1857 fight
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Read More... बेमिसाल क्रांतिकारी केसरी सिंह बारहठ, जिन्होंने भाई, पुत्र और बहनोई तक को क्रांति की राह पर डाला, पुत्र प्रताप सिंह 22 की उम्र में शहीद
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क्रांति के मामले में राजस्थान में सबसे बड़ा योगदान ठाकुर केसरीसिंह बारहठ और उनके परिवार का था। 1872 में शाहपुरा भीलवाड़ा के निकट पैतृक जागीर के गांव देवपुरा में पैदा बारहठ कई भारतीय भाषाओं के ज्ञाता थे। 1857 में राजस्थान के सूरमाओं का दिल्ली कूच
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ह 1857 के शुरूआती दिन थे, जब लगता था कि अंग्रेजों से पार पाना अब मंजिलें दुश्वार है; लेकिन जोधपुर में स्थित एरिनपुरा छावनी में ब्रिटिश फौज के राजस्थानी बहादुरों ने सिर ऊंचा करके हथियार लहराए और अंग्रेजों के खिलाफ बगावत कर दी। 