भूख से बंदर घुस रहे घर के अंदर

शहर में फिर से बढ़ा वानरों का आतंक : रात के समय भी सड़कों पर आने लगे नजर

भूख से बंदर घुस रहे घर के अंदर

शहर में बंदरों के बढ़ते आतंक को देखते हुए नगर निगम कोटा उत्तर व दक्षिण की ओर से हर साल बंदरों को पकड़ने का ठेका किया जाता है। नगर निगम द्वारा हर साल करीब 5 से 10 लाख रुपए बंदरों को पकड़कर उन्हें जंगलों में छुड़ाने पर खर्च कर रहा है।

कोटा । शहर में एक ओर जहां श्वानों का आतंक कम होने का नाम नहीं ले रहा है। वहीं दूसरी तरफ बंदरों का आतंक भी बढ़ता जा रहा है। दिन में तो घरों में बंदर सामान निकालकर खा ही रहे हैं। रात के समय भी सड़कों पर नजर आने लगे हैं।  शहर में बंदरों की संख्या लगातार बढ़ती ही जा रही है। हालांकि नगर निगम द्वारा इन्हें पकड़कर जंगल में छोड़ा भी जा रहा है। लेकिन उसके बावजूद ये लगातार घरों में घुसकर फ्रिज व रसोई से खाने-पीने की चीजे निकाल रहे हैं। पहले ज्यादातर बाग बगीचो में रहने वाले बंदर अब वहां से निकलकर शहर की ओर आ गए हैं। 

हर जगह नजर आ रहे
शहर में कोई जगह ऐसी नहीं हैं जहां बंदरों के झुंड नजर नहीं आते हों। अदालत परिसर हो या कलक्ट्री, पुराने शहर का रामपुरा हो या पाटनपोल, आकाशवाणी कॉलोनी हो या किशोर सागर तालाब की पाल। गोदावरी धाम मंदिर हो या रंगबाड़ी बालाजी मंदिर। खड़े गणेशजी मंदिर हो या करनी माता मंदिर। सभी जगह पर बंदरों का इतना अधिक आतंक है कि खाने की चीज नजर आते ही उस पर झपट्टा मारने से नहीं चूक रहे। 

बगीचों से बाहर निकले तो बदला स्वाद
जानकारों के अनुसार बंदर पहले जहां अधिकतर बाग बगीचों में रहते थे। वहां उन्हें कंद मूल और फल खाने को मिलते थे। लेकिन अब बागों में पेड़ पौधे कम होने से ये वहां से निकलकर शहर में आ गए। ऐसे में उन्हें अलग-अलग तरह की चीजें खाने को मिली तो उनका स्वाद ही बदल गया। कई लोग उन्हें केले खिलाने लगे तो कई लोग उन्हें स्वादिष्ट भोजन करवाने लगे। ऐसे में उंनके मुंह का स्वाद बदला तो अब गार्डन या किसी भी जगह पर पार्टी होने पर ये उस खाने पर नजर बनाए रखते हैं। जरा सी नजर चूकते ही ये उस पर झपट पड़ते हैं।  हालत यह है कि तालब किनारे इतने अधिक बंदर हो गए हैं कि वहां घूमने आने वालों के हाथ से खाने की चीजें और सामान तक छीनकर ले जाने लगे हैं। 

निगम छुड़वा रहा जंगलों में
शहर में बंदरों के बढ़ते आतंक को देखते हुए नगर निगम कोटा उत्तर व दक्षिण की ओर से हर साल बंदरों को पकड़ने का ठेका किया जाता है। नगर निगम द्वारा हर साल करीब 5 से 10  लाख रुपए बंदरों को पकड़कर उन्हें जंगलों में छुड़ाने पर खर्च कर रहा है। नगर निगम कोटा दक्षिण क्षेत्र में ही वित्तीय वर्ष 2022-23 में अब तक करीब 1080 बंदरों को पकड़ा जा चुका है। मथुरा की फर्म द्वारा हर साल बंदरों को पिंजरों में पकड़कर दरा व रावतभाटा के जंगलों में छोड़ा जा रहा है। उसके बावजूद भी शहर में इनकी संख्या कम होने का नाम ही नहीं ले रही है। हालाकि संवेदक द्वारा बंदरों की अधिक शिकायत होने पर ही कुछ समय के लिए कोटा आकर बंदरों को पकड़ा जा रहा है। 

Read More असर खबर का : एसडीएम के निर्देश पर झाड़गांव सहकारी समिति में नियमों के विरुद्ध लगाए गए सेल्समैन को हटाया

रात को सड़क पर नजर आने लगे बंदर
जानकारों के अनुसार बंदर दिनभर तो घूमते हैं। लेकिन शाम होने के साथ ही ये अपने झुंड में चले जाते हैं। रात के समय बंदर नजर ही नहीं आते। लेकिन हालत यह है कि खाने की भूख कहो या कोई और कारण अब ये रात के समय और सड़क के बीच में नजर आने लगे हैं। जानकारों के अनुसार कुछ दिन से कई बंदर आकाशवाणी कॉलोनी में रात के समय सड़क पर बैठे रहते हैं। 

Read More विधायकों की खरीद-फरोख्त को लेकर भाजपा पर अनर्गल आरोप लगाना बंद करें: राजेन्द्र राठौड़

बंदरों के आतंक से बचने के लिए लगाई जाली
मकान पुराने शहर में होने से वहां बंदरों का काफी आतंक है। वे दिन के समय गैलेरी से घर में घुसकर फ्रिज से खाने-पीने की चीजें निकाल लेते हैं। शुरुआत में तो डंडा मारकर भगाने लगे। लेकिन अधिक परेशानी होने पर गैलेरी को जाली लगाकर बंद करना पड़ा।
-निशा सक्सेना, रामपुरा

Read More रेल मंत्री नाकारा !, नैतिकता बची है तो इस्तीफा देकर देश की जनता से माफी मांगे अश्विनी वैष्णव- हनुमान बेनीवाल

लाल मुंह के बंदर अधिक खतरनाक
लाल मुंह के बंदर अधिक खतरनाक हैं। इनसे बचना मुश्किल है। उनका घर पुरानी हवेली में होने से वहां लाल मुंह के बंदर अधिक आते हैं। कई बार तो बंदरों के डर से और उन्हें भगाने के प्रयास में परिवार के कई लोग चोटिल हो चुके हैं। 
-निधि शर्मा, पाटनपोल

शहर से दूर जंगल में छोड़ा जाए
बंदरों को लोग तरह-तरह की चीजें खिलाने लगे हैं। जिससे ये बगीचों से निकलकर शहर में आ गए हैं। लोगों को भी परेशानी होने लगी है। निगम को चाहिए कि बंदरों को पकड़कर शहर से दूर जंगल में छोड़ा जाए। जिससे ये वापस नहीं आ सके। 
-अनीस अहमद, दादाबाड़ी 

हर साल बंदरों को पकड़ने का टेंडर किया जाता है। वर्तमान में भी 31 मार्च तक टेंडर है। मथुरा की फर्म द्वारा बंदरों को पकड़ा जा रहा है। इस टेंडर के पूरा होने के बाद आगामी वित्त वर्ष के लिए फिर से टेंडर जारी किया जाएगा। संवेदक बंदरों को पकड़कर दूर जंगल में छोड़ रहा है। वर्तमान में करीब 1080 बंदरों को जंगल में छोड़ा जा चुका है। जिन क्षेत्रों में इनकी संख्या अधिक है या शिकायतें आती है वहां पर  पिंजरा लगाकर बंदरों को पकड़ा जा रहा है। 
-अम्बालाल मीणा, कार्यवाहक आयुक्त, नगर निगम कोटा दक्षिण 

Post Comment

Comment List

Latest News

डब्ल्यूटीसी फाइनल से बाहर हुए जॉश हेजलवुड डब्ल्यूटीसी फाइनल से बाहर हुए जॉश हेजलवुड
हेजलवुड ने पिछले तीन सालों में बार-बार चोटग्रस्त होने के कारण सिर्फ तीन टेस्ट खेले हैं। रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर के...
विधायकों की खरीद-फरोख्त को लेकर भाजपा पर अनर्गल आरोप लगाना बंद करें: राजेन्द्र राठौड़
बेटियों के सामने हमारे सिर शर्म से झुके हैं, क्योंकि शिक्षा के मंदिर स्कूल तक में पसरे हैं हैवान : शेखावत
संत कबीर की जयंती पर लगाया नेत्र चिकित्सा शिविर  
Odisha Train Accident: रेल दुर्घटना की नैतिक जिम्मेदारी लेकर रेल मंत्री का इस्तीफा लें मोदी : कांग्रेस
Odisha Train Accident: एलआईसी ने पीड़ितों के लिए की राहत की घोषणा
Odisha Train Accident: इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग सिस्टम में बदलाव से हुई दुर्घटना- रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव