मिलेट्स अभियान भारत के सीमांत कृषकों के लिए वरदान: मोदी

पीएम ने कहा- जहां श्री, वहां समृद्धि और समग्रता 

मिलेट्स अभियान भारत के सीमांत कृषकों के लिए वरदान: मोदी

उन्होंने कहा कि भारत का श्री अन्न मिशन देश के ढाई करोड़ सीमांत कृषकों के लिए एक वरदान सिद्ध होगा। आजादी के बाद सरकार पहली बार मिलेट उत्पादक किसानों की जरूरतों का ध्यान दे रही है।

नयी दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शनिवार को कहा कि भारत में ज्वार-बाजरा आदि मोटे अनाजों (श्री अन्न) को प्रोत्साहन देने का अभियान देश के ढाई करोड़ सीमांत कृषकों के लिए वरदान साबित होगा। मोदी ने  कहा कि आजादी के बाद देश में पहली बार सरकार मिलेट की खेती करने वाले किसानों की जरूरतों पर ध्यान दे रही है। मोदी ने राजधानी में पूसा स्थित भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आईएआरआई) में आयोजित दो दिन के 'ग्लोबल मिलेट्स क्रान्फ्रेंस का उद्घाटन कर रहे थे। उन्होंने कहा कि भारत का श्री अन्न मिशन देश के ढाई करोड़ सीमांत कृषकों के लिए एक वरदान सिद्ध होगा। आजादी के बाद सरकार पहली बार मिलेट उत्पादक किसानों की जरूरतों का ध्यान दे रही है।

उन्होंने कहा कि श्री अन्न भी भारत में समग्र विकास का माध्यम बन रहा है इसमें गांव भी जुड़ा है और गरीब भी जुड़ा है। उन्होंने श्री अन्न को देश के करोड़ो लोगों के पोषण का कर्णधार और आदिवासी समाज का सत्कार बताया। प्रधानमंत्री ने श्री अन्न को जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों का सामना करने के माध्यमों से जोड़ते हुए कहा  कि इसकी खेती में पानी कम लगता है। यह रसायन मुक्त खेती का बढ़ा आधार है और जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से निपटने में मददगार है। उल्लेखनीय है कि भारत की पहल पर संयुक्त राष्ट्र महापरिषद ने वर्ष 2023 को अन्तरराष्ट्रीय मिलेट्स वर्ष घोषित किया है।

भारत में ज्वार-बाजरा आदि श्री अन्न की खेती 12-13 राज्यों में की जाती है और इन राज्यों में इनकी प्रति व्यक्ति खपत दो किलो प्रति माह थी, जो बढ़कर 14 किलो तक पहुंच गयी है। प्रधानमंत्री ने कहा कि श्री अन्न केवल खेती या खाने तक सीमित नहीं है बल्कि जो लोग भारत की परंपराओं को जानते हैं वे यह भी जानते हैं कि जहां श्री होती है वहां समृद्धि और समग्रता होती है। 

उन्होंने कहा कि मुझे खुशी है कि आज विश्व जब अन्तरराष्ट्रीय मिलेट्स वर्ष मना रहा है, तब भारत इस अभियान की अगुवाई कर रहा है। मोदी ने कहा, '' वैश्विक श्री अन्न सम्मेलन जैसे आयोजन न सिर्फ वैश्विक हित के लिए जरूरी है, बल्कि साझे वैश्विक हितों में भारत की बढ़ती जिम्मेदारी का प्रतीक हैं।''

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