सतरंगी सियासत

असम के सीएम हिमंता बिस्व सरमा फिर चर्चा में

सतरंगी सियासत

सरमा ने बीते दो साल में हुई नाबालिगों की शादियों का आंकड़ा जुटाया। फिर कार्रवाई का आदेश दे डाला। प्रदेशभर में करीब चार हजार एफआईआर दर्ज हुईं और दो हजार को गिरफ्तार कर लिया गया।

कान बंद कर लिए...
राजस्थान भाजपा में रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव डॉर्क होर्स बताए जा रहे। जिनकी लगातार किसी न किसी बहाने चर्चा हो रही। लेकिन जब उनसे प्रदेश की राजनीति एवं चुनावी मैदान में उतरने पर पूछा गया। तो उन्होंने अपने दोनों हाथों से कान बंद कर लिए। मानो इस बारे में कुछ सुनना नहीं चाहते हों। बोले, चुनाव और मैं? वह भी राजस्थान में... नहीं। असल में, यह भले ही उनकी प्रतिक्रिया देने का अंदाज हो। लेकिन जिस तरह से उन्होंने इन कयासों, अनुमानों को खारिज किया। उसका भी मतलब। वैसे भी मोदी-शाह की भाजपा में कब क्या होगा। इस समय कोई अनुमान भी नहीं लगाया जा सकता। कब क्या निर्णय होगा? वह किसके खिलाफ जाएगा या किसके पक्ष में होगा। फिर मोदीजी वैसे भी चर्चा में रहे बगैर अनवरत काम करने वालों को पसंद करते। अब अश्विनी बैष्णव किस खांचे में? यह तो मोदीजी ही जानते होंगे।

अब आगे क्या?
राहुल गांधी की अगुवाई में कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा खत्म हो गई। अब उनके अगले कदम पर सभी की नजरें। हां, पटियाला से सांसद परणीत कौर पर कार्रवाई कर आलाकमान ने संदेश देने की जरुर कोशिश की। लेकिन राजस्थान को लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं। जिससे कई नेता असमंजस की हालात में। कुछ के लिए तो मानो आगे कुंआ, पीछे खाई की स्थिति। कुछ हो तो आगे बढ़ा जाए। लेकिन कुछ हो नहीं रहा। इस बीच, विधानसभा चुनाव के लिए समय भी नजदीक आ रहा। पहले खबर आई कि पायलट राहुल गांधी से मिलेंगे। फिर रविवार को सीएम गहलोत को दिल्ली में रहना था। ऐसे में राजनीतिक कयास लगना लाजमी। फिर नए प्रभारी भी प्रदेश कांग्रेस को समझ रहे। वह कुछ न कुछ करते हुए भी दिखाई दे रहे। लेकिन कुछ परिणाम निकलेगा। इस पर संदेह। क्योंकि सभी चाहते कि झगड़ा सुलझे। सो, आगे क्या? इसका इंतजार।

नए चेहरे का उभार
दक्षिण से भाजपा में एक नए उजार्वान चेहरे का उभार संभावित। वह अपने प्रयोगों से नेतृत्व का ध्यान आकर्षित कर रहे। बात हो रही तमिलनाडु प्रदेश भाजपा अध्यक्ष के. अन्नामलाई की। उन्हें भाजपा नेतृत्व ने चुनावी राज्य कर्नाटक का सह प्रभारी बनाया। असल में, अन्नामलाई राजनीति में आने से पहले आईपीएस अधिकारी रहे। उनका कैडर कर्नाटक रहा। कर्नाटक जैसे महत्वपूर्ण चुनावी राज्य में उन्हें सह प्रभाारी बनाए जाने के मायने। वह राजनीति में नए। लेकिन तमिलनाडु में प्रदेश अध्यक्ष की भूमिका प्रभावी तरीके से निभा रहे। जो भाजपा जैसी कैडर बेस पार्टी के लिए भी नया प्रयोग। अन्नामलाई की पारिवारिक पृष्ठभूमि सामान्य मध्यवर्गीय परिवार की होने के बावजूद सरकारी नौकरी छोड़कर कुछ कर गुजरने की ललक उन्हें राजनीति में ले आई। उन्होंने इसके लिए भाजपा को चुना। सो, भाजपा भी उसकी कदर करेगी ही। मतलब दक्षिण से भाजपा में एक नए चेहरे को तराशा जा रहा।

गतिरोध का नया जरिया!
अमरीकी कंपनी हिंडनबर्ग की रिपोर्ट आजकल चर्चा का विषय। जिसमें उद्योगपति गौतम अडाणी को लेकर खुलासे का दावा। इसके बाद शेयर बाजार में भूचाल। चूंकि अडाणी की कंपनी में एसबीआई और एलआईसी का भी निवेश। सो, विपक्षी कांग्रेस को भी सरकार को घेरने का मानो मौका मिल गया। फिर बाकी विपक्षी दल भी क्यों मौका चूकें। सो, वह भी मैदान में। फिर संसद सत्र चल रहा। सो, संसद का बाधित होना लाजमी। लेकिन इससे पहले भी रॉफेल और पेगासस पर खुलासे सामने आ चुके। दोनों मामले सर्वोच्च न्यायालय पहुंचे। लेकिन जांच में ज्यादा कुछ निकला नहीं। अब सेबी और ईडी तक की चर्चा हो रही। इस बीच, पीएम की प्रतिक्रिया का भी कांग्रेस को इंतजार। लेकिन पीएम कुछ बोलेंगे। इसकी संभावना कम ही। हां, कांग्रेस को पीएम मोदी को घेरने का एक और मौका मिल गया। वह भी संसद सत्र के दौरान। हां, कर्नाटक चुनाव नजदीक।

पीएम की सक्रियता!
पीएम मोदी आजकल राजस्थान पर फोकस कर रहे। मतलब इस बार उनके लिए राजस्थान बेहद महत्वपूर्ण। पहले मालासेरी के जरिए गुर्जर समुदाय को साधा। अब मीणा समाज को साधने की कवायद। पार्टी पहले ही कह चुकी। राजस्थान में भाजपा पीएम मोदी के चेहरे और कमल के फूल को आगे करके चुनाव लड़ेगी। इस बीच, वसुंधरा राजे लगातार उन्हें सीएम फेस बनाए जाने के लिए दबाव बना रहीं। लेकिन बात बन नहीं रही। भाजपा नेतृत्व द्वारा फिलहाल राजे की बात नहीं मानने का मतलब ही अन्य विकल्प पर विचार हो रहा। हां, उनका नाम भी संभावितों में। लेकिन चुनाव परिणाम बाद सीटों का गणित क्या रहेगा। इस पर सब कुछ निर्भर। लेकिन इतना जरुर। नेतृत्व के फैसले से कई के पंख लग चुके। सो, चुनाव से दस माह पहले पीएम मोदी का प्रदेश में सक्रिय होना। बता रहा इस बार राजस्थान के चुनावी रण बहुत कुछ होने वाला।

घाटी में बुलडोजर  
बुलडोजर की चर्चा अब तक तो योगीजी के यूपी में ही थी। लेकिन अब जम्मू-कश्मीर की राजधानी श्रीनगर में भी बुलडोजर चलने की खबर। यह बुलडोजर चल भी रहा बड़े रसूखदारों की अवैध संपत्तियों पर। बात चाहे फारुख अब्दुल्ला की हो या गुलाम बनी आजाद के रिश्तेदरों की। इसके अलावा अलगाववादी हुर्रियत के नेता भी इस कार्रवाई के लपेटे में। हां, राहुल गांधी की श्रीनगर रैली से ठीक पहले हुर्रियत के दफ्तर पर ताला जड़ दिया गया। यह अपने आप में संकेत एवं संदेश था। पूरी घाटी में एक जमाने में हुर्रियत नेताओं की आवाज पर सब कुछ ठप हो जाया करता था। आज उनको पूछने वाला कोई नहीं बचा। लेकिन अवैध संपत्तियों के मामले में पूर्व मुख्यमंत्रियों तक को राज्य प्रशासन लपेट लेगा। यह किसी ने भी नहीं सोचा होगा। लेकिन अब यह सच्चाई। चर्चा तो यह कि अभी तो शुरूआत। आगे बहुत कुछ होने वाला।

रौ में सरमा...
असम के सीएम हिमंता बिस्व सरमा फिर चर्चा में। इससे उनका भाजपा में रुतबा और बढ़ने वाला। सरमा ने बीते दो साल में हुई नाबालिगों की शादियों का आंकड़ा जुटाया। फिर कार्रवाई का आदेश दे डाला। प्रदेशभर में करीब चार हजार एफआईआर दर्ज हुईं और दो हजार को गिरफ्तार कर लिया गया। इनमें से ज्यादातर बांगलादेशी। लेकिन इनकी पहचान तो उनके पड़ोसियों ने ही बताई। लेकिन बदरुद्दीन अजमल और असउद्दीन ओवैसी का भड़कना बता रहा। सरमा ने चोट कहां की। असल में, नाबालिग शादियों के ज्यादातर मामले मुस्लिम बच्चियों के। जिनकी 18 साल से कम की आयु में शादी करा दी गई। अब शादियां करवाने वालों एवं बच्चियों के मां-बाप पर कार्रवाई हो रही। आरोप यह भी कि कई बच्चियों को शादी की आड़ बेचा गया। सो, कार्रवाई पर चर्चा होना लाजमी। फिर सरमा पूरी रौ में रहने वाले नेता। जिनकी नजर शायद राजधानी दिल्ली की ओर!

-दिल्ली डेस्क 

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