अस्पताल के बाहर बैठे ठेकाकर्मी, अंदर बैठे मिले जानवर
नवज्योति ने जांची अस्पतालों की व्यवस्था : बदबू और कीचड़ के कारण खड़ा होना भी मुश्किल
सफाई कि अव्यवस्था तो अस्पतालों में बनी हुई है ही लेकिन अस्पताल प्रशासन आवारा जानवरों तक को रोक नहीं पा रहा
कोटा। प्रदेश में कई दिनों से लगातार चल रही ठेका कर्मियों कि हड़ताल के चलते चिकित्सा व्यवस्थाएं ठप पड़ी हैं और इस हड़ताल का कोटा के दोनों बड़े अस्पतालों एमबीएस व जेके लॉन के काम काज व व्यवस्थाओं पर भी खासा असर पड़ रहा है। जहां एक ओर बहिरंग विभाग में मरीज इलाज के लिए इधर उधर भटकने को मजबूर है तो दूसरी ओर जो मरीज भर्ती हैं वो वार्डों के अन्दर और बाहर फैली गंदगी के कारण परेशान हैं। अस्पतालों का ऐसा कोई वार्ड या कोना नहीं बचा जहां गंदगी न हो जगह जगह कचरे के ढेर दवाइयों कि खाली शीशियां, उपयोग की हुई सुईयां पड़ी हुई हैं। अव्यवस्थाएं इतनी है कि वार्डों के बाहर जानवर तक देखे जा सकते हैं, मरीज यहां अपनी एक बीमार के ईलाज के लिए आएंगें पर साथ में दो बीमारी लेकर जाएंगें। एमबीएस अस्पताल के जनरल मेडिसिन वार्ड में भर्ती महेन्द्र ने बताया कि वो एक दिन पहले ही यहां भर्ती हुए हैं और व्यवस्थाओं का हाल देखकर उन्हें इलाज कराने में भी डर लग रहा है। महेन्द्र के मुताबिक जब से वो भर्ती हुए हैं तब से वार्ड कि एक बार भी सफाई नहीं हुई है और गंदगी के पास ही उन्हें एडमिट कर दिया है। वार्ड में तो सफाई है ही नहीं साथ ही वार्ड के साथ लगे शौचालय भी जैसे महीनं से साफ नहीं हुए हैं उसके लिए भी उन्हें बाहर बने सुलभ कॉम्प्लेक्स में जाना पड़ रहा है।
काउन्टरों पर लगी लम्बी कतारें
बात करें पर्ची काउन्टरों कि तो यहां भी लम्बी लाइनें देखने को मिली जाँचों कि पर्ची बनानें वाले काउन्टर पर तीमारदार अपनी बारी का इन्तजार करते रहे। जेके लॉन के चिरंजिवी योजना के काउन्टर के बाहर दिनभर लम्बी लाइनें देखने को मिली लोंगों का कहना है कि स्टाफ ना होने के कारण हम रजिश्ट्रेशन तक नहीं करवा पा रहे हैं और ईलाज में बहुत समस्या आ रही है। इन सब के बीच अधीक्षक कक्ष के बाहर सफाई कि व्यवस्था चाक चोबंद मिली जहां एक ओर मरीज और तीमारदार कचरे व बदबू के बीच बैठने को मजबूर हैं वहीं अस्पतालों के अधिकारीयों ने अपने कमरों और बाहर कि सफाई पूरे तरीके से करवाई हुई है।
हर जगह सिर्फ कचरा और बदबू
वहीं जेके लॉन के गायनिक वार्ड में भर्ती पुष्पलता ने बताया कि वो दो दिन से भर्ती हैं और वार्ड कि हालत बिल्कुल खराब हो रही है सफाई तो बिल्कुल भी नहीं हो पा रही और हमें पेशाब के लिए भी बाहर जाना पड़ रहा है जाँचों के लिए भी घण्टों लाइनों में लगना पड़ रहा है क्योंकि स्टाफ नहीं है तो पर्चीयां भी समय से नहीं बन पा रहीं। एमबीएस के मेडिकल ए इकाई वार्ड के बाहर इतना कचरा और चिकित्सा उपकरणों के पडेÞ अवशेषों के कारण इतनी बदबू हो रही है कि आम इंसान तक ठीक से सांस तक नहीं ले पा रहा मरीजों के लिए ये हालात तो और गम्भीर हैं। सफाई कि अव्यवस्था तो अस्पतालों में बनी हुई है ही लेकिन अस्पताल प्रशासन आवारा जानवरों तक को रोक नहीं पा रहा बुधवार को आॅर्थोपेडिक वार्ड के बाहर एक कुत्ता बैठा मिला जिसे किसी ने भगाने कि जरूरत नहीं समझी। वहीं हाल ही में बनकर तैयार हुई एमबीएस अस्पताल कि नई बिल्डिंग के जनरल व कॉटेज वार्ड के बाहर कचरे के ढेर पड़े मिले, वहीं बाथरूम के बाहर इतना पानी भरा हुआ था कि ना मरीज ना तीमारदार कोई भी उसमें नहीं जा सकता है। कुन्हाड़ी निवासी गोपाल ने अपने बेटे शुभम को 5 दिन पहले डेंगू होने पर भर्ती एमबीएस के जनरल वार्ड मं भर्ती किया था पर अभी वो निजी अस्पताल में जा रहे हैं क्योंकि अस्पताल ना सफाई हो रही ना जाँचें उन्हें जरूरी सुविधाओं के लिए भी बाहर जाना पड़ रहा है।
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