migratory birds
राजस्थान  कोटा 

500 नन्हें परिंदों ने लिया जन्म, कोटा की फिजां में भर रहे उड़ान

500 नन्हें परिंदों ने लिया जन्म, कोटा की फिजां में भर रहे उड़ान तालाब के पानी में अठखेलियां व हवा में कलाबाजी करते नन्हें परिंदों को देखने के लिए दूर-दराज से बर्ड्स वॉचर पहुंच रहे हैं।
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राजस्थान  बूंदी 

परिंदों के कलरव से आबाद हुए बूंदी के जलाशय

परिंदों के कलरव से आबाद हुए बूंदी के जलाशय यूरोप महाद्वीप से आने वाले यूरोपियन पिनटेल व नोर्थन शोवलर भी बूंदी के अधिकांश जल-स्रोतों पर दस्तक दे चुके है। इसी प्रकार गुजरात में कच्छ के रण से आने वाले अन्तरप्रवासी ग्रेटर-फ्लेमिंगो व जिले के बरधा बांध तक सिमटे सारस पक्षी भी आकर्षण का केंद्र बने हुए है।
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राजस्थान  बूंदी 

मध्य यूरोप के प्रवासी परिंदों को भी रास आई बून्दी की आबोहवा

मध्य यूरोप के प्रवासी परिंदों को भी रास आई बून्दी की आबोहवा जिले के प्रमुख वेटलैंड तालेड़ा क्षेत्र के बरधा बांध, बून्दी की जैतसगर झील, गुढ़ानाथावतान क्षेत्र में भीमलत-अभयपुरा बांध, रामनगर वेटलैंड, हिंडोली के रामसागर,गुढ़ा बांध, दुगारी के कनक सागर सहित मेज, कुरेल, व चम्बल नदियों में बड़ी संख्या में प्रवासी पक्षियों की जलक्रीड़ा आकर्षण का केंद्र बनी हुई है।
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राजस्थान  दौसा 

प्रवासी पक्षी ‘पेंटेड स्टोर्क’ ने मोरेल बांध पर डाला डेरा

प्रवासी पक्षी ‘पेंटेड स्टोर्क’ ने मोरेल बांध पर डाला डेरा मोरेल बांध का अनुकूल वातावरण, भोजन की उपलब्धता एवं बड़े वृक्षों की मौजूदगी इन पक्षियों को यहां प्रजनन के लिए आकर्षित करती है। प्रजनन अगस्त से मार्च के महीने में इनका प्रजननकाल होता है। मोरेल बांध को अपना स्थायी आवास बना रहे पेंटेड स्टोर्क की संख्या एक वृक्ष पर 10 से 40 तक देखी गई है।
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राजस्थान  कोटा 

गर्मी से बार हेडेड गूंज बैचेन, वापसी की करने लगे तैयारी

गर्मी से बार हेडेड गूंज बैचेन, वापसी की करने लगे तैयारी तापमान में बढ़ोतरी के साथ प्रवासी पक्षी बैचेन हो उठे है। बोराबास में प्रवासी पक्षी बारहेडेड गूज का जमावडा लगा हुआ है। इनकी 70 से 80 संख्या में मौजूदगी दर्ज की जा रही है।अब इनका अंतिम पडाव है। गर्मी की शुरूआत होते ही यह वतन को लौट जाएंगे।
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राजस्थान  कोटा 

यूक्रेन-रूस से प्रवासी पक्षियों पर आया संकट

यूक्रेन-रूस से प्रवासी पक्षियों पर आया संकट हर साल बड़ी तादाद में हजारों किलोमीटर का सफर तय कर प्रवासी पक्षी यहां आते हैं। लेकिन, वहां युद्ध की स्थिति में प्रवासी पक्षियों पर भी वापसी का संकट आ गया है। युद्ध की स्थिति में उनका यूक्रेन-रूस में रहना संभव नहीं होगा। ऐसी स्थिति में ये प्रवासी पक्षी अन्य देशों में डायवर्ट होंगे।
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