गांधी के जीवन दर्शन और आदर्शों को व्यापक बना रहा है गांधी अध्ययन केंद्र
गांधी अध्ययन केंद्र राजस्थान विश्वविद्यालय के बीच में स्थित है
गांधी अध्ययन केंद्र के शैक्षणिक कार्यक्रमों में 1985 से 2021-22 तक एम.फिल की डिग्री गांधी अध्ययन के क्षेत्र में संचालित की गई। नई शिक्षा नीति 2020 के आधार पर एम.फिल. की उपाधि को यूजीसी द्वारा उच्च शिक्षा से समाप्त कर दिया गया।
ब्यूरो/नवज्योति, जयपुर। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के जीवन दर्शन और आदर्शों को व्यापक बनाने के लिए सत्य, अहिंसा, शांति, सत्याग्रह, सर्वधर्म समभाव व सहिष्णुता आदि मानवीय गुणों की समाज में स्थापना के लिए राजस्थान विश्वविद्यालय का गांधी अध्ययन केंद्र प्रयत्नशील है। यह विभिन्न अकादमिक शोध, समाज सेवा और सहयोगात्मक गतिविधियों का एक शैक्षणिक केंद्र है, जो विगत वर्षों तक राजस्थान का एक मात्र विख्यात केंद्र रहा है। पूर्व में इसे गांधी भवन के नाम से जाना जाता था, जिसकी स्थापना 1965 में हुई थी। इसके बाद 1985 में विश्वविद्यालय की शैक्षणिक परिषद् ने गांधी भवन को गांधी अध्ययन केंद्र के रूप में प्रोन्नत कर इस केंद्र में एमफिल पाठ्यक्रम के संचालन की अनुमति दी। बाद में अकादमिक परिषद् द्वारा डॉक्टरल और पोस्ट-डॉक्टरल डिग्री के लिए भी सैद्धान्तिक स्वीकृति भी दी गई।
अभी चल रहा सर्टीफिकेट कोर्स
गांधी अध्ययन केंद्र के शैक्षणिक कार्यक्रमों में 1985 से 2021-22 तक एम.फिल की डिग्री गांधी अध्ययन के क्षेत्र में संचालित की गई। नई शिक्षा नीति 2020 के आधार पर एम.फिल. की उपाधि को यूजीसी द्वारा उच्च शिक्षा से समाप्त कर दिया गया। इसके बाद गांधी चिंतन एवं दर्शन पर आधारित छह माह का एक सर्टीफिकेट कोर्स संचालित है। अगले शैक्षणिक सत्र में पीजी डिप्लोमा में सभी संकाय एवं विषयों के विद्यार्थी प्रवेश ले सकेंगे।
ऐसे लिया बड़ा रूप
गांधी अध्ययन केंद्र राजस्थान विश्वविद्यालय के बीच में स्थित है। इसकी शुरुआत 1965 में दो छोटे कमरों से हुई थी। वर्तमान में केंद्र में एक बड़ा कक्षा-कक्ष, एक निदेशक कक्ष, एक आॅफिस-कम- लाइब्रेरी, एक प्रार्थना स्थल, एक इको डोम और एक सुंदर उद्यान है। इस केंद्र का शांत वातावरण लगभग 4000 से अधिक पुस्तकें, महात्मा गांधी की चित्र र्प्रदर्शनी, कई रिपोर्ट और एम.फिल. के लघु शोध प्रबंध यहां उपलब्ध हैं। प्रख्यात राजनीतिक विचारक प्रो. वीआर मेहता (पूर्व कुलपति, दिल्ली विश्वविद्यालय) केंद्र के संस्थापक निदेशक थे।
मुख्य उद्देश्य
-गांधी से संबंधित साहित्य और अन्य प्रासंगिक गांधीवादी विचारकों के सैद्धांतिक और व्यावहारिक पहलुओं का अध्ययन।
-स्थानीय, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गांधीवादी सिद्धांतों का अध्ययन करना।
-विकासशील समाजों के लिए उपयुक्त और मध्यवर्ती तकनीकों का निर्धारण करना।
-भारत के साथ दुनिया के अन्य हिस्सों में भी गांधीवादी तकनीकों का प्रयोग एवं क्रियान्वयन।
-सम्मेलन, संगोष्ठी और विशिष्ट व्याख्यान कराना, समृद्ध पुस्तकालय उपलब्ध कराना, रचनात्मक कार्यक्रमों और अन्य संगठनों पर आधारित सामग्री प्रकाशित करना।
-गांधीवादी संगठनों, सरकार और गांधीवादी विचारों का समर्थन करने वाले अन्य लोगों के बीच एक शैक्षणिक सेतु बनाना।
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