CM गहलोत ने फिर भारत सरकार से की अपील : बूस्टर डोज के संबंध में जल्द फैसला लें
कोविड की दूसरी लहर जैसी परिस्थितियां फिर से ना बनें इसके लिए हमें सचेत रहकर समय रहते हुए जरूरी कदम उठाने ही होंगे।
जयपुर। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने एक बार फिर भारत सरकार से अपील करते हुए कहा है कि बूस्टर डोज के संबंध में जल्द फैसला लें, जिससे कमजोर इम्यूनिटी वाले लोगों के स्वास्थ्य का ध्यान रखा जा सके। कोविड की दूसरी लहर जैसी परिस्थितियां फिर से ना बनें इसके लिए हमें सचेत रहकर समय रहते हुए जरूरी कदम उठाने ही होंगे।
गहलोत ने कोविड के नए वैरियंट को लेकर एक अंग्रेजी अखबार में प्रकाशित लेख को भी शेयर किया है। लेख में ओमीक्रोन वेरियंट की चर्चा करते हुए कहा गया है कि यदि यह भारत में आता है तो यह कोरोना के विरूद्ध हमारी लड़ाई के लिए बहुत बड़ी चुनौती बन सकता है। कोरोना की दूसरी लहर के बाद त्यौहारी सीजन निकल गया है और देश में कोरोना मामलों में वृद्धि नहीं हुई इससे देश के लोग और सरकारों ने भी ढिलाई बरतनी शुरू कर दी।
यूरोप में तेज गति से मामले बढ़ रहे हैं किन्तु भारत में कोरोना का ग्राफ नीचे की ओर है। इसके दो कारण है। प्रथम, देश की आबादी का एक बड़ा भाग कोरोना से संक्रमित हो चुका है जिसकी वजह से पश्चात्वर्ती संक्रमणों से कुछ हद तक सुरक्षा मिल गई है।
भारत में टीकाकरण अभियान को गति मिली है। लगभग 44 प्रतिशत भारतीयों को दोनों टीके और 82 प्रतिशत को एक टीका लग चुका है। वैज्ञानिकों का मानना है कि एक अथवा दो टीके लगने से पहले यदि किसी को संक्रमण हुआ है तो ऐसे व्यक्ति के लिए टीके ज्यादा प्रभावी हैं।
वैक्सीन के कारण प्राप्त सुरक्षा कुछ समय पश्चात् धीरे-धीरे समाप्त हो जाती है। वर्तमान में हो रही शोध के अनुसार दोनों टीके लगे व्यक्ति को यदि संक्रमण होता है तो ऐसा संक्रमण कम गंभीर होता है और इसकी अवधि भी कम होती है। WHO के अनुसार कोविड का नया वेरियंट ओमीक्रोन साउथ अफ्रीका में बढ़ रहे कोरोना मामलों के लिए जिम्मेदार है। साउथ अफ्रीका में विगत कुछ सप्ताहों में एकत्रित सेम्पल्स के अनुसार संक्रमित 90 प्रतिशत लोग ओमीक्रोन से पीड़ित है।
ओमीक्रोन के कई म्यूटेशन है जिनमें से कुछ गंभीर प्रकृति के हैं जो शरीर की इम्यून क्षमता से बच निकलते हैं इसलिए WHO ने ओमीक्रोन को चिन्ता वाला वेरियंट बताया है। ओमीक्रोन को लेकर अभी यह पता नहीं चल पाया है कि क्या यह तेज गति से अन्य लोगों को भी संक्रमित करता है तथा क्या यह इम्यून सिस्टम से बच निकल सकता है।
ओमीक्रोन फिलहाल महामारी विशेषज्ञों के लिए चिन्ता का प्रमुख कारण बना हुआ है। कुछ अन्य वेरियंट भी आये हैं लेकिन वे चिन्ता वाले वेरियंट की श्रेणी में नहीं है। ओमीक्रोन वेरियंट डेल्टा से भी अधिक घातक है और ज्यादा संख्या में लोगों को संक्रमित कर सकता है। जब कोई वेरियंट इम्यून सिस्टम से बच निकल जाता है तो वह तेज गति से संक्रमण फैलाता है इसलिए WHO ने ओमीक्रोन के अध्ययन की विशेष सिफारिश की है। WHO के अनुसार RTPCR टेस्ट को इस तरह से री-फोर्मूलेट किया जाना चाहिए ताकि इस टेस्ट से ओमीक्रोन का भी पता चल सके। अभी इस बात का भी पुख्ता अध्ययन नहीं हुआ है कि ओमीक्रोन क्या वास्तव में टीके लगे हुए और बिना टीके लगे हुए दोनों प्रकार के लोगों को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकता है।
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