विरासत की काया को मरहम से मिला मुकाम, बदला रूपरंग

परकोटे के एतिहासिक दरवाजों की काया पलटी, प्राचीन स्वरूप के साथ आकर्षण का केन्द्र बने 25 साल पुराने गेट

विरासत की काया को मरहम से मिला मुकाम, बदला रूपरंग

नगर विकास न्यास की ओर से शहर में परकोटे के एतिहासिक दरवाजों का सौन्दर्यीकरण कराया जा रहा है। जिससे उनका रूप निखरने लगा है। सभी पांच दरवाजों का प्राचीन स्वरूप बनाए रखते हुए ये आकर्षण का केन्द्र भी बन रहे हैं।

कोटा। नगर विकास  न्यास की ओर से  शहर में परकोटे के एतिहासिक दरवाजों का सौन्दर्यीकरण कराया जा रहा है। जिससे उनका रूप निखरने लगा है। सभी पांच दरवाजों का प्राचीन स्वरूप बनाए रखते हुए ये आकर्षण का केन्द्र भी बन रहे हैं। न्यास द्वारा सूरजपोल के दोनों प्रमुख दरवाजों, लाड़पुरा, पाटनपोल व किशोरपुरा के दरवाजों का रूप निखारा जा रहा है। करोड़ों रुपए की लागत से सभी पांचों दरवाजों पर न केवल रंग रोगन किया गया। वरन् कलात्मक पेंटिंग की जा रही है। दरवाजों का प्राचीन व मूल स्वरूप बनाए रखते हुए उन्हें नया लुक दिया जा रहा है। बरसों से एक ही स्थिति में रहने के कारण सभी दरवाजे जाम हो गए थे। जिससे वे न तो खुल रहे थे और न ही बंद हो रहे थे। 

सौन्दर्यीकरण के तहत उन सभी दरवाजों की साफ सफाई की गई और आस-पास के फसाड़ को भी हटाया गया। जिससे अब ये सभी दरवाजे पूर्व की तरह  खुल व बंद भी हो सकेंगे।  इतिहासकारों के अनुसार परकोटे के ये सभी एतिहासिक दरवाजे करीब 325 साल पुराने हैं। इन दरवाजों के बंद होने से परकोटा पूरी तरह से सुरक्षित हो जाता था। लाड़पुरा दरवाजे के पास पुलिस चौकी स्थापित थी। जिसे फिर से नए रूप में वहां स्थापित किया जा रहा है। जबकि दरवाजे के काम के दौरान पुलिस चौकी को बीनबाजा में शिफ्ट कर दिया था। स्वायत्त शासन मंत्री शांति धारीवाल द्वारा दो साल पहले कोटा शहर का भ्रमण किया गया था। उस समय उन्होंने विकास की कई योजनाओं को लागू किया था। उसी समय शहर के परकोटे में बने पांचों एतिहासिक दरवाजों के सौन्दर्यीकरण की भी योजना बनवाई थी। उस योजना के तहत सभी दरवाजों के  मूल प्राचीन स्वरूप को बनाए रखते हुए उनका सौन्दर्यीकरण कराने के निर्देश दिए थे।
नगर विकास न्यास के अधिकारियों ने सभी दरवाजों का रूप निखारने की योजना बनाई। उस पर पिछले साल फरवरी 2021 में काम भी शुरु हो गया था। अधिकतर काम पूरा होने के कगार पर है।

सैनिक के हाथ में फिर थमाई तलवार
वहीं जानकारों का कहना है कि न्यास द्वारा इन दरवाजों का सौन्दर्यीकरण तो किया जा रहा है। लेकिन उनकी सुरक्षा के भी पुख्ता इंतजाम होने चाहिए। वरना जिस तरह से गत दिनों सूरजपोल दरवाजे पर बनाए गए सैनिक के हाथ से कुछ लोग तलवार चुराकर ले गए थे। उसी तरह से अन्य सामान भी चोरी हो सकते हैं। वहीं संवेदक द्वारा आनन-फानन में बुधवार को सैनिक के हाथ में फिर से तलवार थमा दी है।

पर्यटकों को आकर्षित करेंगे दरवाजे
इधर नगर विकास न्यास के अधिकारियों का कहना है कि शहर के सभी पांचों एतिहासिक दरवाजों का सौन्दर्यीकरण किया जा रहा है। यह काम अंतिम चरण में है। इनके तैयार होने के बाद ये शहर वासियों के साथ ही बाहर से आने वाले पर्यटकों के लिए भी आकर्षण का केन्द्र होंगे।

पहले 11 दरवाजे थे
शहर  में वर्तमान में मात्र 5 ही दरवाजे हैं। जिनका न्यास द्वारा रूप निखारा जा रहा है। जबकि इतिहासकारों के अनुसार पूर्व में शहर में 11 एतिहासिक दरवाजे थे। लेकिन समय के साथ सूरजपोल व कैथूनपोल समेत कई जगह के दरवाजे  धीरे-धीरे खत्म कर दिए। बुजुर्गों का कहना है कि उन्होंने कैथूनीपोल थाने के सामने संतोषी माता मंदिर के पास और सूरजपोल में भी दरवाजों को देखा है। सूरजपोल में पुराने शहर से गुमानपुरा की तरफ आने वाला दरवाजा नया बनाया गया है।

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