
सीवरेज के चैम्बर बन रहे दुर्घटना के कारण
सड़क के बीच में कहीं ऊंचे तो कहीं नीचे बना दिए चैम्बर
शहर में सीवरेज लाइन डालने का काम पिछले कई सालों से किया जा रहा है। रात से पहले और बरसात के समय में सीवरेज लाइन डालने के लिए खुदी सड़कों से परेशानी का सामना करना पड़ा था। लेकिन दीपावली से पहले नगर विकास न्यास ने शहर के अधिकतर हिस्सों की सड़कों को तो सही कर दिया। लेकिन उसके बाद भी सड़क के बीच के चैम्बर वाहन चालकों के लिए परेशानी का कारण बने हुए हैं।
कोटा। दृश्य एक- इंद्रप्रस्त औद्योगिक क्षेत्र में पहले सीवरेज लाइन डालने के कारण सड़क खुदी हुई थी। जिससे काफी समय तक लोग परेशान होते रहे।
लाइन डलने के बाद सीेसी रोड बना दी गई। जिससे लगा कि राहत मिलेगी लेकिन अब सड़क के बीच में ऊपर निकल रहे चैम्बर हादसों का कारण बन रहे हैं।
दृश्य दो- बारां रोड स्थित सरस्वती कॉलोनी में भी पहले तो चारों तरफ की गलियों में रहने वाले सीवरेज लाइन डालने के कारण खुदी सड़कों से परेशानी झेल रहे थे। महीनों तक उस समस्या को झेलने के बाद सड़क बनने से राहत की उम्मीद थी। लेकिन राहत मिलना तो दूर अब नई परेशानी सड़क के बीच चैम्बर का नीचे होने से हादसे होने के खतरे के रूप में पैदा हो गई है।
दृश्य तीन- स्टेशन मेन रोड सबसे व्यस्त सड़क है। जिससे दिनभर वाहनों का आवागमन रहता है। उस सड़क की हालत यह है कि वहां सड़क के बीच सीवरेज के नीचे चैम्बर बार-बार वाहनों के दचके लगने से हादसों का कारण बने हुए हैं। ऐसे में वाहन चालकों के लिए जी का जंजाल बनी हुई है सड़क। यहां गत दिनों कई वाहन दुर्घटनाग्रस्त भी हो चुके हैं।
ये तो उदाहरण मात्र हैं शहर की उस समस्या को बताने के लिए जिससे शहर के अधिकतर लोगों को रोजाना दोचार होना पड़ रहा है। शहर में सीवरेज लाइन डालने का काम पिछले कई सालों से किया जा रहा है। रात से पहले और बरसात के समय में सीवरेज लाइन डालने के लिए खुदी सड़कों से परेशानी का सामना करना पड़ा था। लेकिन दीपावली से पहले नगर विकास न्यास ने शहर के अधिकतर हिस्सों की सड़कों को तो सही कर दिया। लेकिन उसके बाद भी सड़क के बीच के चैम्बर वाहन चालकों के लिए परेशानी का कारण बने हुए हैं। कहीं ऊंचे तो कहीं नीचे चैम्बरों के कारण वाहन चालकों का सड़क पर सुरक्षित चल पाना तक मुश्किल हो रहा है।
कमर दर्द व वाहनों में खराबी
लोगों ने बताया कि सड़क के बीच कहीं नीचे तो कहीं ऊंचे चैम्बरों के कारण अचानक से वाहनों का उनमें जाकर झटका लगने व टकराने से लोगों को सबसे अधिक कमर दर्द की परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। साथ ही दो पहिया वाहनों में खराबी की अधिक शिकायतें आ रही हैं। मोटर मार्केट में मिस्त्रियों की दुकानों पर आने वाले अधिकतर वाहन इसी समस्या के कारण आ रहे हैं।
हर जगह इसी तरह की परेशानी
शहर में सीवरेज लाइन डालने से लेकर उन लाइनों का काम पूरा होने के बाद तक परेशानी ही परेशानी हो रही है। शहर का कोई क्षेत्र ऐसा नहीं है जहां इस तरह की परेशानी नहीं हो। फिर चाहे वह काम नगर विकास न्यास का रहा हो या आरयूआईडीपी का। वैसे शहर में सीवरेज लाइनें डालने का अधिकतर काम आरयूआईडीपी ने ही किया है। जबकि न्यास द्वारा कुछ सीमित जगहों पर ही यह काम कराया जा रहा है। नए कोटा क्षेत्र में कॉमर्स कॉलेज चौराहे से तलवंडी चौराहा, तीन बत्ती सर्किल से सुभाष सर्किल तक डामर सड़क बनी हुई है। लेकिन उसके बीच में सीवरेज के चैम्बर नीचे होने से वाहन अचानक उनमें दचके के साथ झटके खा रहे हैं। जिससे दिनभर में कई वाहन हादसों के शिकार हो रहे हैं। स्टेशन रोड पर भी यही हालत है। जबकि डीसीएम रोड पर कहीं चैम्बर सड़क के ऊपर हैं तो कहीं नीचे। सड़क के बीचों बीच होने से वाहनों को निकलने का रास्ता ही बहुत कम बच रहा है। जिससे दो पहिया वाहनों के लिए तो ये खतरा बने हुए हैं। साथ ही चार पहिया वाहन भी इससे सुरक्षित नहीं हैं। कोटड़ी चौराहे पर सेवन वंडर्स के सामने से ’वाला तोप तक डामर की सड़क के बीच में चैम्बर नीचे होने से परेशानी का कारण बने हुए हैं। सरस्वती कॉलोनी में तो गलियां वैसे ही काफी छोटी हैं। उन गलियों के बीच में चैम्बर नीबे होने से अचानक आने वाले वाहन चालकों को जानकारी नहीं होने से ऐसे लोग अधिक हादसों का शिकार हो रहे हैं।
शहर में सीवरेज लाइन डालने का पूरा काम आरयूआईडीपी नहीं कर रही है। कुछ काम नर विकास न्यास भी करवा रहा है। आरयूआईडीपी अपने नियमानुसार सीवरेज के चैम्बर नाप के हिसाब से निर्धारित लेबल तक डाल रहे हैं। जबकि सीवरेज लाइन डालने के बाद सड़क बनाई गई है। जिसमें कहीं डामर तो कहीं सीसी रोड। उस समय पर लेबल का ध्यान नहीं रखने से करीब 90 फीसदी समस्या हो रही है। हालांकि उनमें से 80 फीसदी जिनमें कुन्हाड़ी, बोरखेड़ा व काला तालाब में सही करवा दिया है। फिर भी यदि कहीं इस तरह की परेशानी हो रही है और कम्पनी के क्षेत्राधिकार में है तो उसे भी सही करवा दिया जाएगा।
- मनोज कुमार सिंह, प्रोजेक्ट मैनेजर आरयूआईडीपी
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