हेरत अंगेज व परंपरागत करतब दिखाएंगे पट्टेबाज

बोट के बालाजी मंदिर स्थित महाबली व्यायामशाला

हेरत अंगेज व परंपरागत करतब दिखाएंगे पट्टेबाज

इस अखाड़े में पहले कुश्ती का दंगल का अखाड़ा हुआ करता था बाद में यहां व्यायामशाला और शस्त्रों के अखाड़े कि शुरूआत हुई और लड़के आने लगे।

कोटा। अखाड़े और व्यायामशालाएं जानी जाती हैं उनके द्वारा किए जाने वाले हैरतंगेज करतबों और कलाबाजियों से पर एक अखाड़ा ऐसा भी है जो सिर्फ प्रशासन द्वारा तय किए गए और उसके द्वारा तय किए गए दिशा निर्देशों के अनुसार प्रदर्शन करके भी प्रसिद्ध है। बोट के बालाजी मंदिर स्थित महाबली व्यायामशाला में कल होने वाले प्रदर्शन को शानदार बनाने के लिए लड़के जी जान से लगे हुए हैं और सुबह से ही करतबों और शस्त्रों को चलाने का अभ्यास कर रहे हैं ताकि प्रदर्शन के समय कोई चूक ना हो। व्यायामशाला के व्यवस्थापक अशोक गोयल ने बताया कि इस व्यायामशाला में 250 से भी ज्यादा लड़के हर दिन सभी तरहों के शस्त्रों को चलाने का अभ्यास करते हैं और साथ ही कुश्ती और बुशू कि भी प्रैक्टिस करते हैं। अनंत चतुर्दशी को लेकर लड़कों में इस बार काफी उत्साह है क्योंकि पिछले कुछ सालों से कोरोना के चलते लड़के अपने करतबों का प्रदर्शन खुलकर नहीं कर पा रहे थे। यहां 8 साल के बच्चे से लेकर 40 साल तक के पुरूष भालों तलवारों और चक्करों को अपनी उंगलियों पर घुमाने का हुनर रखते हैं। 

170 साल पुराना अखाड़ा
अखाड़े के अध्यक्ष सुखदेव सिंह ने बताया कि इस अखाड़े में पहले कुश्ती का दंगल का अखाड़ा हुआ करता था बाद में यहां व्यायामशाला और शस्त्रों के अखाड़े कि शुरूआत हुई और लड़के आने लगे। आज भी इस व्यायामशाला में कलाबाजों और पहलवानों के लिए मिट्टी से बना अखाड़ा और कसरत करने के लिए जिम और योग के लिए प्रांगण बना हुआ है जहां हर दिन सुबह लड़के आकर पहले कसरत करते हैं फिर करतबों का अभ्यास करते हैं। ये अखाड़ा करीब 170 साल पुराना है और इस का नाम बालाजी के नाम महाबली पर रखा गया था। तब से ही इसे ही महाबली अखाड़ा कहा जाता है। 

समिति के सदस्य ही संचालित करते हैं
अखाड़े के अध्यक्ष सुखदेव सिंह ने बताया कि व्ययामशाला का सारा खर्चा अखाड़ा समिति ही व्यय करती है जिसमें सिर्फ 25 वर्ष से उपर कि आयु वालों से सदस्यता शुल्क के रूप में योगदान लिया जाता है। वहीं अखाड़े के जिम, योगा स्थल और मिट्टी के अखाड़े का व्यय वहां पर अभ्यास करने वालों से सदस्यता शुल्क के रूप में लिया जाता है।

सिर्फ पारम्परिक करतबों का ही प्रदर्शन
इस बार अखाड़े के लड़कों द्वारा चाकू , बनेठी को एक उंगली से घुमाने का प्रदर्शन किया जाएगा वहीं इसके साथ ही अखाड़े समिति के द्वारा इस साल कोई भी जानलेवा या जिससे किसी को नुकसान पहुंचे ऐसा करतब या स्टंट नहीं दिखाने का निर्णय लिया गया है, अखाड़े के लड़के सिर्फ पारम्परिक रूप से किए जाने वाले करतबों का ही लोंगों के बीच प्रदर्शन करेंगें जिससे पारम्परिक शस्त्र विद्या के बारे में लोगों को बता सके। 

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अखाड़े से शस्त्र प्रतियोगिता का पहला हाड़ौती केसरी
अखाड़े के व्यवस्थापक अशोक गोयल ने बताया कि इस अखाड़े से तलवार बाज लोकेश शर्मा 2023 में कोटा में आयोजित शस्त्र प्रतियोगिता में हाड़ौती केसरी का खिताब जीतने कामयाब हुए जिसमें लोकेश ने 8 तरह के शस्त्रों का लगातार प्रदर्शन किया। वहीं इसके साथ ही लोकेश 2018 में उदयपुर में, 2019 में श्रीगंगानगर में और 2021 में बाड़मेर में आयोजित वुशु स्टेट चैंपियनशिप में सिल्वर मेडल के विजेता रहे। 

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