जाने राजकाज में क्या है खास

चर्चा में राज के रत्न

जाने राजकाज में क्या है खास

सूबे में इन दिनों राज के रत्नों को लेकर चर्चाएं जोरों पर हैं। हो भी क्यों न, रत्न न वक्त देखते हैं और न ही स्थान, जब चाहे बिना आगा पीछे सोचे अपना मुंह खोलने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे।

चर्चा में राज के रत्न
सूबे में इन दिनों राज के रत्नों को लेकर चर्चाएं जोरों पर हैं। हो भी क्यों न, रत्न न वक्त देखते हैं और न ही स्थान, जब चाहे बिना आगा पीछे सोचे अपना मुंह खोलने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे। कुछ रत्नों को तो पब्लिक वैसे ही सीरियस नहीं लेती, चूंकि वह उनके बारे में बहुत कुछ जानती है, लेकिन जिनको सीरियस लेती है, वे जनता की नब्ज को पहचानने में चूक कर रहे हैं। राज का काज करने वाले में चर्चा है कि कुछ रत्न तो जानबूझकर अपना मुंह खोल रहे हैं, ताकि सामने वालों को गलतफहमी होती रहे। कुछ रत्न ऐसे हैं, जिनके काम तो खूब हो रहे हैं, लेकिन उनके मनमाफिक नहीं है, सो प्रेशर पॉलिटिक्स का यूज करने में ही अपनी भलाई समझते हैं। सियासी संकट के फेर में फंसे राज की मजबूरी है कि सब कुछ जानते हुए भी अपना मुंह बंद किए हुए हैं।

दो हमनामों का फेर
राज के खास रत्न ने ब्यूरोक्रेसी की एसीआर भरने का हक लेने को लेकर पिछले दिनों खूब उछलकूद की। कुछ और रत्नों ने भी उनकी हां में हां मिलाने से ब्यूरोक्रेसी में हलचल भी हुई। राज के मुंह लगे दूसरे रत्नों ने भी रूल्स आॅफ बिजनेस को सूंघासांघी की। जब सच्चाई सामने आई तो बेचारों को बैरंग लौटना पड़ा। राज का काज करने वालों ने रत्नों को समझाया कि यह सारा गुड़ गोबर हमनामों के फेर में फंसा हुआ है। इनमें एक राज के खास रत्नों में है, तो दूसरे उन्हीं के हमनाम ब्यूरोक्रेट हैं। पिछले दिनों दोनों एक ही महकमे को संभालते थे। पोस मशीनों के भुगतान को लेकर कन्या राशि वाले दोनों शेरों के बीच बिगड़ी तो, राज के  रत्न ने तैश में आकर साहब को नीचा दिखाने को लेकर फाइल तक चला दी। रत्न के इर्दगिर्द रहने वाले लोगों ने जब समझाया कि इस तरह फाइल चलाने का अधिकार नहीं है, तो रत्न भी कहां चूकने वाले थे, सो एसीआर भरने के अधिकारों की मांग कर राज तक मैसेज देने में सफल हो गए।

पंडित हुए सक्रिय
सूबे में पंडितों का भी जवाब नहीं। जब चाहे, तब ही अपना मुंह खोल देते हैं, चाहे सामने वाले यजमान का मूड खराब ही क्यों ना हो। अब देखो ना, सब कुछ ठीकठाक चल रहा था कि मंगल को हुए चन्द्रग्रहण की आड़ में बिना पूछे ही पंडित अपना मुंह खोल गए। इंदिरा गांधी भवन में बने पीसीसी के ठिकाने पर सालों से आने वाले वर्कर्स की जुबान पर पंडित जी की चर्चा जोरों पर है। पंडित जी अकेले में बोलते तो बात हजम भी हो जाती, लेकिन दस लोगों के बीच हो, तो जुबान पर आए बिना नहीं रही। पंडित जी ने मुंह खोला है कि राजनीतिक दलों में ताकतीय लोगों के लिए मंगल को हुआ चन्द्रगहण घातक साबित हो सकता है। यह भरणी नक्षत्र और मेष राशि पर लग रहा है। 

परेशानी खाकी की
सूबे के खाकी वाले साहब इन दिनों कुछ ज्यादा ही चिन्ता में हैं। इसके चलते कई साहब लोग न तो सही ढंग से खा पा रहे हैं और न ही पी पा रहे हैं। बेचारे चिन्ता के मारे दुबले होते जा रहे हैं। उनके घर वालों को भी समझ में नहीं आ रहा कि आखिर माजरा क्या है। मातहतों की तो बिसात ही नहीं कि साहब लोगों से कुछ पूछ लें। पिछले दिनों सचिवालय में आए एक लॉयन ने बड़े साहब के सामने दुखड़ा बताया तो वो भी हंसे बिना नहीं रह सके। साहब को बताया कि फेसबुक पर दोस्ती, फिर नशीला पदार्थ और बाद में दुष्कर्म की बढ़ती घटनाओं ने क्राइम के ग्राफ को इतना बढ़ा दिया कि खाकी वालों की नींद उड़ना स्वाभाविक है।

एक जुमला यह भी
सूबे में इन दिनों एक जुमला जोरों पर है। यह जुमला किसी दल से नहीं बल्कि सामाजिक सरोकारों को लेकर है, जो हर गली और चौराहों पर सुनाया जा रहा है। बड़ी चौपड़ पर चर्चा है कि पहले शादी समारोहों में बड़ा आदमी अपनी राजनीतिक ताकत का अहसास कराते थे, लेकिन अब सामाजिक ताकत को दिखाने लगे हैं। ताकत दिखाने वाले भी कोई साक्षर नहीं, बल्कि बहुत पढ़ने लिखने वाले हैं। राजा महाराजाओं तर्ज पर सिटी पैलेसों में शाही शादियों की बढ़ती संख्या से जंग लगी पालकियों और हाथी-घोड़ों की पहुंच भी बढ़ गई।

(यह लेखक के अपने विचार हैं)

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