जयपुर के तीन उप पंजीयक कार्यमुक्त, 44 कार्मिकों को नोटिस, सात लिपिक एपीओ
ई-ग्रास चालान के दुरुपयोग व बिना शुल्क चुकाए दस्तावेजों के पंजीयन के मामले में बड़ी कार्रवाई : 7.94 करोड़ की राजस्व अपवंचना
अजमेर। पंजीयन एवं मुद्रांक विभाग ने ई-ग्रास चालान का दुरुपयोग कर बिना शुल्क चुकाए दस्तावेजों का पंजीयन कराने के मामले में दस्तावेजों के सत्यापन में लापरवाही बरतने वाले तीन उप पंजीयकों को कार्यमुक्त कर उन्हें राजस्व मण्डल भेज दिया है। जबकि 44 कर्मचारियों को कारण बताओ नोटिस जारी करते हुए 7 लिपिकों को एपीओ कर दिया गया है। इनके अलावा गड़बड़ी करने वाले 19 स्टाम्प वैंडरों के लाइसेंस निरस्त कर उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई गई है। पंजीयन एवं मुद्रांक विभाग के महानिरीक्षक महावीर प्रसाद ने बताया कि उप पंजीयक जयपुर (पंचम) साधना शर्मा, उप पंजीयक जयपुर (दशम) राजीव बड़गूजर तथा कार्यवाहक उप पंजीयक जयपुर (द्वितीय) सविता शर्मा को तत्काल प्रभाव से कार्यमुक्त किया गया है। तत्कालीन पंजीयन लिपिक बाबूलाल मीणा, सुशील कुमार शर्मा, बलबीर सिंह धायल, अनुपम सिंह, अशोक कुमार उपे्रती, दीपक हिंगोनिया तथा श्यामलाल कुमावत को एपीओ कर उनका मुख्यालय बदला गया है। वहीं 44 पंजीयन लिपिकों एवं अन्य संबंधित कार्मिकों को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है। जिन पर जांच के बाद नियमानुसार कठोर अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी। उप पंजीयक कार्यालय के अधिकारियों और कर्मचारियों की लापरवाही मिलने और अपवंचना चिन्हित होने के बावजूद भी वसूली के सार्थक प्रयास नहीं करने, चालानों के दुरुपयोग और कूटरचना के दोषियों के विरुद्ध प्रभावी कार्रवाई करने में विलम्ब के कारण यह कार्रवाई की गई है।
सत्यापन करते तो नहीं लगता चूना
मामले की गंभीरता को देखते हुए विभाग ने मुख्यालय स्तर पर भी एक उच्च स्तरीय कमेटी का गठन कर जांच के निर्देश दिए। समिति ने जांच में पाया है कि कतिपय स्टाम्प वैण्डरों द्वारा कोषालय से स्टाम्प क्रय करने के लिए उपयोग में लिए गए चालानों को फर्जीवाड़े के जरिए दस्तावेजों के पंजीयन के लिए पुन: उपयोग में लिया गया है। वहीं संबंधित उप पंजीयक, पंजीयन लिपिक एवं अन्य स्टाफ ने राज्य सरकार और विभाग द्वारा समय-समय पर जारी निर्देशों की अवहेलना कर चालानों का ई-ग्रास साइट से सत्यापन किए बिना ही लापरवाही पूर्वक दस्तावेजों का पंजीयन किया है।
19 स्टाम्प वैंडरों के लाइसेंस रद्द
उन्होंने बताया कि उप महानिरीक्षक जयपुर प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय द्वारा ऐसे 19 स्टाम्प वैण्डरों, जिनके उपयोग में लिए गए चालानों का दस्तावेजों के पंजीयन में कूटरचित कर पुन: उपयोग किया गया है, के लाइसेंस निरस्त किए गए हैं। उनके विरुद्ध कूटरचना के लिए प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज कराई गई है। अन्य उप महानिरीक्षकों द्वारा भी ऐसे मामलों में लाइसेंस निरस्तीकरण और प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज कराने की कार्रवाई की जा रही है। विभाग ने ऐसे पीड़ित लोगों, जिनके दस्तावेजों में कूटरचित चालानों का उपयोग किया गया है, से अनुरोध किया है कि वे आगे आकर पुलिस को उन व्यक्तियों के नाम और पहचान बताएं, जिनके माध्यम से उन्होंने चालान बनाकर दस्तावेज पंजीबद्ध करवाए हैं। ताकि अपराधियों के विरुद्ध शीघ्र कार्रवाई हो सके।
5.64 करोड़ की वसूली है बाकी
उन्होंने बताया कि इन प्रकरणों को संबंधित उप महानिरीक्षकों को भिजवा कर दस्तावेजों की कार्यालय प्रतियों से जांच करने के निर्देश दिए गए तथा राजस्व अपवंचना पाई जाने की स्थिति में वसूली करने, मामले में आपराधिक कृत्य पाए जाने पर प्रकरण दर्ज कराने तथा विभागीय स्तर पर लापरवाही पाई जाने पर संबंधित के विरुद्ध अनुशासनिक कार्रवाई के प्रस्ताव मुख्यालय को प्रेषित करने के निर्देश दिए थे। उप महानिरीक्षकों से प्राप्त सूचना के अनुसार इन 676 प्रकरणों में से 11 प्रकरणों में राशि जमा होने का सत्यापन हो गया है। शेष 665 प्रकरणों में से 218 प्रकरणों में पक्षकारों द्वारा रुपए 2 करोड़ 28 लाख जमा कराए जा चुके हैं तथा 447 प्रकरणों में रुपए 5 करोड़ 64 लाख की वसूली शेष है।
अब एसआईटी करेगी जांच
उप-पंजीयक कार्यालयों में फर्जी ई-ग्रास जरिए विक्रय पत्र पंजीयन करवाकर सरकार को करोड़ों रुपए की चपत लगाने के मामले में अब इसकी जांच पुलिस की विशेष अनुसंधान टीम करेगी। एसआईटी अतिरिक्त पुलिस उपायुक्त करण शर्मा के नेतृत्व में गठित कर उसमें पुलिस निरीक्षक हरजी लाल और नरेन्द्र पारीक को शामिल किया है। एडिशनल कमिश्नर प्रथम अजयपाल लांबा ने बताया कि कुट रचित ई-ग्रास के जरिए विक्रय पत्र पंजीयन होने की जानकारी सब-रजिस्ट्रार कार्यालय के अधिकारियों को होने पर उन्होंने विक्रय पत्रों से संबंधित क्रेता पक्षों को नोटरी जारी कर ब्याज राशि जमा कराने का कहा था। ई-ग्रास की संपूर्ण राशि नकद व बैंक ट्रांसफर के जरिए डीड राइटरों को अदा कर दी थी। इस कारण मामले की एफआईआर बनीपार्क थाने में दर्ज कराई थी। पूर्व में मामले में जांच बनीपार्क थाना प्रभारी कर रहे थे, लेकिन फर्जी ई-ग्रास बनाकर करोड़ों रुपए की धोखाधड़ी करने की घटना सामने आने पर मामले की प्रभावी जांच के लिए एसआईटी गठित की है।
676 दस्तावेजों से पहुंचाई हानि
महानिरीक्षक सिंह ने बताया पहले से ही उपयोग में लिए जा चुके चालान को दस्तावेज के पंजीयन के लिए पुन: उपयोग लिए जाने की सूचना को गंभीरता से लेते हुए विभाग ने एनआईसी एवं ई-ग्रास की तकनीकी टीम के साथ बैठक कर उन्हें ई-पंजीयन एवं ई-ग्रास में अतिरिक्त सुरक्षा उपाय करने तथा पुन: उपयोग में लिए गए चालानों की सूची उपलब्ध कराने के निर्देश दिए थे। एनआईसी द्वारा 913 ऐसे दस्तावेजों की सूची उपलब्ध कराई गई, जिनमें पहले से ही उपयोग में लिए गए चालानों के पुन: उपयोग की आशंका थी। विभाग द्वारा इन मामलों में राजस्व अपवंचना का पता लगाने के लिए मुख्यालय स्तर पर कमेटी का गठन कर इन मामलों का परीक्षण कराया गया। कमेटी की रिपोर्ट के अनुसार कुल 17 उप पंजीयक कार्यालयों से संबंधित 676 दस्तावेजों में 7 करोड़ 94 लाख रुपए की राजस्व अपवंचना पाई गई।
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