देर से सोना और देर तक सोना बीमारियों को बुलावा देना

देर से सोना और देर तक सोना बीमारियों को बुलावा देना

अच्छी नींद लेने से हमारे शरीर को ज्यादा श्वेत रक्त कणिकाओं का उत्पादन करने में मदद मिल सकती है, जो संक्रमण और बीमारियों से लड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।

कई अध्ययन में यह पाया गया है कि अच्छी नींद शरीर को दुरुस्त करने, क्षतियों को सुधारने और ताजादम करने में बहुत मदद करती है। ऐसा इसलिए कि सोते समय हमारे दिमाग को आराम मिलता है और सही नींद लेने के चलते दिमाग जागने के बाद बेहतर तरीके से काम कर पाता है। अच्छी नींद लेने से हमारे शरीर को ज्यादा श्वेत रक्त कणिकाओं का उत्पादन करने में मदद मिल सकती है, जो संक्रमण और बीमारियों से लड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। इसके अलावा स्मरण और सोचने-समझने की शक्ति भी बढ़ती है जिससे कामों को बेहतर तरीके  से निपटाने की ऊर्जा मिलती है। 

मानसिक स्वास्थ्य बेहतर  
जब कभी आप ठीक समय से सोकर सुबह जल्दी उठे होंगे तो आप ख़ुशी महसूस करते होंगे,वहीं देरी से जागने पर पूरे दिन आलस का भी अनुभव किया होगा। लाजमी है कि आप अगर सुबह से ख़ुशी और तरोताजा महसूस करेंगे तो कई गंभीर समस्याओं जैसे  मोटापा, मधुमेह,हृदय रोग, उक्त रक्तचाप से दूर रहेंगे। स्वस्थ शरीर से मानसिक स्वास्थ्य भी बेहतर होता है। 

भूख कर पाएंगे नियंत्रित 
जब हम अच्छी और पर्याप्त नींद नहीं लेते हैं तो हमारा शरीर भूख हार्मोन का ज्यादा उत्पादन करता है और लेप्टिन हार्मोन का कम उत्पादन करता है। इसके चलते ओवरइटिंग और वजन बढ़ने का खतरा भी पैदा हो सकता है। वहीं जल्दी सोने और पर्याप्त नींद लेने से इन हार्मोंस को कंट्रोल करने और पौष्टिक खाने की आदतों को बढ़ावा मिलता है। 

हार्मोन रहेंगे संतुलित 
जल्दी और समय पर सोने से हमारे शरीर को तनाव से संबंधित कॉर्टिसोल हार्मोन को नियंत्रित करने में काफी मदद मिल सकती है। ये रात के शुरुआती घंटों के दौरान सबसे कम होता है। रात में जल्दी सोने से इसके स्तर को कम करने में मदद मिलती है जिसका पूरे स्वास्थ्य पर अच्छा प्रभाव पड़ता है।  वर्षों से रात 8 से 10 बजे के बीच सोने को एक अच्छी आदत माना जाता रहा है। आजकल के व्यस्त रूटीन की वजह से लोग अक्सर समय पर सो नहीं पाते। पर इस सामान्य-सी आदत के चलते सेहत पर कई प्रकार के नकारात्मक असर हो सकते हैं क्योंकि हमारा शरीर एक नैचुरल सिर्कैडियन रिदम पर कार्य करता है। ये प्राकृतिक रूप से सोने-जागने के पैटर्न को संदर्भित करता है जो हमारे शरीर में होने वाले मानसिक  व्यवहार संबंधी और शारीरिक परिवर्तनों को प्रभावित करता है। यह हार्मोन  शरीर के तापमान और खाने की आदतों को प्रभावित करता है। इसके अलावा जब सिर्कैडियन लय बदल जाती है,तो यह डायबिटीज, मोटापा, हाई ब्लड प्रेशर और डिप्रेशन सहित कई स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बनता है।

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