हिंदी के प्रति विश्वभर में जागरूकता का प्रसार हो

हिंदी भाषा तेजी से वैश्विक स्थान बनाती जा रही 

हिंदी के प्रति विश्वभर में जागरूकता का प्रसार हो

हिंदी इस समय विश्व के 61 करोड़ लोगों की भाषा है।

हिंदी इस समय विश्व के 61 करोड़ लोगों की भाषा है। विश्व भाषा के जारी आंकड़ों के अनुसार हिंदी भाषा तेजी से वैश्विक स्थान बनाती जा रही है। इसमें बड़ा योगदान उस तकनीक का भी है,  जिसमें हिंदी को बोलने, बरतने और उसके उपयोग को सूचना और संचार प्रौद्योगिकी ने आसान किया है। विश्व हिंदी दिवस मनाने का उद्देश्य है, हिंदी के प्रति विश्वभर में जागरूकता का प्रसार। देश के पूर्व प्रधानमन्त्री मनमोहन सिंह ने 10 जनवरी 2006 को प्रति वर्ष विश्व हिन्दी दिवस के रूप मनाए जाने की घोषणा की थी। उसके बाद से भारतीय विदेश मंत्रालय ने विदेश में 10 जनवरी 2006 को पहली बार विश्व हिन्दी दिवस मनाया था। इस अवसर पर दुनिया भर के देशों के भारतीय दूतावासों में विशेष कार्यक्रम आयोजित होते है। हिंदी भाषा नहीं भारतीय संस्कृति का गौरव है। महात्मा गांधी इस बात को जानते थे कि राष्ट्र की अपनी भाषा से ही गुलामी की जंजीरों को पूरी तरह से तोड़ा जा सकता है। खुद गांधी गुजराती भाषी थे परन्तु उन्होंने राष्ट्र की एकता, राष्ट्र हित के लिए हिंदी को अपनी भाषा बनाया। स्वतंत्रता आंदोलन और आजादी के बाद हिन्दी की महत्वपूर्ण भूमिका को देखते हुए संविधान निर्माताओं ने 14 सितंबर 1949 के दिन ही हिन्दी को राजभाषा के रूप में स्वीकार किया था। इसके बाद 14 सितंबर 1953 को आधिकारिक रूप से पहली बार राष्ट्रीय हिंदी दिवस मनाया गया। संयुक्त राष्ट्र महासभा में भी पहली बार 1949 में हिन्दी भाषा का प्रयोग हुआ था। 

आज हिंदी दुनिया की तीसरी और भारत की सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा है। अंग्रेजी और चीन की मंदारिन के बाद दुनिया में इसी का सर्वाधिक बोले जाने वालों में स्थान है। यह बात समझने की है कि भाषा केवल विचारों के आदान-प्रदान का माध्यम ही नहीं होती है, वह नैतिक, सामाजिक,  सांस्कृतिक एवं आध्यात्मिक मूल्यों की भी संवाहिका होती है। हिन्दी भाषा हिन्दुस्तान की संस्कृति है। विश्वभर की भाषाओं में तेजी से अपना स्थान बनाती जा रही हिंदी को यदि हमारे देश की धड़कन कहा जाए तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी कहते हैं, भारत की संस्कृति, संस्कार, ज्ञान और परम्परा को देश-दुनिया में पहचाने जाने में हिन्दी की अहम भूमिका है। अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की पहचान और भारतवंशियों को एकता के सूत्र में पिरोने में हिन्दी भाषा का ही योगदान महत्वपूर्ण है। संयुक्त राष्ट्र और जी-20 के सम्मेलनों में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने हिंदी में अपनी बात रखकर इस भाषा के वैश्विक महत्व को स्थापित किया है। नई शिक्षा नीति में हिंदी भाषा के प्रयोग पर अधिक जोर दिया गया है। इस नीति में तीन भाषाओं का फॉर्मूला दिया गया है। 

इसमें अंग्रेजी के अलावा दो भारतीय भाषाओं को स्थान दिया गया है। अब तक गैर-हिंदी भाषी राज्यों में स्थानीय भाषा के अलावा केवल अंग्रेजी को ही महत्व मिलता रहा है। इस दृष्टि से नई शिक्षा नीति में तीसरी भाषा के तौर पर हिंदी को अनिवार्य करना महती कदम है। बहुत से स्तरों पर अब हिंदी में इंजीनियरिंग और डॉक्टरी की पढ़ाई की भी व्यवस्था की गई है। इस संदर्भ में मध्य प्रदेश के सभी 13 सरकारी मेडिकल कॉलेजों में हिंदी भाषा में पढ़ाई की शुरुआत हिंदी को बढ़ावा दिए जान की दिशा में बड़ी पहल है। हिंदी भाषा को संयुक्त राष्ट्र की आधिकारिक भाषा का दर्जा दिलाने के लिए भी केन्द्र सरकार के स्तर पर कई बड़े कदम उठाए हैं। इसी की परिणति रही है कि संयुक्त राष्ट्र महासभा ने जून 2022 में पहली बार हिंदी भाषा से जुड़े भारत के प्रस्ताव को मंजूरी दी है। इस प्रस्ताव में कहा गया है कि संयुक्त राष्ट्र के सभी जरूरी कामकाज और सूचनाओं को इसकी आधिकारिक भाषाओं के अलावा दूसरी भाषाओं हिंदी में भी जारी किया जाए।

 हिंदी भाषा की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इसने न केवल अपनी क्षेत्रीय बोलियों को अपने भीतर आत्मसात किया हुआ है, बल्कि विश्वभर की अन्य भाषाओं को भी अपने भीतर एक किया हुआ है। हिंदी भाषा का हृदय बहुत विशाल है। इसके भीतर संस्कृत, पाली, प्राकृत, फारसी, अरबी, तुर्की, अंग्रेजी, फ्रांसीसी इत्यादि भाषाओं के साथ भारत की ही अनेक बोलियों के शब्द समाहित हैं। हिंदी की लिपि सबसे वैज्ञानिक लिपि है। विश्वभर में इस समय 176 विश्वविद्यालयों में हिंदी शिक्षण की व्यवस्था है। यह सच है, हिन्दी भाषा तेजी से वैश्विक भाषा बन रही है। जरूरत इस बात की भी है कि हिन्दी की जड़ों को हम ज्ञान-विज्ञान के नए क्षेत्रों से संपन्न करें। इसे आधुनिकता की दृष्टि से विकसित करते हुए इसमें साहित्य की विभिन्न विधाओं में ही नहीं विज्ञान,  वाणिज्य और कम्प्यूटर आदि विषयों से भी संपन्न करें। इसी से यह भविष्य की विश्व की अग्रणी भाषा बन सकेगी। विश्व हिंदी दिवस की सार्थकता भी इसी में है।

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 -डॉ. अरुणा व्यास
यह लेखक के विचार हैं।

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