पेगासस के जिन्न से यूरोपीय देश भी परेशान, फ्रांस के राष्ट्रपति ने बदला फोन तो हंगरी में मामले की जांच शुरू
पेगासस के जरिए खास लोगों की जासूसी का मामला सामने आने के बाद से हर कोई हैरान है। पेगासस के द्वारा जिन लोगों की जासूसी किए जाने की जानकारी सामने आई है उसमें फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों का नाम भी शामिल है। इसको देखते हुए उन्होंने बिना देर लगाए अपना नंबर बदल दिया है।
पेरिस। पेगासस के जरिए खास लोगों की जासूसी का मामला सामने आने के बाद से हर कोई हैरान है। पेगासस के द्वारा जिन लोगों की जासूसी किए जाने की जानकारी सामने आई है उसमें फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों का नाम भी शामिल है। इसको देखते हुए उन्होंने बिना देर लगाए अपना नंबर बदल दिया है। इसकी जानकारी राष्ट्रपति कार्यालय की तरफ से दी गई है। राष्ट्रपति कार्यालय की तरफ से इस संबंध में बताया गया है कि मैक्रों कई फोन का इस्तेमाल करते हैं। इसका अर्थ ये भी नहीं है कि उनकी जासूसी की ही जा रही हो। इसके बाद भी ऐसा अतिरिक्त सुरक्षा के लिए किया गया है। फ्रांस सरकार के प्रवक्ता की तरफ से कहा गया है कि राष्ट्रपति सुरक्षा के लिए भी कुछ और कदम उठाए जा रहे हैं। प्रवक्ता के मुताबिक, सरकार ने इसको गंभीरता से लिया है।
मोरक्को के कहने पर मैक्रों की जासूसी
आपको बता दें कि 19 जुलाई को पहली बार ये बात सामने आई थी कि इजरायली कंपनी स्पाइवेयर पेगासस के जरिए कई लोगों की जासूसी की जा रही है। जिन लोगों की जासूसी की जा रही है उसमें सरकार से जुड़े कई मंत्री, पत्रकार, मानवाधिकार कार्यकर्ता आदि शामिल है। रेडियो फ्रांस के हवाले से बताया है कि मोरक्को के कहने पर मैक्रों की जासूसी की जा रही थी। हालांकि, खुद राष्ट्रपति ने इन खबरों को गलत बताया है। वहीं, इस बात की पुष्टि नहीं की गई है कि मैक्रों की जासूसी की जा रही थी या नहीं। गौरतलब है कि मैक्रों की मोरक्को द्वारा जासूसी कराने की जानकारी एमनेस्टी इंटरनेशनल और फॉरबिडन स्टोरीज ने की थी। इसके खिलाफ मोरक्को ने कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए दोनों के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर किया है।
जांच के लिए एक टीम का गठन
हंगरी में भी शिकायतें मिलने के बाद इसकी जांच शुरू कर दी गई है। उधर इजरायल ने भी इसको गंभीरता से लिया है और इसकी जांच के लिए एक टीम का गठन किया है। ये टीम मीडिया संस्थानों की खबरों का आकलन करेगी। इस पूरे मामले पर पेगासस की कंपनी एनएसओ ने कहा है कि उसका ये प्रोग्राम केवल अपराध और आतंकवाद से लड़ने के लिए है। कंपनी का ये भी कहना है कि यदि उन्हें ऐसी कोई शिकायत मिलती है तो वो उस देश को सूची से बाहर कर सॉफ्टवेयर वापस भी ले सकती है।
दुरुपयोग करने वाले देशों को सुविधा नहीं मिले
पेगासस का जिन्न केवल फ्रांस में ही नहीं निकल रहा है, बल्कि इसकी वजह से कई देशों की चिंता बढ़ गई है। भारत में भी इसको लेकर राजनीतिक गलियारों में हंगामा जोरों पर है। वहीं, फ्रांस के अलावा अन्य यूरोपीय देशों का भी यही हाल है। पेगासस के जरिए जासूसी कराए जाने का मामला सामने आने के बाद जर्मनी की चांसलर एजेंला मर्केल ने कहा कि इसकी समझ न रखने वाले देशों और इसका दुरुपयोग करने वाले देशों को इसकी सुविधा नहीं दी जानी चाहिए।
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