रबी सीजन में बढ़ी बिजली की डिमांड
महंगी बिजली खरीद हो रही सप्लाई, कोयले की कमी से अगले 15 दिन में बढ़ सकता है बिजली संकट
बिजली कंपनियां मंहगी दरों पर बिजली खरीदकर सप्लाई दे रही हैं, लेकिन आगामी 15 दिनों में बिजली संकट बढ़ सकता है और अलग अलग श्रेणी में बिजली कटौती शुरू की जा सकती है।
जयपुर। प्रदेश के आधा दर्जन थर्मल पावर प्लांट्स में कोयले की कमी के चलते बिजली उत्पादन घट गया है। रबी सीजन में किसानों की अधिक बिजली डिमांड, औद्योगिक और घरेलू उपभोक्ताओं के यहां भी लोड बढ़ने से डिमांड-सप्लाई में अंतर बढ़ गया है। फिलहाल बिजली कंपनियां मंहगी दरों पर बिजली खरीदकर सप्लाई दे रही हैं, लेकिन आगामी 15 दिनों में बिजली संकट बढ़ सकता है और अलग अलग श्रेणी में बिजली कटौती शुरू की जा सकती है।
डिमांड करीब 18 हजार मेगावाट तक पहुंची
प्रदेश में बिजली किल्लत के बीच डिमांड करीब 18 हजार मेगावाट तक पहुंच गई है और डिमांड-सप्लाई में 1500 मेगावाट से भी ज्यादा अंतर बना हुआ है। प्रदेश के छह थर्मल पावर प्लांट्स में बिजली उत्पादन ठप पड़ा है। कालीसिंध थर्मल पावर प्लांट की 600 मेगावाट की एक यूनिट, सूरतगढ़ सबक्रिटिकल की 250-250 मेगावाट की एक यूनिट, सूरतगढ़ सुपर क्रिटिकल की 660-660 मेगावाट की दो यूनिट, कोटा थर्मल प्लांट की 210 मेगावाट की एक यूनिट तकनीकी कारणों से बंद पड़ी हैं। विद्युत उत्पादन निगम ने इन यूनिट को जल्दी शुरू करने का दावा किया है। प्रदेश की उत्पादन इकाइयों को औसतन हर रोज 21 रैक(84 हजार मैट्रिक टन) कोयले की जरूरत है। छत्तीसगढ़ से राजस्थान की खदानों से भी पूरी सप्लाई नहीं मिल पा रही और हर रोज करीब 20 से 24 हजार मैट्रिक टन कम कोयला मिल रहा है।
अधिकांश पावर प्लांट में महज चार से पांच दिन का कोयला ही बचा है। प्रदेश की थर्मल इकाइयां अभी पूरी तरह कोल इंडिया कंपनी पर निर्भर हैं। राज्य उत्पादन निगम को कोल इंडिया के करीब एक हजार करोड़ रुपए चुकाने हैं। उधारी के कारण कोल इंडिया से सप्लाई भी प्रभावित हुई है।
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