अब शांति के प्रयास
तीसरे विश्व युद्ध की आशंका भी बलवती होती दिखाई देने लगी है
यूक्रेन और रूस के बीच जारी युद्ध अब भीषण रूप धारण करता जा रहा है। तीसरे विश्व युद्ध की आशंका भी बलवती होती दिखाई देने लगी है। यदि तीसरा विश्व युद्ध छिड़ता है, तो यह पूरी दुनिया के लिए तबाही का कारण बन सकता है।
यूक्रेन और रूस के बीच जारी युद्ध अब भीषण रूप धारण करता जा रहा है। तीसरे विश्व युद्ध की आशंका भी बलवती होती दिखाई देने लगी है। यदि तीसरा विश्व युद्ध छिड़ता है, तो यह पूरी दुनिया के लिए तबाही का कारण बन सकता है। भविष्य की चिंताओं के मद्देनजर ही अब अमेरिका सहित कई यूरोपीय देश शांति प्रयासों को महत्व देना जरूरी समझने लगे हैं। अमेरिका के राष्ट्रपति बाइडेन ने रूस से युद्ध बंद करने की सलाह देते हुए वार्ता की पेशकश की है। युद्ध रोकने के लिए सबसे अधिक सक्रिय भूमिका निभा रहे देशों में से एक फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने रूस के राष्ट्रपति पुतिन से बातचीत की, तो बताया कि पुतिन पूरे यूक्रेन पर कब्जा करने का इरादा रखते हैं। यह लक्ष्य पूरा हुए बिना युद्ध रुकने की संभावना नहीं है। पुतिन का यह इरादा तो युद्ध शुरू होने के बाद ही स्पष्ट हो गया था। युद्ध को रोकने के लिए यूक्रेन व रूस के बीच दो दौर की वार्ताएं हो चुकी हैं, लेकिन दोनों ही वार्ताओं का कोई नतीजा नहीं निकला, लेकिन बातचीत जारी रखने पर सहमति आवश्यक बनी।
अब तीसरी बैठक की तिथि बाद में तय की जाएगी। पता चला है कि बेलारूस की सीमा पर हुई वार्ता में यूक्रेन ने रूस के समक्ष तीन शर्तें रखीं। पहली यह कि तुरंत युद्ध को रोका जाए। दूसरी यह कि लोगों को सुरक्षित निकलने का रास्ता दिया जाए और तीसरी यह कि दोनों देश युद्ध विराम के लिए सहमत हों। लेकिन रूस चाहता है कि यूक्रेन क्रैमलिन की विसैन्यीकरण मांग को जल्द स्वीकार करे। यानी रूस किसी भी तरह यूक्रेन के सैन्य ढांचे को नष्ट करना चाहता है, ताकि उसकी सुरक्षा को कभी खतरा न हो। यूक्रेन और रूस दोनों अपनी-अपनी जगह सही हो सकते हैं, लेकिन युद्ध का यह कोई उचित समय नहीं था।
क्वाड समूह के देशों की वार्ता के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी एक बार फिर दोनों देशों को वार्ता और कूटनीति के रास्ते पर लौटने की आवश्यकता पर जोर दिया। लेकिन अब तक के शांति के सारे प्रयास विफल ही माने जाने चाहिए, क्योंकि रूस की तरफ से लगातार हमले जारी हैं और यूक्रेन लगभग बर्बाद हो चुका है।
यूक्रेन के पास परमाणु हथियार नहीं है और यदि होते तो रूस उस पर हमला करने का साहस नहीं जुटाता। अब युद्ध को समाप्त कराना ही है इस समय नाटो देश ही बड़ी भूमिका निभा सकते हैं। रूस की मांगों पर गंभीरता से विचार कर उसे आश्वस्त करें कि वे यूक्रेन को अपना मोहरा नहीं बनाएंगे जैसा कि अमेरिका और उन्होंने मिलकर किया है। यदि नाटो देश शांति के लिए रूस को आश्वस्त करेंगे, तो यह विनाशकारी युद्ध तत्काल बंद हो सकता है।
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