RBI मौद्रिक नीति समिति की बैठक: नीतिगत दरों में कोई बदलाव नहीं, GDP ग्रोथ 9.5% रहने का अनुमान

RBI मौद्रिक नीति समिति की बैठक: नीतिगत दरों में कोई बदलाव नहीं, GDP ग्रोथ 9.5% रहने का अनुमान

महंगाई बढ़ने और कोरोना की दूसरी लहर के बाद आर्थिक गतिविधियों के पटरी पर लौटने का हवाला देते हुए भारतीय रिजर्व बैंक ने रेपो दर तथा अन्य नीतिगत दरों को यथावत रखने का फैसला किया है। आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि वित्त वर्ष 2021-22 में वास्तविक जीडीपी की विकास दर 9.5 प्रतिशत रहने की उम्मीद है।

मुंबई। महंगाई बढ़ने और कोरोना की तीसरी लहर की आशंकाओं के बीच आर्थिक गतिविधियों के पटरी पर लाने के उद्देश्य से भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने रेपो दर तथा अन्य नीतिगत दरों को 7वीं बार यथावत रखने का फैसला किया है। आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास की अध्यक्षता में केंद्रीय बैंक की मौद्रिक नीति समीति की शुक्रवार को समाप्त हुई 3 दिवसीय बैठक में सभी नीतिगत दरों को अपरिवर्तित रखने का निर्णय किया गया। रेपो दर को 4 प्रतिशत, रिवर्स रेपो दर को 3.35 प्रतिशत, मार्जिनल स्टैंडिंग फैसिलिटी दर को 4.25 प्रतिशत और बैंक दर को 4.25 प्रतिशत पर स्थिर रखा गया है। नकद आरक्षी अनुपात 4 प्रतिशत और एसएलआर 18 प्रतिशत पर बना रहेगा। बैठक के बाद दास ने बताया कि वित्त वर्ष 2021-22 में वास्तविक जीडीपी की विकास दर 9.5 प्रतिशत रहने की उम्मीद है। अर्थव्यवस्था धीरे-धीरे पटरी पर आ रही है। साथ ही इस साल कुछ विलंब के बाद मानसून में सुधार होने से खरीफ की बुआई में तेजी आई है। आने वाले दिनों में कोविड-19 टीकाकरण भी गति पकड़ेगा। ये सभी कारक अर्थव्यवस्था को गति देंगे।

कोरोना की दूसरी लहर के चलते अप्रैल-मई के दौरान देश के कई हिस्सों में लगाई गई सख्त पाबंदियों से भारतीय अर्थव्यवस्था पर असर पड़ा है, ऐसे में तीसरी लहर की आशंकाओं के बीच यह बैठक बेहद अहम है। हर दो महीने में भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति की बैठक होती है। इस बैठक में अर्थव्यवस्था में सुधार पर चर्चा की जाती है और साथ ही ब्याज दरों का फैसला लिया जाता है। रिजर्व बैंक ने आखिरी बार 22 मई 2020 को नीतिगत दरों में बदलाव किया था। दास ने कहा कि केन्द्रीय बैंक के मौद्रिक रुख को उदार बनाए रखा गया है। उदार रुख पर 6 में से 5 सदस्य सहमत थे। रिजर्व बैंक ने चालू वित्त वर्ष 2021-22 में देश की वास्तविक जीडीपी में 9.5 फीसदी की तेजी का अनुमान लगाया है। इस वित्त वर्ष की पहली तिमाही में यह 21.4 फीसदी होगी, दूसरी तिमाही में 7.3 फीसदी, तीसरी तिमाही में 6.3 फीसदी और चौथी तिमाही में 6.1 फीसदी। वित्त वर्ष 2022-23 में देश की वास्तविक जीडीपी 17.2 फीसदी रह सकती है।

महंगाई पर उन्होंने कहा कि वित्त वर्ष 2021-2022 में खुदरा महंगाई 5.7 फीसदी रह सकती है। पिछली बैठक में 5.1 फीसदी का अनुमान लगाया गया था। दूसरी तिमाही में महंगाई दर 5.9 फीसदी रह सकती है, तीसरी तिमाही में 5.3 और चौथी तिमाही में यह 5.8 फीसदी हो सकती है। वित्त वर्ष 2022-2023 की पहली तिमाही में यह 5.1 फीसदी रह सकती है। उन्होंने कहा कि वृद्धि के लिए नीतिगत समर्थन की जरूरी है। केंद्रीय बैंक का ध्यान सप्लाई और डिमांड को बेहतर करने पर है। उन्होंने कहा कि टीकाकरण से अर्थव्यवस्था को रफ्तार मिलने की उम्मीद है। कोरोना वायरस महामारी की दूसरी लहर से अब अर्थव्यवस्था उबर रही है। टीकाकरण बढ़ने से आर्थिक गतिविधियां भी बढ़ी है और जून के मुकाबले जुलाई में आर्थिक सुधार बेहतर रहा लेकिन कोरोना की तीसरी लहर के प्रति चौकन्ना रहने की जरूरत है।

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