Kota Suicide: बच्चा सुसाइड करे तो मां बाप का, उपलब्धि हासिल करे तो कोचिंग का
नवज्योति ने उठाया मुद्दा, डुएल पॉलिसी अपनाते हैं कोचिंग संस्थान : छात्रों के साथ किया जाता है भेदभाव
नवज्योति ने बताया कि गाइड लाइन जारी करने का मकसद बच्चों में तनाव कम करना व सुसाइड रोकना है।
कोटा। कोचिंग संस्थान में कुछ दिन की पढाई के बाद ही यदि किसी बच्चे का आईआईटी या नीट में चयन हो जाता है तो उस उपलब्धि का श्रेय कोचिंग संस्थान खुद ले रहे हैं जबकि बच्चे के सुसाइड करने पर उसमें बच्चे और माता पिता की गलती बताकर कोचिंग संस्थान जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ रहे हैं। यह मुद्दा जब दैनिक नवज्योति ने सोमवार को कलक्ट्रेट में हाईलेवल कमेटी के समक्ष रखा तो कमेटी ने भी माना कि इस तरह का प्रपोगेंडा बंद होना चाहिए। पढ़ाई के तनाव के चलते कोचिंग स्टूडेंट के बढ़ते सुसाइड मामलों को देखते हुए राज्य सरकार द्वारा गठित हाई लेवल कमेटी ने सोमवार को कोटा में विभिन्न संगठनों के साथ बैठक की। प्रमुख शासन सचिव शिक्षा भवानी सिंह देथा के नेतृत्व में कोटा आई टीम में डॉ. रवि कुमार सुरपुर, नेशनल हेल्थ मिशन के निदेशक डॉ. जितेन्द्र कुमार सोनी शामिल थे। कलक्ट्रेट स्थित सभागार में एनजीओ सिविल सोसायटी, मीडिया व आध्यात्मिक व योगा संगठनों के साथ बैठक के दौरान नवज्योति ने कमेटी को बताया कि कोटा में जितने भी कोचिंग स्टूडेंट सुसाइड कर रहे हैं उनमें 90 फीसदी से अधिक एक ही संस्थान एलन कोचिंग के है।
चौंक गए कमेटी सदस्य
बैठक के दौरान कमेटी सदस्यों को जब नवज्योति ने बताया कि आत्महत्या करने वाले सबसे अधिक स्टूडेंट एक ही संस्था एलन के हैं तो वह चौंक गए। क्यों कि इससे पहले अन्य कोई भी संगठन और अन्य सदस्य इस संस्था का नाम तक नहीं ले पाए थे। यह सुनकर कमेटी के सदस्य चौंके और उन्होंने दोबारा पूछा कि वास्तव में सबसे अधिक सुसाइड एलन के ही हो रहे हैं क्या। इस पर जब उन्हें बताया कि ऐसा ही हो रहा है तो कमेटी की सदस्य भी चौंक गए। नवज्योति ने कमेटी को बताया कि कोचिंग सस्थान बच्चे की उपलब्धि का श्रेय तो खुद ले रहे हैं और बच्चे के सुसाइड करने पर माता पिता की गलती बताकर अपनी जिम्मेदारी से बच रहे हैं। इस कमेटी के सदस्यों ने माना कि इस तरह का प्रोपेगंडा बंद होना चाहिए।
स्टेट कमेटी को भी नहीं घुसने दिया एलन के संस्थान में
बैठक में हाई लेवल कमेटी के सदस्यों को नवज्योति ने यह भी बताया कि राज्य सरकार की ओर से मनो वैज्ञानिकों की तीन सदस्य टीम गठित की गई थी। टीम को कोचिंग संस्थानों में बच्चों की मानसिक स्थिति के बारे में जानने के लिए भेजा गया था। वह टीम जब 31 अगस्त व 1 सितम्बर को कोटा आई। उस कमेटी के सदस्य एलन कोंिचंग संस्थान में गए तो उन्हें अंदर जाने तक नहीं दिया गया। कमेटी सदस्यों के आग्रह पर भी जब वे नहीं माने तो टीम ने जिला कलक्टर को इस संबंध में जानकारी दी। जिला कलक्टर को इस संबंध में पत्र जारी करना पड़ा। यह जानकारी जब बैठक में नवज्योति ने हाई लेवल कमेटी को दी तो यह सुनकर कमेटी के सदस्य हतप्रभ रह गए। जिला कलक्टर भी कोई जवाब नहीं दे सके।
आठवीं से पढ़ा रहे इंजीनियरिंग और डॉक्टरी
नवज्योति ने बताया कि कोचिंग संस्थानों में छठी व आठवीं से ही बच्चों को प्रवेश दिया जा रहा है। ऐसे में स्कूल और कोचिंग दो पढ़ाई एक साथ करने से भी बच्चों पर अधिक दबाव है। इस पर कमेटी ने माना कि ऐसा नहीं होना चाहिए। इस पर रोक लगनी चाहिए। नवज्योति ने बताया कि बच्चों को सुबह 6 बजे से ही कोचिंग में बुलाया जा रहा है। रात तक अलग-अलग सेशन की क्लास ली जा रही है। जिससे बच्चों को न तो पूरी नींद मिल पा रही है और न ही पढ़ाई के लिए खेलने व अन्य गतिविधि के लिए समय। इसे भी कमेटी ने माना कि बच्चों के लिए क्लास का समय निर्धारित करने व कोर्स को भी कम करने पर विचार किया जा रहा है। नवज्योति ने कमेटी सदस्योंं को यह भी बताया कि कोचिंग संस्थान इस शहर की आर्थिक धुरी हैं। लेकिन गाइड लाइन का मकसद बच्चों के सुसाइड रोकना व उनमें कमी लाना है। इस पर कमेटी ने माना कि वास्तव में यही करना है। इसके लिए सरकार, प्रशासन व शहर का हर व्यक्ति अपनी ओर से जो श्रेष्ठ हो सकता है वह करे।
कोचिंग संचालक नहीं मानते गाइड लाइन
नवज्योति ने बताया कि बच्चों के सुसाइड मामलों में सरकार से लेकर प्रशासन तक तो चिंचित है। इसे रोकने के लिए गाइड लाइन भी बनाई हुई है लेकिन कोचिंग संचालक उसकी पूरी तरह से पालना नहीं कर रहे हैं। इस पर कमेटी सदस्यों ने माना कि सख्ती से पालना होनी ही चाहिए। यदि कोई पालना नहीं करता है तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। नवज्योति ने बताया कि गाइड लाइन जारी करने का मकसद बच्चों में तनाव कम करना व सुसाइड रोकना है। लेकिन सुसाइड कम होने की जगह बढ़ ही रहे हैं। इस पर कमेटी सदस्यों का कहना था कि इस दिशा में कोचिंग व हॉस्टल संचालकों ने कुछ सुधार किए हैं। सीलिंग फेन में डिवाइस लगाई है और काउंसलर भी रखे हैं लेकिन वह पर्याप्त नहीं है। उनमें और सुधार की जरूरत है।
कमेटी ने माना संचालक बैठक में नहीं आते
नवज्योति ने बैठक में बताया कि गाइड लाइन की पालना कोचिंग संस्थान के सचालकों को करनी है लेकिन प्रशासन की बैठकों में अधिकतर कोचिंग संस्थान विशेष रूप से एलन के संचालक कभी भी नहीं आते हैं। उनके द्वितीय और तृतीय स्तर के प्रतिनिधि आते हैं। इस पर कमेटी ने माना कि जब दूसरे कोचिंग संस्थाान के निदेशक आते हैं तो एलन के निदेशकों को भी बैठक में आना चाहिए।
बच्चों के साथ भेदभाव पर रोक लगाएंगे
कोचिंग संस्थाओं में बचों के आत्म हत्या करने के प्रकरणों के मामले को लेकर कोटा आई राज्य स्तरीय टीम के साथ कोटा जिला कलक्टर ओपीबुनकर भी मौजूद थे। इस टीम ने किसी सवाल का जवाब नहीं दिया क्ेवल सुझाव सुने। इस दौरान नवज्योति ने जिला कलक्टर से भी बात की।
नवज्योति : कोचिंग संस्थानों में होशियार बच्चों के लिए स्पेशल बैच बनाए जाते हैं जब कि अन्य बच्चें के लिए सामान्य फैकल्टी से काम चलाते हैं। पूरा फोकस होशियार बच्चों पर होता है। जब कि फीस दोनों ही तरह के बच्चे देते हैं। ऐसा भेदभाव क्यों?
जिला कलक्टर : कोचिंग संस्थान में बच्चों के साथ इस तरह का भेदभाव बंद होना चाहिए। हम कोशिश कर रहे हैं कि किसी भी तरह को ऐसा भेदभाव नहीं किया जाए जिससे बच्चें में इनफियरिटी काम्पलेक्स आए। भेदभाव से बच्चों में हीन भावना आती है। जिसके तनाव में भी बच्चे गलत कदम उठा लेते हैं।
नवज्योति : बच्चों की उपलब्धि का श्रेय कोचिंग संस्थान ले रहे हैं और सुसाइड के लिए परिजनों को दोषी ठहरा रहे हैं।
जिला कलक्टर : इस तरह का प्रोपेगंडा बंद होना चाहिए। बच्चें की उपलब्धि पर उन्हें शाबासी मिले लेकिन किसी अन्य में हीन भावना नहीं आनी चाहिए।
प्रशासन के दो माह तक कोचिंग में टेस्ट नहीं करवाने के आदेश के बाद भी एलन कोचिंग में रविवार को टेस्ट लेने के सवाल पर
जिला कलक्टर बुनकर ने बताया कि इस पर विचार किया जा रहा है। अधिकर कोचिंग स्टूडेंट व परिजनों की तरफ से सुझाव आया है कि टेस्ट से बच्चा स्वयं के स्तर का पता लगा पाता है। ऐसा नहीं होने से उनका मानसिक स्तर पता नहीं चल पा रहा हैै। इसे देखते हुए विचार किया जा रहा है । टेस्ट को फिर से जल्दी ही चालू किया जा सकता है।
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