जाने राज-काज में क्या हैं खास

जिलों की संख्या 50 करवा कर वाहवाही लूटने में कोई कसर नहीं छोड़ी

जाने राज-काज में क्या हैं खास

राज का काज करने वाले भी चिंता में हैं, लेकिन बेचारे राम के डर से अपनी जुबान नहीं खोल पा रहे।

कमाल के हैं ब्यूरोक्रैट्स
हमारे सूबे के ब्यूरोक्रैट्स भी कमाल के हैं और राज के खास हों, तो फिर कहना ही क्या। मरु प्रदेश में राज की मंशा को भांपने वाले ब्यूरोक्रैट्स की संख्या भी उंगलियों पर है, बाकी अपने काम से काम रखते हैं। अब देखो न, पहले वाले राज के खास रहे तुला राशि वाले साहब ने अपनी राय से जिलों की संख्या 50 करवा कर वाहवाही लूटने में कोई कसर नहीं छोड़ी। तो इस राज में मेष राशि वाले साहब जोड़-बाकी और गुणा-भाग कर 9 घटवा कर सुर्खियों में हैं। अब राज के हिसाब से रिजल्ट देने वाले ब्यूरोक्रेट्स के पॉवर को समझने वाले समझ गए, ना समझे वो अनाड़ी है।

इंतजार मलमास खत्म होने का
भगवा वाले भाई लोगों को मलमास खत्म होने का बेसब्री से इंतजार है। हो भी क्या न, कई भाई साहबों की लॉटरी जो लगने वाली है। सबसे ज्यादा दशा उन भाई साहबों की खराब है, जिनका मिनिस्टरी में रिपोर्ट कार्ड खराब है। उनकी रातों की नींद और दिन का चैन उड़ा हुआ है। राज का काज करने वालों में चर्चा है कि मलमास के बाद छबड़ा, मालवीयनगर, बाली, केकड़ी और चित्तौड़गढ वाले भाई साहबों के चौघड़िया बदल सकते हैं। बाकी किस पर राहु और केतु का असर होगा, यह तो अटारी वाले भाई साहब से ज्यादा कोई नहीं जानता, लेकिन राजनीति में जो होता है, वह दिखता नहीं और जो दिखता है, वह होता नहीं।

ऊहापोह में भाई साहब
सूबे में भगवा वाली पार्टी के भाई लोग इन दिनों ऊहापोह की स्थिति में हैं। ऊहापोह में भी सबसे ज्यादा पार्टी के सदर हैं, जो न तो नई टीम बना पा रहे हैं और नहीं पुरानों को हटा पा रहे हैं। सरदार पटेल मार्ग स्थित बंगला नंबर 51 में बने भगवा के ठिकाने पर आने वाले हार्ड कोर्ड वर्कर्स में चर्चा है कि दिल्ली वालों ने तो सीएम और स्टेट प्रेंसीडेंट बदल कर अपना मैसेज दे दिया, लेकिन सूबे में सब कुछ आमेर वाले भाई साहब की टीम के पुराने मेम्बर ही चल रहे हैं। अब इन हार्ड कोर वर्कर्स को कौन समझाए कि सुमेरपुर वाले भाई साहब भी वो ही करेंगे, जो हाईकमान की पर्ची में लिखा होगा।

खत्म होता डेमोक्रेटिक प्रोसेस
भाजपा और कांग्रेस दोनों दलों में खत्म होते डेमोक्रेटिक प्रोसेस को लेकर हार्ड कोर वर्कर्स दुबले हो रहे हैं। संगठन की लोकतांत्रिक प्रक्रिया को लेकर दोनों तरफ उनकी कोई सुनवाई नहीं हो रही। इंदिरा गांधी भवन में बने हाथ वालों के ठिकाने पर आने वाले वर्कर्स में चर्चा है कि पार्टी के राजकुमार ने यूथ कांग्रेस के इलेक्शन की आड़ में शुरू की थी, पर उनकी भी पार नहीं पड़ी। राज का काज करने वाले भी चिंता में हैं, लेकिन बेचारे राम के डर से अपनी जुबान नहीं खोल पा रहे।

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एक जुमला यह भी
सूबे में इन दिनों एक जुमला जोरों पर है। जुमला भी छोटा-मोटा नहीं, बल्कि आजादी के साल बना शिक्षा के सबसे बड़े केन्द्र से ताल्लुक रखता है। जुमला है कि आरयू में इन दिनों नौ रत्नों का बोलबाला है। साठ पार वाले रत्न भी अपनी आभा से परीक्षा और लेखा तक का काम संभाल रहे हैं। इनमें से एक तो बारहताड़ी भी देख चुके हैं, लेकिन ऊपर वालों के भरोसेमंद हैं। अब जब ऊपर वाले ही राजी हैं, तो दूसरों को माथा लगाना भी बेकार है। अब ऊपर वाले राजी क्यों हैँ, वो समझने वाले समझ गए, ना समझे वो अनाड़ी है।

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एल.एल. शर्मा
(ये लेखक के अपने विचार हैं)

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Tags: raj kaj  

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