लिफ्ट देने का झांसा देकर लूटने वाली अन्तरराज्यीय गैंग के 4 आरोपी गिरफ्तार, 20 लाख रुपए का सामान बरामद
आरोपियों ने लूट की 20-25 वारदातों को अंजाम देना किया स्वीकार
शिवदासपुरा थाना पुलिस ने लूट की अन्तरराज्यीय गैंग का पर्दाफाश करते हुए चार आरोपियों को गिरफ्तार कर उनके पास से लूट का करीब बीस लाख रुपए का सामान बरामद किया हैं
जयपुर। शिवदासपुरा थाना पुलिस ने लूट की अन्तरराज्यीय गैंग का पर्दाफाश करते हुए चार आरोपियों को गिरफ्तार कर उनके पास से लूट का करीब बीस लाख रुपए का सामान बरामद किया हैं। आरोपी वृद्ध, बीमार और महिलाओं को लिफ्ट देने का झांसा देकर सुनसान जगह ले जाकर लूट की वारदात को अंजाम देते थे। आरोपियों ने जयपुर शहर और आस-पास के राज्यों में लूट की 20-25 वारदातों को अंजाम देना स्वीकार किया हैं। डीपीसी दिगंत आनन्द ने बताया कि पुलिस ने असलम सत्तार (36) निवासी बजरिया कोतवाली, गाजियाबाद, आसिफ (42) निवासी गाजियाबाद, रियाजुद्दीन (40) निवासी मंसूरी गाजियाबाद, नदीम (28) निवासी तिलपट्टा गौतम बुद्ध नगर नोएड़ा को गिरफ्तार कर लिया।
क्या हुआ घटनाक्रम
डीसीपी आनन्द ने बताया कि 20 फरवरी को परिवादी कैलाश चन्द पंवार 70 श्रीपुरा मलारणा डूंगर, जिला सवाईमाधोपुर ने एक रिपोर्ट में बताया कि वह और गोवर्धन राजपूत अपने गांव श्रीपुरा जाने के लिए बीस फरवरी की सुबह करीब आठ बजे टोंक रोड स्थित 12 मील पर बस का इंतजार कर रहे थे। तभी एक मोटरसाइकिल सवार आया और परिवादी से गंतव्य स्थान पर जाने के लिए कहकरदोनों को बाइक पर बिठा लिया। तभी चौथा लड़का भी आ गया, उसने कहा मुझे भी ले चलो, आगे चौपहिया गाड़ी में बैठ जाएंगे। चारों लोग एक ही मोटसाइकिल पर बैठ गए। बदमाश पहले बाइक को बीलवा की ओर ले गया और बाद में महल रोड जगतपुरा की ओर मोटरसाइकिल घुमा दी। परिवादी ने टोकना शुरू किया तो बदमाश ने कहा कि मेरी गाड़ी पास ही में खड़ी है, वहां पर मोटरसाकिल रखकर कार ले चलेंगे। इसी दौरान उसका दूसरा साथी बैग छीनकर फरार हो गया। दोनों बुजुर्ग होने के कारण उसका पीछा नहीं कर पाए।
ऐसे करते थे वारदात
आरोपी योजनाबद्ध तरीके से बुर्जग व्यक्ति, महिलाएं, महिलाओं के साथ छोटे बच्चों को अपना टारगेट बनाते थे। पहले एक बदमाश बाइक से आता और टागरेट करने वाले व्यक्ति को विश्वास में लेता। इसी दौरान दूसरा बदमाश भी आ जाता और साथ चलने की बात कहकर
बाइक पर बैठ जाता। दोनों बदमाश बाइक को सुनसान जगह ले जाकर डरा-धमकाकर पैसे, रुपए सहित अन्य सामान लूट लेते थे। लूटी हुई सामग्री को गाजियाबाद ले जाते और तीन-चार सप्ताह बाद फिर से घटना को अंजाम देने के लिए आ धमकते थे।
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