समलैंगिक विवाह : सुप्रीम कोर्ट ने अपने 2023 के फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिकाएं की खारिज, समीक्षा करने से किया इनकार 

दोनों फैसलों में व्यक्त किया गया मत कानून के अनुसार है

समलैंगिक विवाह : सुप्रीम कोर्ट ने अपने 2023 के फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिकाएं की खारिज, समीक्षा करने से किया इनकार 

शीर्ष अदालत ने पहले ही समीक्षा याचिकाओं पर खुली अदालत में सुनवाई की अनुमति देने से इनकार कर दिया था।

नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय समलैंगिक विवाह को कानूनी मंजूरी देने से इनकार करने के अपने फैसले की समीक्षा की मांग करने वाली याचिकाएं खारिज कर दी हैं। न्यायमूर्ति बी आर गवई, न्यायमूर्ति सूर्य कांत, न्यायमूर्ति नागरत्ना, न्यायमूर्ति पी एस नरसिम्हा और न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता की संविधान पीठ ने यह कहते हुए कि उन्हें अपने पिछले फैसले में रिकॉर्ड पर कोई त्रुटि नहीं दिखी, समीक्षा करने से इनकार कर दिया। याचिकाओं में उच्चतम न्यायालय की समलैंगिक विवाह को कानूनी मंजूरी देने से इनकार करने वाले 17 अक्टूबर, 2023 के फैसले की समीक्षा की मांग की गई थी। चैंबर कार्यवाही के बाद अपने आदेश में पीठ ने कहा, ''हमने न्यायमूर्ति एस रवींद्र भट (पूर्व न्यायाधीश) द्वारा खुद और न्यायमूर्ति हिमा कोहली (पूर्व न्यायाधीश) द्वारा दिए गए फैसलों और हममें से एक (न्यायमूर्ति नरसिम्हा) द्वारा दिए गए फैसलों की गई सहमति वाली राय को ध्यान से पढ़ा है, जो बहुमत का मत है। शीर्ष अदालत ने आगे कहा कि दोनों फैसलों में व्यक्त किया गया मत कानून के अनुसार है। इनमें किसी हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है। पीठ ने कहा कि इस आधार पर पुनर्विचार याचिकाओं को खारिज किया जाता है। न्यायालय ने समीक्षा याचिकाओं को खुली अदालत में सूचीबद्ध करने के लिए एक आवेदन को भी खारिज कर दिया। इस मामले से संबंधित याचिकाओं पर न्यायाधीशों के कक्षों में विचार किया गया। शीर्ष अदालत के नियमों के अनुसार, समीक्षा याचिकाओं पर न्यायाधीशों द्वारा दस्तावेजों के प्रसार और अधिवक्ता की उपस्थिति के बिना न्यायाधीश कक्षों में विचार किया जाता है। शीर्ष अदालत ने पहले ही समीक्षा याचिकाओं पर खुली अदालत में सुनवाई की अनुमति देने से इनकार कर दिया था।

न्यायमूर्ति संजीव खन्ना (वर्तमान मुख्य न्यायाधीश) द्वारा 2024 में समीक्षा याचिकाओं की सुनवाई से खुद को अलग करने के बाद नई पीठ का गठन किया गया था। विशेष रूप से न्यायमूर्ति पी एस नरसिम्हा (पांच न्यायाधीशों वाली मूल संविधान पीठ के एकमात्र सदस्य हैं) ने फैसला सुनाया, क्योंकि पूर्व मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति एस के कौल, और रवींद्र भट और हिमा कोहली सेवानिवृत्त हो चुके हैं। तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने 17 अक्टूबर, 2024 को समलैंगिक विवाहों को कानूनी समर्थन देने से इनकार कर दिया था। पीठ ने कहा था कि कानून द्वारा मान्यता प्राप्त विवाहों को छोड़कर विवाह करने का ''कोई भी अयोग्य अधिकार नहीं है।

Post Comment

Comment List

Latest News

मोदी के प्रचार की भेंट चढ़ी प्रतिभावान बच्चों की छात्रवृत्ति, दांव पर लगा युवाओं का भविष्य : प्रियंका मोदी के प्रचार की भेंट चढ़ी प्रतिभावान बच्चों की छात्रवृत्ति, दांव पर लगा युवाओं का भविष्य : प्रियंका
पिछले 3 साल से इसकी 40 करोड़ की राशि रोकी गई है, जबकि मोदी के प्रचार पर इससे कहीं अधिक...
मदन दिलावर ने ग्राम पंचायत भवन का किया लोकार्पण, कहा- विकास में आमजन की भागीदारी को बढ़ाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम 
किरोड़ी लाल मीणा से मिलने पहुंचे बीएपी के 3 विधायक, सियासी गलियारों में नई सुगबुगाआहट 
हीरापुरा 400 केवी जीएसएस में तकनीकी खराबी, शहर में आधा घंटे तक रहा ब्लैक आउट
क्रेडिट लेने के लिए हमारे कार्यों को रोककर बैठी भाजपा सरकार, युवाओं के हित में रुके हुए कार्यो का करें उद्घाटन : गहलोत
पंचायती राज संस्थाओं का होगा पुनर्गठन, सरकार ने मंत्रिमण्डलीय उप समिति का किया गठन
संभल मस्जिद-कुआं विवाद : सुप्रीम कोर्ट का उप्र सरकार को नोटिस, स्थिति का विवरण पेश करने का दिया निर्देश