एशियन पॉवर लिफ्टिंग में शोभा ने जीता गोल्ड
मास्टर केटेगिरी की सिरमौर बनी
एशियन एशियन पॉवर लिफ्टिंग चैंपियनशिप के मास्टर केटेगरी में स्वर्ण पदक प्राप्त करने वाली शोभा माथुर पावर लिफ्टिंग में हाथ आजमा चुकी हाड़ौती की उन महिला खिलाड़ियों में से एक नाम ऐसा है भी जिसके जज्बे और आत्मविश्वास के आगे इनके जीवन की कई विपरित परिस्थितियों ने भी हार मान ली।
कोटा । सात मई वर्ल्ड एथलीट डे की सुबह कोटा के लिए दोहरी खुशियां लेकर आई । एक ओर सिन्थेटिक ट्रेक का उद्घाटन होने के बाद बालिकाओं ने दौड़ लगाकर अपनी क्षमता और सामर्थ्य दिखाया तो दूसरी ओर कोटा की ही शोभा माथुर ने केरल में आयोजित एशियन पॉवर लिफ्टिंग चैंपियनशिप में स्वर्ण पाकर अपने नाम को गौरान्वित किया। इतना ही नहीं प्रतियोगिता के बाद माथुर को स्ट्रांग वूमन इन एशिया की रनर अप के खिताब से भी नवाजा गया। पिछले कुछ समय से कोटा ने देश में अपनी अलग पहचान बनाई है। हाल ही के दिनों की बात करें तो कोटा की बेटी फैमिना मिस इंडिया बनी, 7 मई को ही कोटा को सिन्थेटिक टेÑक की सौगात मिली है। इन सबके बीच कोटावासियों को एक और खुशियों का गुलदस्ता यहां की ही शोभा माथुर ने दिया है। जिसने केरल में आयोजित एशियन पॉवर लिफ्टिंग चैंपियनशिप में 63 से 69 किलोग्राम के मास्टर केटगरी वर्ग में गोल्ड मेडल हासिल कर सफलता के शिखर पर स्थान बनाया है। प्रतियोगिता के दौरान ही माथुर स्ट्रांग वूमन इन एशिया की रनर अप भी रही है। जो अपने आप में बहुत बड़ी और कोटावासियों के लिए गर्व करने की बात है। केरल में आयोजित इस एशियन पॉवर लिफ्टिंग प्रतियोगिता में भारत, हॉंगकांग, इंडोनेशिया, ईरान, कजाकिस्तान, फिलिफिंस, उजबेक्सितान, ओमान तथा मंगोलिया सहित 11 देशों के लगभग 250 खिलाड़ियों ने भाग लिया था।
पॉवर लिफ्टर की जिन्दगी के कुछ अनछुएं पहलू
एशियन एशियन पॉवर लिफ्टिंग चैंपियनशिप के मास्टर केटेगरी में स्वर्ण पदक प्राप्त करने वाली शोभा माथुर पावर लिफ्टिंग में हाथ आजमा चुकी हाड़ौती की उन महिला खिलाड़ियों में से एक नाम ऐसा है भी जिसके जज्बे और आत्मविश्वास के आगे इनके जीवन की कई विपरित परिस्थितियों ने भी हार मान ली। कुछ साल की प्रैक्टिस में तमाम विपरितताओं के बाद भी ये महिला खिलाड़ी पावर लिफ्टिंग में दो बार नेशनल खेल चुकी हैं। जिसमें एक बार गोल्ड और दूसरी बाद सिल्वर मेडल प्राप्त किया है और इससे भी ज्यादा हाड़ौती के लिए गर्व की बात तो ये है कि इस महिला खिलाड़ी का हाल ही में केरल में आयोजित हुई होने वाली एशिया पावर लिफ्टिंग प्रतियोगिता में पूरे राजस्थान में से चयन किया गया है। पेशे से सरकारी शिक्षक लगभग 50 वर्षीय शोभा माथुर के पति का स्वर्गवास वर्ष 2018 में हो गया था। इनके तीन संतान हैं। पति की असामायिक मृत्यु के बाद बच्चों आदि की जिम्मेदारी इनके कंधों पर आ पड़ी तो मानसिक तनाव होना लाजमी था लेकिन इन्होंने आत्मविश्वास और दूसरों की हौंसला अफजाई से उन परिस्थितियों को खुद पर हावी नहीं होने दिया तथा परिवार और नौकरी के साथ स्पोटर्स की ओर ध्यान देना शुरू किया और महज कुछ सालों की मेहनत में ही खुद की पहचान एशिया लेवल पर बना ली है। नवज्योति से खास बातचीत में पावर लिफ्टर शोभा बताती हैं कि पति की मौत के बाद खुद, बच्चों तथा परिवार को संभाला। मेरा स्पोटर्स में शुरू ही ध्यान रहा हैं। अधिकांश खेल टीम के साथ खेले जाते हैं परन्तु मेरा मन व्यक्तिगत खेल चुनने का हुआ तो मैने पावर लिफ्टिंग को चुना। रोजाना करीब डेढ़ से दो घंटे अभ्यास करती हंू। शोभा बताती है कि जब भी कोई व्यक्ति सफल होता है तो उसकी सफलता के पीछे पूरी टीम का साथ होता है। वह बताती है कि इस खेल को पहले लड़कों का खेल माना जाता था लेकिन अब इसमें लड़कियां काफी आगे बढ़ चुकी हैं। अगर इनको सही प्रोत्साहन और संसाधन उपलब्ध करवाएं जाएं तो ये बहुत आगे तक बढ़ सकती है।

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