WHO ने कोरोना वैरिएंट का किया नामकरण, भारत में मिला बी.1.617.2 स्ट्रेन कहलाएगा 'डेल्टा'
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कोरोना के मुख्य वैरिएंट के नामों को पुकारने और याद रखने के लिहाज से आसान नामकरण किया है। भारत में पहली बार मिले कोरोना वायरस के बी.1.617.2 वैरिएंट डेल्टा के नाम से जाना जाएगा जबकि देश में मिले एक अन्य वैरिएंट बी.1.617.1 को कप्पा नाम दिया गया है।
नई दिल्ली। कोरोना वैरिएंट को लेकर विवाद के बीच विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने कोरोना के मुख्य वैरिएंट के नामों को पुकारने और याद रखने के लिहाज से आसान नामकरण किया है। डब्ल्यूएचओ ने कोरोना के वैरिएंट ऑफ कंसर्न (वीओसी) और वैरिएंट ऑफ इंटरेस्ट के लिए ग्रीक अल्फाबेट का उपयोग करते हुए लेबल असाइन किया है। भारत में पहली बार मिले कोरोना वायरस के बी.1.617.2 वैरिएंट डेल्टा के नाम से जाना जाएगा जबकि देश में मिले एक अन्य वैरिएंट बी.1.617.1 को कप्पा नाम दिया गया है। दक्षिण अफ्रीका में मिले बी.1.351 को बीटा नाम मिला है। नवंबर 2020 में सबसे पहले दक्षिण अफ्रीका में पाए गए P.1 वैरिएंट को अब गामा नाम से जाना जाएगा। इसी तरह मार्च 2020 में अमेरिका में मिले वैरिएंट बी.1.427/बी.1.429 को एपलिसन, अप्रैल 2020 में ब्राजील में मिले P.2 को जीटा, कई देशों में मिले बी.1.525 वैरिएंट को ईटा, फिलिपींस में मिले P.3 को थीटा नाम दिया गया है। नंवबर 2020 में अमेरिका में मिले बी.1.526 को लोटा नाम से मिला है।
डब्ल्यूएचओ ने कहा कि कोविड वैरिएंट के ये नए नाम मौजूदा वैज्ञानिक नामों में बदलाव नहीं करेंगे। वे नाम पहले की तरह ही भविष्य के भी वैज्ञानिक अनुसंधान के लिए प्रयोग किए जाएंगे। किसी का वैज्ञानिक नाम एक ही होता है जो उसकी विशेषताओं के आधार पर रखा जाता हैं। संगठन ने एक बयान में कहा कि डब्ल्यूएचओ द्वारा निर्धारित एक विशेषज्ञ समूह ने वायरस के स्वरूपों को सामान्य बातचीत के दौरान आसानी से समझने के लिए अल्फा, गामा, बीटा गामा जैसे यूनानी शब्दों का उपयोग करने की सिफारिश की, ताकि आम लोगों को भी इनके बारे में होने वाली चर्चा को समझने में दिक्कत न हो।
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