं
हमारे यहाँ वनस्पति और जीव-जंतुओ का एक बहुत ही जीवंत पारिस्थितिकी तंत्र है और ये वन्य जीव हमारे इतिहास और संस्कृति में रचे-बसे हुए हैं।
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वन्य जीव संरक्षण के लिए काम करने वालों का हौसला बढ़ाने की अपील करते हुए कहा कि यह हमारे लिए बहुत संतोष की बात है कि इस क्षेत्र में अब कई स्टार्ट अप भी उभरकर सामने आए हैं। मोदी ने मन की बात कार्यक्रम में कहा कि क्या आप जानते हैं कि एशियाटिक लायन, हंगुल, पिग्मी हाग और शेर की पूंछ वाला मकाक में क्या समानता है , इसका जवाब है कि ये सब दुनिया में कहीं और नहीं पाए जाते हैं, केवल हमारे देश में ही पाए जाते हैं। वाकई हमारे यहाँ वनस्पति और जीव-जंतुओ का एक बहुत ही जीवंत पारिस्थितिकी तंत्र है और ये वन्य जीव हमारे इतिहास और संस्कृति में रचे-बसे हुए हैं।
कई जीव-जन्तु हमारे देवी-देवताओं की सवारी के तौर पर भी देखे जाते हैं। मध्य भारत में कई जन-जातियाँ बाघेश्वर की पूजा करती हैं। महाराष्ट्र में वाघोबा के पूजन की परंपरा रही है। भगवान अयप्पा का भी बाघ से बहुत गहरा नाता है। सुंदरवन में बोनबीबी की पूजा-अर्चना होती है जिनकी सवारी बाघ है। हमारे यहाँ कर्नाटक के हुली वेशा, तमिलनाडु के पूली और केरला के पुलिकली जैसे कई सांस्कृतिक नृत्य हैं जो प्रकृति और वन्य जीव के साथ जुड़े हुए हैं। मैं अपने आदिवासी भाई-बहनों का भी बहुत आभार करूंगा क्योंकि वो वन्य जीव संरक्षण से जुड़े कार्यों में बढ़-चढ़कर भागीदारी करते हैं। कर्नाटक के बीआरटी टाइगर रिजर्व में बाघों की आबादी में लगातार वृद्धि हुई है। इसका बहुत श्रेय सोलिगा जनजाति को जाता है जो बाघ की पूजा करते हैं। इनके कारण इस क्षेत्र में मानवजीव संघर्ष ना के बराबर होता है। गुजरात में भी लोगों ने गिर में एशियाटिक लायन की सुरक्षा और संरक्षण में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। उन्होंने दुनिया को दिखा दिया है कि प्रकृति के साथ सामंजस्य आखिर क्या होता है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि इन प्रयासों के कारण ही पिछले कई वर्षों में बाघ, तेंदुए, एशियाटिक लायन, गैंडा और बारहसिंघा की आबादी तेजी से बढ़ी है और भारत में वन्य जीवों की विविधता कितनी खूबसूरत है ये भी गौर करने लायक है। एशियाटिक लायन देश के पश्चिमी हिस्से में पाए जाते हैं, जबकि टाइगर का क्षेत्र है पूर्वी, मध्य और दक्षिण भारत वहीं गैंडा पूर्वोत्तर में मिलते हैं। भारत का हर हिस्सा ना केवल प्रकृति के लिए संवेदनशील है बल्कि वन्य जीव संरक्षण के लिए भी प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि अगले महीने की शुरुआत में हम वन्य जीव संरक्षण दिवस मनाएंगे। मेरा आग्रह है कि आप वन्य जीव संरक्षण से जुड़े लोगों का हौसला जरूर बढ़ाएं। यह मेरे लिए बहुत संतोष की बात है कि इस क्षेत्र में अब कई स्टार्ट अप भी उभरकर सामने आए हैं।
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