डिजिटलाइजेशन के दौर में भी नगर निगम ऑफलाइन कर रहा सामुदायिक भवनों की बुकिंग
पहले आओ पहले पाओ के आधार पर हो रहा आवंटन
नगर निगम कोटा दक्षिण की ओर से हाल ही में अपने सामुदायिक भवनों का किराया कई गुना बढ़ा दिया गया है। जबकि उनकी न तो दशा सुधारी है और न ही जीर्णोद्धार किया गया व सुविधाएं बढ़ाई गई है।
कोटा । देश में जहां डिजिटलाइजेशन तेजी से बढ़ रहा है। काम में पारदर्शिता लाने के लिए हर काम आॅनलाइन कर दिया है। उस स्थिति में भी नगर निगम में सामुदायिक भवनों की बुकिंग आॅफलाइन ही की जा रही है। जबकि स्वायत्तशासी संस्था होने के बावजूद भी कोटा विकास प्राधिकरण में सामुदायिक भवनों की बुकिंग आॅनलाइन की जा रही है। नगर निगम कोटा दक्षिण की ओर से हाल ही में अपने सामुदायिक भवनों का किराया कई गुना बढ़ा दिया गया है। जबकि उनकी न तो दशा सुधारी है और न ही जीर्णोद्धार किया गया व सुविधाएं बढ़ाई गई है। यहां तक की सिस्टम में भी कोई सुधार या बदलाव नहीं किया गया है। उसके बाद भी किराया कई गुना बढ़ाने से आमजन पर आर्थिक भार डाला जा रहा है। जिसका कांग्रेस के ही नहीं भाजपा के पार्षद भी विरोध जता रहे है। नगर निगम कोटा दक्षिण आयुक्त द्वारा सामुदायिक भवन बुकिंग के जारी नियमों में इसका स्पष्ट उल्लेख किया गया है कि बुकिंय या जानकारी के लिए निगम कार्यालय ही जाना पड़ेगा। मोबाइल फोन पर बुकिंग या जानकारी उपलब्ध नहीं होगी। बुकिंग के लिए फोन पर नाम तक नहीं लिखा जाएगा। ऐसे में व्यक्ति को मजबूरन समय व पेट्रोल खर्च कर निगम कार्यालय ही जाना पड़ेगा। साथ ही बुकिंग पहले आओ पहले पाओ के आधार पर की की जाएगी। जबकि नगर निगम में एकल विंडों में जन्म, मृत्यु व विवाह प्रमाण पत्र आॅनलाइन बनाए जा रहे है। नाम ट्रांसफर की फाइलें आॅनलाइन अपलोड कवाई जा रही है। उसके बावजूद सिर्फ सामुदायिक भवनों की बुकिंग आॅफलाइन की जा रही है। जिससे लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। बुकिंग के लिए जाना पड़ रहा निगम कार्यालय: नगर निगम में सामुदायिक भवनों की बुकिंग शुरुआत से आॅफलाइन की जा रही है। कोटा उत्तर व दक्षिण में विभाजन करने के बाद वार्डों की संख्या तो बढ़ा दी लेकिन सामुदायिक भवनों की बुकिंग व्यवस्था में सुधार नहीं किया। जिससे किसी को भी यदि निगम का सामदायिक भवन या भीतरिया कुंड का बरामदा बुक करवाना है तो उसके लिए उन्हें नगर निगम कार्यालय ही जाना पड़ रहा है। यहां राजस्व अनुभाग द्वारा भवनों की बुकिंग की जा रही है। दो निगम होने से यदि किसी को जानकारी नहीं है तो वह इधर से इधर घूमता ही रहता है। शहर के विकास व विस्तार के साथ ही नई बसी कॉलोनियों की दूरी भी बढ़ी है। ऐसे में रेलवे कॉलोनी का व्यक्ति हो या सोगरिया का। श्रीनाथपुरम् का हो या नयागाव का। उसे निगम के किसी भी सामुदायिक भवन की बुकिंग के लिए काफी दूरी तय कर निगम कार्यालय जाना पड़ रहा है। जहां आने-जाने के अलावा वहां की औपचारिकताएं पूरी करने में समय अधिक लग रहा है।
अवकाश के दिनों में बुकिंग नहीं
निगम में आॅफलाइन बुकिंग होने से शनिवार व रविवार को तो सार्वजनिक अवकाश रहते ही है। इनके अलावा भी अन्य अवकाश के दिनों में यदि किसी को इमरजेंसी में भवन बुक करवाना पड़ रहा है तो वह नहीं करवा सकता। उसे कार्यालय समय में यह काम करवाना पड़ रहा है। साथ ही इस काम के लिए निगम में एक या दो कर्मचारी इसी काम में लगे हुए हैं। जबकि कार्यालय में कर्मचारियों की पहले से ही कमी है।
केडीए में आॅनलाइन बुकिंग सुविधा
इसके विपरीत कोटा विकास प्राधिकरण में सामुदायिक भवनों की बुकिंग आॅनलाइन की जा रही है। इसके लिए केडीए की ओर से पोर्टल व वेबसाइड जारी की हुई है। जिस पर व्यक्ति मोबाइल से, ई मित्र से या घर बैठे भी अपनी पसंद के सामुदायिक भवन को बुकिंग करवा सकता है। राशि भी आॅनलाइन ही जमा की जा रही है। जिससे व्यक्ति का समय व धन दोनों की बचत हो रही है। सुरक्षा राशि की वापसी भी आॅनलाइन ही बैंक खाते में रिटर्न की जा रही है। केडीए में इस काम के लिए न तो किसी कर्मचारी को लगाया हुआ है और न ही अतिरिक्त खर्चा करना पड़ रहा है। लोगों को भी परेशानी का अधिक सामना नहीं करना पड़ रहा। हालांकि कुछ लोगों का कहना है कि आॅनलाइन बुकिंग में कई बार सर्वर डाउन रहने, वेबसाइड की जानकारी नहीं होने और बुकिंग के बाद सुरक्षा राशि रिटर्न होने में लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। साथ ही आॅनलाइन होने से इस बारे में कोई स्पष्ट जानकारी देने वाला तक नहीं है।
आॅनलाइन बुकिंग शुरु करने की मांग
निगम कोटा दक्षिण के नेता प्रतिपक्ष विवेक राजवंशी व अन्य पार्षदों का कहना है कि केडीए की तरह ही नगर निगम में भी सामदायिक भवनों की बुकिंग आॅनलाइन शुरु की जानी चाहिए। जिससे लोग घर बैठे व अवकाश के दिन भी बिना किसी परेशानी के सामुदायिक भवनों की बुकिंग करवा सके। महापौर राजीव अग्रवाल का कहना है कि सामुदायिक भवनों की आॅन लाइन बुकिंग होने से लोगों को सुविधा होगी। निगम प्रशासन को भी मशक्कत नहीं करनी पड़ेगी। इधर नगर निगम अधिकारियों का कहना है कि फिलहाल निगम के स्तर पर आॅनलाइन व्यवस्था शुरु करने की कोई योजना नहीं है। आयुक्त द्वारा हाल ही में जारी नई गाइड लाइन व नियमों में सामुदायिक भवनों की आॅफलाइन बुकिग का ही प्रावधान किया है। जबकि आॅनलाइन में सुविधा है। आॅफलाइन में धरोहर राशि रिटर्न करने के लिए फिर से पूरी फाइल व पत्रावली चलानी पड़ती है।
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