स्वयं को व्यवस्थित करने का गुण रखने वाला ही सफलतापूर्वक जीता है : गोविन्द गिरी
श्रीमद् भगवद गीता अन्तराष्ट्रीय सम्मेलन
भगवद गीता के अद्वितीय दृष्टिकोण से व्यवसाय की चुनौतियों का सामना करना और सफलता प्राप्त करना संभव है।
जयपुर। स्वामी गोविंद देव गिरी ने कहा है कि जो व्यक्ति खुद को व्यवस्थित करने का गुण रखता है, वो जीवन को सफलतापूर्वक जीता है। जीवन में कभी भी आत्मविश्वास नहीं खोना चाहिए। वे श्रीमद् भगवद गीता अन्तराष्ट्रीय सम्मेलन (एसबीजीआईसी 2025) में ‘आधुनिक व्यवसाय प्रबंधन और नेतृत्व में भगवद् गीता’ के महत्व विषय पर इंटरनेशनल स्कूल ऑफ इन्फॉर्मेटिक्स एंड मैनेजमेंट (आईआईआईएम) में ऑनलाइन सम्बोधित कर रहे थे। मुख्य अतिथि कालरा ग्रुप के निदेशक यश कालरा ने कहा कि गीता के संदेशों को आधुनिक कार्यक्षेत्र में कैसे लागू किया जा सकता है? इस पर मंथन की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि भगवद गीता के अद्वितीय दृष्टिकोण से व्यवसाय की चुनौतियों का सामना करना और सफ लता प्राप्त करना संभव है। कालरा ने कहा कि सफलता का अर्थ अपने डर पर विजय प्राप्त करना होता है।
उन्होंने श्रीमद् भगवदगीता से उदाहरण लेते हुए कहा कि आत्मा का स्वरूप एक ही रहता है, इसी अतंस्वरूप को पहचानने की आवश्यकता है। विद्यार्थियों को गीता से प्रेरणा लेने की सलाह देते हुए कहा कि इन्सान को अपने अंर्तद्वंद्व से लड़ते हुए अपने अहंकार पर विजय प्राप्त करनी चाहिए। डॉ.अशोक गुप्ता ने कहा कि आधुनिक समय में भगवद गीता के प्रबंधन, व्यवसाय और नेतृत्व में योगदान को उजागर करने के उद्देश्य से एक ऐतिहासिक मील का पत्थर साबित हुआ है। सम्मेलन आईआईआईएम एवं इस्कॉन के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित हुआ, जिसमें देश-विदेश से कई प्रमुख वक्ताओं ने अपने विचार प्रस्तुत किए।
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