किसान के बेटे ने शिक्षक भर्ती में पहली रैंक हासिल की, चाय वाले का बेटा बना टीचर

हरनावदाशाहजी क्षेत्र के 6 अभ्यर्थियों का तृतीय श्रेणी शिक्षक भर्ती में चयन

किसान के बेटे ने शिक्षक भर्ती में पहली रैंक हासिल की, चाय वाले का बेटा बना टीचर

चयनित अभ्यर्थियों को कस्बेवासियों व परिवारजनों ने बधाई दी।

हरनावदाशाहजी। बिना संघर्ष के चमक नहीं मिलती, जो जल रहा है तिल-तिल उसी दीए में उजाला होता है। मन में कुछ कर गुजरने का जज्बा और दृढ़ इच्छा शक्ति हो तो कोई भी लक्ष्य नामुमकिन नहीं होता। इन्हीं कहावतों को सार्थक कर दिखाया कस्बे के उन युवा अभ्यर्थियों ने जिन्होंने पारिवारिक और आर्थिक स्थितियां विपरीत होने के बावजूद मेहनत, लगन व कठोर परिश्रम से मंजिल तय कर अपने गरीब मां बाप ओर परिवारजनों का नाम रोशन किया। इसमें किसान के बेटे सोनू कुशवाह ने जिले में तृतीय श्रेणी शिक्षक भर्ती में पहली रैंक हासिल की। चाय वाले के बेटे ने भी शिक्षक बनने मुकाम हासिल किया। पानी पतासे बेचकर परिवार चलाते हुए दिनेश राठौर ने भी अपने टीचर बनने का सपना पूरा करने में कामयाबी हासिल की। कस्बे के इस प्रार छह अभ्यर्थियों की पारिवारिक व आर्थिक स्थिति कमजोर होने के बावजूद भी हालही में आए तृतीय श्रेणी शिक्षक भर्ती में सफलता हासिल करने से परिवार व रिश्तेदारों को ही नहीं कस्बेवासियों को खुशी हुई है। चयनित अभ्यर्थियों को कस्बेवासियों व परिवारजनों ने बधाई दी। 

मजदूर के बेटे ने मेहनत कर मुकाम पाया
कस्बे के असलम बेग के बेटे दानिश का तृतीय श्रेणी शिक्षक भर्ती परीक्षा में चयन हुआ है। पिता मजदूरी करते हैं, माता सिलाई कर परिवार का जीवन-यापन करती है। दानिश ने पारिवारिक व आर्थिक स्थिति कमजोर होने के बाद भी मेहनत जारी रखी। वे बताते हैं कि प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी करने के साथ साथ कार्य भी किया। बड़ी बहन भी प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी कर रही है। इसी प्रकार 49 मील रेगर बस्ती निवासी पूरणमल रेगर पुत्र चतुर्भुज रेगर का तृतीय श्रेणी शिक्षक भर्ती में चयन हुआ है। इनके पिता मजदूरी कर घर चलाते हैं। माता का निधन हो गया है। इनकी पारिवारिक व आर्थिक स्थिति खराब होने के बाद भी मेहनत जारी रखी। रेगर ने कई कठिनाइयों का सामना किया। पूरणमल का शिक्षक भर्ती में चयन होने पर परिवार में खुशी का माहौल है।

मेहनत से किसी भी लक्ष्य को प्राप्त किया जा सकता है। मनुष्य को सही दिशा में मेहनत करने के पश्चात समय आने पर जो फल प्राप्त होता है, वह सुकून भरा होता हैं। छीपाबड़ौद रोड पर टी स्टॉल लगाकर परिवार चलाने वाले कुंजबिहारी प्रजापति के पुत्र हेमंत प्रजापति ने भी न केवल माता-पिता का गर्व से सीना तान दिया, बल्कि परिवार का नाम भी रोशन किया। पारिवारिक व आर्थिक स्थिति शुरू से ही खराब होने के बावजूद माता पिता ने मेहनत कर उच्च शिक्षा हासिल करवाई।

गरीब भाई-बहन गजेंद्र व मनीषा ने भी मान बढाया
नागर मोहल्ला निवासी भाई-बहन गजेंद्र नागर व मनीषा नागर ने एक साथ तृतीय श्रेणी शिक्षक बनकर मेहनत मजदूरी से घर का गुजारा करने वाली मां का सपना न केवल पूरा किया, बल्कि समाज में अपना मान भी बढाया है। मां ने मेहनत-मजदूरी कर कर बच्चों को पढ़ाया। शिक्षक भर्ती परीक्षा 2022 में जनरल फाइट कर तृतीय श्रेणी शिक्षक भर्ती में दोनों भाई बहन का एक साथ चयन हुआ है। आर्थिक स्थिति कमजोर होने के बाद भी दोनों ने शिक्षा जारी रखी और सफलता हासिल की। दोनों भाई-बहन अपनी इय सफलता का श्रेय कड़ी लगन, शिक्षकों और परिजन को देते हैं।

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पानी पतासे बेचकर परिवार को पाला फिर टीचर बनने का सपना पूरा किया
दिनेश राठौर पतासी का ठेला लगाकर अपने घर का खर्चा चलाता है। दिनेश राठौर ने ठेला लगाने के बाद अपनी पढ़ाई भी जारी रखते हुए 7 साल पढ़ाई कर शिक्षक भर्ती में सफलता हासिल की। इसके लिए वो अपने माता पिता व गुरुजनों को श्रय देते हैं। इसी प्रकार कमलेश कुशवाह ने खेती-बाडी व सब्जी बेचकर परिवार चलाने वाले पिता के पुत्र कमलेश कुशवाह ने भी विपरीत हालात में उच्च शिक्षा पढकर शिक्षक बनने का गौरव हासिल किया।

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किसान के बेटे सोनू कुशवाह ने जिले में पहली रैंक की हासिल
श्रेणी अध्यापक शिक्षक भर्ती में बारां जिले में प्रथम रैंक हासिल की है। जिसके बाद से गांव व परिवार में खुशी का माहौल है। वहीं आॅल राजस्थान में 245 वीं रैंक प्राप्त की। ग्रामीणों व परिवारजनों ने अभ्यर्थी मोतीपुरा कलां निवासी सोनू कुशवाह तृतीय श्रेणी अध्यापक भर्ती में अंतिम रूप से चयनित होने पर बधाई दी। चयनित सोनू कुशवाह ने इस सफलता का श्रेय अपने संयुक्त परिवार को दिया है। बता दे कि सोनू के  पिता-माता किसान है। यह पूरा परिवार खेती से जुड़ा हुआ है। सोनू कुशवाह बताते हैं कि संघर्ष की हमेशा जीत होती है। कठिन मेहनत करने से सफलता जरूर मिलती है। सोनू ने नर्सरी से ही सरकारी विद्यालय में अध्ययन कर उच्च शिक्षा प्राप्त की। किसान माता-पिता ने खेती किसानी कर उच्च शिक्षा हासिल करवाई। पढ़ने के लिए शहर में जाने के लिए और कोचिंग के पैसे न होने के कारण घर पर रहकर स्वयं अध्ययन किया। पिछली तृतीय श्रेणी अध्यापक भर्ती की तैयारी करने के लिए छबड़ा शहर में किराए से रहकर पढ़ाई की। लेकिन दो अंकों से असफल रहे। फिर से कठिन मेहनत कर तृतीय श्रेणी अध्यापक भर्ती 2022 में चयन होकर माता-पिता, परिवार, गुरुजनों और गांव नाम रोशन किया है।

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