राजस्थान दिवस समारोह : पाक्षिक नाट्य योजना के तहत नाटक कौव्वों की पाठशाला का मंचन, राम-कृष्ण की भक्ति से सराबोर हुए कलाप्रेमी
महत्वपूर्ण प्रसंगों को संगीतबद्ध कर प्रस्तुत किया
जवाहर कला केंद्र की ओर से राजस्थान दिवस समारोह के अंतर्गत आयोजित कार्यक्रमों के तहत शनिवार को भक्ति प्रवाह का आयोजन हुआ
जयपुर। जवाहर कला केंद्र की ओर से राजस्थान दिवस समारोह के अंतर्गत आयोजित कार्यक्रमों के तहत शनिवार को भक्ति प्रवाह का आयोजन हुआ। इसमें पं. आलोक भट्ट व उनके दल ने ईश्वर भक्ति से राष्ट्रभक्ति तक विभिन्न गीत प्रस्तुत किए। संगीतकार आलोक भट्ट ने मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के जीवन चरित्र की संगीतमय प्रस्तुति के अंतर्गत हम सबके प्रिय राम..., राम द्वारा आचार्यों से शिक्षा ग्रहण.., ठुमक चलत रामचंद्र बाजत पैंजनियां और केवट प्रसंग जैसे महत्वपूर्ण प्रसंगों को संगीतबद्ध कर प्रस्तुत किया। इसके बाद कृष्ण भक्ति पर आधारित प्रस्तुति में वल्लभाचार्य कृत मधुराष्टक अधरं मधुरं.., महाकवि जयदेव की विष्णु स्तुति श्रित कमला, सूरदास का यशोदा हरि पालने झुलावे, परमानंद दास की ब्रज के बिरही लोग और मीरा बाई की मैं तो गिरधर आगे नाचूंगी को संगीतमय रूप में प्रस्तुत किया गया। राष्टÑ वंदन के अंतर्गत जय जय राजस्थान गीत की शानदार प्रस्तुति हुई।
शांति की खोज बनी संघर्ष का कारण: जेकेके में हुए विजय तेंदुलकर द्वारा लिखित नाटक कौव्वों की पाठशाला के मंचन का निर्देशन हर्षित वर्मा ने किया। कहानी सीए की तैयारी कर रहे विद्यार्थी के इर्द-गिर्द घूमती है, जो शांति की खोज में भटकता हुआ अपने दोस्त के घर जा पहुंचता है। यह एक हास्यपूर्ण कहानी है जो यह एहसास कराती है कि लोग जैसा दिखाते हैं उससे काफी अलग वह आपके बारे में चाहते हैं।
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