पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार ने भी कॉरिडोर हटाने का भेजा था प्रस्ताव, केन्द्र ने कॉरिडोर हटाने से कर दिया था इनकार
अभी बीआरटीएस कॉरिडोर हटाना आसान नहीं
बीआरटीएस को हटाने से केन्द्र ने इंकार कर दिया है, हम नहीं हटा सकते, इसमें सुधार के प्रयास होंगे।
जयपुर। राजधानी जयपुर में सीकर रोड और न्यू सांगानेर रोड पर केन्द्र में यूपीए सरकार के समय जेएनएनयूआरएम के तहत 170 करोड़ की लागत से निर्मित किए गए बीआरटीएस कॉरिडोर को सीआरआरआई की रिपोर्ट को आधार मानते हुए जेडीए ने हटाने का निर्णय लिया है। हालांकि इससे पहले कांग्रेस सरकार ने भी कॉरिडोर को हटाने का प्रस्ताव केन्द्र सरकार को भेजा था, लेकिन केन्द्र ने कॉरिडोर पर लागत राशि ब्याज सहित वापस लौटाने का हवाला देने के साथ ही भविष्य में सार्वजनिक परिवहन प्रणाली के तहत किसी तरह की सहायता राशि मुहैया नहीं करवाने की शर्त लगाते हुए इंकार कर दिया था। कांग्रेस सरकार में जब ये मामला विधानसभा में उठा तो सरकार की ओर से जवाब में कहा था कि बीआरटीएस को हटाने से केन्द्र ने इंकार कर दिया है, हम नहीं हटा सकते, इसमें सुधार के प्रयास होंगे।
एमपी में हटाया कॉरिडोर
जेएनएनयूआरएम के तहत देश के कई शहरों में बीआरटीएस कॉरिडोर तैयार किए गए थे, हालांकि अधिकतर शहरों में इसकी उपयोगिता सही साबित हुई, लेकिन कुछ शहरों में सफल नहीं हो सके। विभिन्न स्टडी रिपोर्ट के बाद भोपाल में हट चुका है, जबकि इंदौर में भी हटाने पर निर्णय हो चुका है।
2010 में शुरू हुआ कॉरिडोर
वर्ष 2010 में सीकर रोड पर और वर्ष 2015 में अजमेर रोड पर बीआरटीएस कॉरिडोर में बसों का संचालन शुरू किया गया।
कॉरिडोर की लंबाई
सीकर रोड पर एक्सप्रेस वे से अंबाबाड़ी तक 7.1KM
अजमेर रोड से किसान धर्मकांटे होते हुए न्यू सांगानेर रोड-बी टू बाइपास तिराहा तक 9KM
सीआरआरआई की रिपोर्ट में क्या खास
सीकर रोड और न्यू सांगानेर रोड़ पर मौजूदा बीआरटीएस कॉरिडोर की उपयोगिता को लेकर मौजूदा सरकार ने केन्द्रीय सड़क अनुसंधान संगठन (सीआरआरआई)से स्टडी करवाई। सीआरआरआई ने जो रिपोर्ट सौंपी उसमें बताया गया है कि या तो कॉरिडोर को हटा दिया जाए या फिर इस सिस्टम को पूरी तरह से लागू किया जाए। इसके बाद जेडीए ने हटाने का प्रस्ताव पारित किया है। हालांकि प्रस्ताव अभी तक नगरीय विकास विभाग को नहीं मिला हैं।
ये कार्य नहीं हो सके
कॉरिडोर में पैदल चलने वालों और यात्रियों के लिए ऑफ बोर्ड टिकटिंग की सुविधा, इंटेलिजेंट ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम और पूरे सिस्टम के लिए कंट्रोल रूम सुविधाएं विकसित की जानी थी, लेकिन इसकी तरफ कोई ध्यान नहीं दिया गया, जिससे उद्देश्य पूरा नहीं हो सका।
ये राशि खर्च
बीआरटीएस कॉरिडोर की निर्माण लागत सीकर रोड पर 71.49 करोड़, अजमेर रोड न्यू सांगानेर रोड 86.51 करोड़ और अतिरिक्त बीआरटीएस परियोजना में अजमेर रोड एलीवेटेड रोड लगभग 260.00 करोड़, दुर्गापुरा एलीवेटेड रोड लगभग 90.00 करोड है। इस प्रकार प्राधिकरण की ओर से जयपुर बीआरटीएस परियोजना पर अब तक कुल 508.74 करोड़ का व्यय किया जा चुका है।
क्यों बनी समस्या
बीआरटीएस कॉरिडोर का उदेश्य शहरी सार्वजनिक परिवहन की बसों के लिए अलग से कॉरिडोर उपलब्ध कराना था, ताकि इसमें सफर करने वाले लोग अन्य वाहनों की बजाय कम समय में यात्रा कर सकें, लेकिन मॉनिटरिंग के अभाव में इस कॉरिडोर में शहरी परिवहन की बसों के साथ अन्य वाहन भी चलाने की अनुमति दे दी गई, जिससे कॉरिडोर लोगों के लिए मुसीबत बन गया।
धारीवाल ने बोला था
विधानसभा में एक सवाल के जवाब में कहा था कि बीआरटीएस को हटाने से केन्द्र ने इंकार कर दिया है, हम नहीं हटा सकते, इसमें सुधार के प्रयास होंगे।
शांति धारीवाल, तत्कालीन यूडीएच मंत्री
बी आरटीएस कॉरिडोर को हटाने का अभी जेडीए का प्रस्ताव है, प्रस्ताव का परीक्षण करवाया जाएगा, उसके बाद निर्णय लिया जाएगा।
झाबर सिंह खर्रा, यूडीएच मंत्री
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