मंदी की चपेट में जर्मनी की अर्थव्यवस्था! पहली तिमाही में जीडीपी में गिरावट दर्ज

निवेश पर बढ़ेगा दबाव 

मंदी की चपेट में जर्मनी की अर्थव्यवस्था! पहली तिमाही में जीडीपी में गिरावट दर्ज

कैपिटल इकोनॉमिक्स के वरिष्ठ यूरोप अर्थशास्त्री फ्रांजिÞस्का पाल्मास ने कहा कि देश में रोजगार पहली तिमाही में बढ़ा और मुद्रास्फीति में कमी आई है, लेकिन उच्च ब्याज दरें खर्च और निवेश पर दबाव बनाए रखेंगी।

बर्लिन। जर्मनी अब औपचारिक रूप से मंदी की गिरफ्त में आ गई है। ताजा आंकड़ों से इस बात की जानकारी मिल रही है कि चालू साल की पहली तिमाही में जर्मनी की अर्थव्यवस्था में अप्रत्याशित गिरावट आई है।

जीडीपी में कितने फीसदी की हुई गिरावट? : संघीय सांख्यिकी कार्यालय द्वारा गुरुवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक, जनवरी-मार्च में जर्मनी के सकल घरेलू उत्पाद में 0.3 प्रतिशत की गिरावट देखी गई है। 

2022 की आखिरी तिमाही में भी जर्मनी के जीडीपी में 0.5 प्रतिशत की गिरावट आई थी। दो लगातार तिमाहियों में जीडीपी का नीचे आना तकनीकी रूप से मंदी को दशार्ता है।

निवेश पर बढ़ेगा दबाव 
कैपिटल इकोनॉमिक्स के वरिष्ठ यूरोप अर्थशास्त्री फ्रांजिÞस्का पाल्मास ने कहा कि देश में रोजगार पहली तिमाही में बढ़ा और मुद्रास्फीति में कमी आई है, लेकिन उच्च ब्याज दरें खर्च और निवेश पर दबाव बनाए रखेंगी। उन्होंने कहा कि जर्मनी ने तकनीकी मंदी का अनुभव किया है और पिछली दो तिमाहियों में प्रमुख यूरो जोन अर्थव्यवस्थाओं में सबसे खराब प्रदर्शन किया है।

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सरकार ने वृद्धि दर अनुमान को किया था दोगुना
ये आंकड़े जर्मनी की सरकार के लिए बड़ा झटका हैं। पिछले महीने ही सरकार ने इस साल के लिए अपने वृद्धि दर के अनुमान को दोगुना कर दिया था। सरकार ने कहा था कि देश की अर्थव्यवस्था 0.4 प्रतिशत की दर से बढ़ेगी। जनवरी में इसके 0.2 प्रतिशत की दर से बढ़ने का अनुमान लगाया गया थ। अर्थशास्त्रियों का कहना है कि ऊंची मुद्रास्फीति से उपभोक्ता खर्च प्रभावित हुआ है। अप्रैल में कीमतें एक साल पहले की तुलना में 7.2 प्रतिशत ऊंची हैं। दरअसल, जीडीपी किसी देश में उत्पादित वस्तुओं और सेवाओं के कुल मूल्य को दर्शाता है।

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