तैराकी में पदकों की बौछार कर रहे कोटा के खिलाड़ी

सुविधाओं का अभाव लेकिन हौसले बुलंद

तैराकी में पदकों की बौछार कर रहे कोटा के खिलाड़ी

कोटा के खिलाड़ी पानी में अपनी काबिलियत का लोहा मनवा रहे हैं। तैराकी के खिलाड़ियों के पास भले ही सुविधाओं का आभाव हो, या फिर कोई कोच ना हों लेकिन खिलाड़ी पानी में अपना दम दिखाएं बिना नहीं रहते ।

कोटा। खेल तो हजारों की संख्या में खिलाड़ी खेलते हैं लेकिन मुकाम वहीं हासिल करते हैं, जो कड़ी मेहनत और लगन से तैयारी करते हैं। कुछ इसी तरह की कड़ी मेहनत ही कोटा तैराकी के खिलाड़ी कर रहे हैं। कोटा के खिलाड़ी पानी में अपनी काबिलियत का लोहा मनवा रहे हैं। तैराकी के खिलाड़ियों के पास भले ही सुविधाओं का आभाव हो, या फिर कोई कोच ना हों लेकिन खिलाड़ी पानी में अपना दम दिखाएं बिना नहीं रहते । खिलाड़ियों के इस हौंसले व कड़ी मेहनत की बदौलत ही कोटा ने नेशलन व स्टेट लेवल पर पानी में अपने झंड़ें गाडे हैं। कोटा में अनेक ऐसे खिलाड़ी है जिन्होंने प्रतियोगिताओं में गोल्ड मेडल हासिल किए हैं। कोटा में तीन तरणताल राजस्थान में तैराकी खिलाड़ियों के लिए कोटा में यूआईटी द्वारा सबसे ज्यादा तरण ताल बनाएं गए है। कोटा में कुल तीन तरण ताल है। जो इंदिरा गांधी अंतरराष्टÑीय तरण ताल 50 मिटर, नयापुरा, विजया राजे सिंधियां तरण ताल 50 मिटर ,श्रीनाथपुरम , श्यामा प्रसाद मुखर्जी तरण ताल 25 मिटर, तलवंड़ी में स्थित है। 50 मिटर के तरण ताल में कोई भी अंतरराष्टÑीय प्रतियोगिता करवाई जा सकती है। नेशनल लेवल के खिलाड़ी कोटा में एक दर्जन से ज्यादा तैराकी के खिलाड़ी है जिन्होनें नेशनल लेवल की प्रतियोगिताओं में गोल्ड मेडल हासिल कर कोटा का मान बढ़ाया है। इन खिलाड़ियों में यशराज यादव, अनिकेत बिड़ला, शुभम खारोल, आरश गौतम, बीओन डिसल्वा, डिवेल डिसल्वा, कनिश्क नागर, रजत गौरी सहित अनेक खिलाड़ी है। साथ ही यशराज को राजस्थान में बेस्ट तैराकी का अवार्ड दो बार मिला हुआ है। राजस्थान में कोटा के पास सबसे ज्यादा तरण ताल है। लेकिन खिलाड़ियों के पास अभ्यास करवाने के लिए कोइ सरकारी कोच नहीं हैं। अगर खिलाड़ियों को पूरी सुविधाएं मिले तो वह तैराकी में नया कीर्तिमान रचकर कोटा का नाम रोशन कर सकते है। पिछले दो वर्षों से कोरोना के प्रभाव के कारण भी तैराकी पर असर पड़ा है। -प्रमोद यादव, सचिव , जिला तैराकी संघ

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