पाई-पाई को मोहताज गुरुजी, कर्ज में डूबी दाल रोटी

30 माह से तनख्वाह को तरस रहे दो कॉलेजों के शिक्षक

पाई-पाई को मोहताज गुरुजी, कर्ज में डूबी दाल रोटी

जून 2021 के बाद से कार्यरत शैक्षणिक व अशैक्षणिक स्टाफ को तनख्वाह नहीं मिल रही।

कोटा। सरकार की अनदेखी से हाड़ौती के दो राजकीय महाविद्यालयों के शिक्षकों की जिंदगी कर्ज में डूब गई है। ढाई साल से पाई-पाई को मोहताज हो रहे हैं। मंत्री से लेकर मुख्यमंत्री तक फरियाद लगाई लेकिन सभी जगहों से निराशा ही हाथ लगी। हालात यह हो गए कि 30 महीनों से न तो शिक्षकों को तनख्वाह मिली और न ही उन्हें नियमित किया जा रहा। जबकि, शैक्षणिक व अशैक्षणिक स्टाफ नियमित कॉलेज जा रहे हैं और विद्यार्थियों को पढ़ा रहे हैं। कॉलेज संचालित कर रहे हैं। स्थिति यह हो गई कि एक कर्ज चुकाने के लिए दूसरा कर्ज लेना पढ़ रहा है। बकाया न चुकाने के कारण दुकानदारों ने उधारी में राशन देना भी बंद कर दिया। ऐसे में शिक्षक कभी रिश्तेदार तो कभी परिचितों के आगे हाथ फैलाने को मजबूर हैं। दरअसल, राज्य सरकार ने स्ववित्त पोषिक योजना के तहत संचालित बारां जिले में छीपाबड़ौद के प्रेमसिंह सिंधवी व बूंदी जिले में नैनवा के भगवान आदिनाथ जयराज मारवाड़ा कॉलेज को अधिग्रहण कर सरकारी तो बना दिया लेकिन स्टाफ को नियमित नहीं किया। जिसकी वजह से दोनों कॉलेजों के करीब 21 लैक्चरर व 15 अशैक्षणिक स्टाफ पिछले 30 माह से तनख्वाह को तरस गए। 

यह है मामला
वर्ष 2006 में स्ववित्त पोषित योजना के तहत बारां जिले के प्रेमसिंह सिंघवी कॉलेज शुरू किया था। कॉलेज संचालन के लिए तत्कालीन एसडीएम की अध्यक्षता में महाविद्यालय विकास समिति का गठन किया। जिसकी देखरेख में कॉलेज संचालित किया जा रहा था। वर्ष 2013 में कांगे्रस सरकार ने कॉलेज का अधिग्रहण कर सरकारी में बदल दिया। लेकिन, वर्ष 2014 में सत्ता परिवर्तन होने के कारण भाजपा सरकार ने इसे डिस नोटिफाइड कर दिया था। इसके बाद वर्ष 2019 में फिर से प्रदेश में कांगे्रस सरकार आने के बाद सीएम घोषणा बजट में इसे फिर से नोटिफाइड करते हुए कॉलेज को सरकारी कर दिया।  जून 2021 के बाद से ही यहां कार्यरत शैक्षणिक व अशैक्षणिक स्टाफ को तनख्वाह नहीं मिल रही। जबकि, पहले विकास समिति के माध्यम से स्टाफ को वेतन मिलता था। 

दोनों कॉलेजोें में एक भी कर्मचारी सरकारी नहीं
जानकारी के अनुसार छिपाबड़ौद के प्रेम सिंह सिंघवी व मारवाड़ा कॉलेज में वर्तमान में एक भी कर्मचारी सरकारी नहीं है। महाविद्यालयों का संचालन पुराना स्टाफ द्वारा ही किया जा रहा है। एडमिशन लेने से एग्जाम संचालित करवाने तक का सारा काम यही स्टाफ कर रहा है। छात्रवृति का काम भी यही शिक्षक कर रहे हैं। इसके अलावा पूरे साल नियमित कॉलेज आ रह हैं। ढाई साल से तनख्वाह नहीं मिलने से दो वक्त की रोटी का जुगाड़ करना भी मुश्किल हो गया है।

जेवर गिरवी रखे तब हुआ रोटी का जुगाड़
लेक्चरर राजेश गुप्ता ने बताया कि ढाई साल से परिवार आर्थिक तंगी से जूझ रहा है। जमा पूंजी खत्म हो गई। दुकानदारों ने भी पिछला बकाया नहीं दे पाने से उधारी में राशन देना बंद कर दिया। हाल ही मुख्यमंत्री व आयुक्तालय कमीशनर से मिलकर पीढ़ा बताई लेकिन आश्वासन के अलावा कुछ नहीं मिला। घर के जेवर गिरवी रख दो वक्त की रोटी का जुगाड़ करना पड़ रहा है। अधिकतर शिक्षक ओवरऐज हो चुके हैं, ऐसे में कॉलेज छोड़कर भी नहीं जा सकते। सरकार भी मामले में कुछ भी स्पष्ट नहीं कर रही।  

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ब्याज पर कर्जा लेकर पाल रहे परिवार 
सिंघवी कॉलेज में कार्यरत सहायक कर्मचारी बाबू खान ने बताया कि जून 2021 के बाद से ही तनख्वाह नहीं मिली। 30 महीनों से कॉलेज में काम कर रहे हैं लेकिन सरकार न तो नियमित कर रही और न ही तनख्वाह दे रही। परिवार चलाना मुश्किल हो गया। ब्याज पर कर्जा लेकर परिवार चला रहे हैं। बेटा हैदराबाद में एयरलाइंस इंस्टीट्यूट से कू्र-मेंबर का कोर्स कर रहा है, जिसकी फीस 1.70 लाख है। तनख्वाह की उम्मीद में जेवर गिरवी रख 1 लाख रुपए तो जमा करवा दिए लेकिन 70 हजार न दे पाए। 

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ढाई साल से नहीं मिली तनख्वाह
प्रेमसिंह सिंघवी कॉलेज में संस्कृत लेक्चरर भूमिका पारीक ने बताया कि 18 मार्च 2021 को नियमित करने के लिए आयुक्तालय जयपुर में शिक्षकों की स्क्रिीनिंग की थी। दस्तावेज जांचे थे और नियमित करने का भरोसा दिलाया था। इसी आस में ढाई साल से प्रतिदिन कॉलेज जा रहे हैं। वहां एडमिशन से लेकर पढ़ाने व एग्जाम करवाने तक की जिम्मेदारी निभा रहे हैं। अब तक न तो तनख्वाह मिली और न ही नियमित किया गया। बच्चों की जरूरतें पूरी करना तो दूर फीस का जुगाड़ करना ही मुश्किल हो गया। परिवार हर दिन तनाव से गुजर रहा है। 

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अब कहां मिलेगी नौकरी
भगवान आदिनाथ जयराज मारवाड़ा कॉलेज के शिक्षक डॉ. जेपी मीणा ने बताया कि 1977 नियम-5 के अनुसार स्ववित्त कॉलेज में कार्यरत शैक्षणिक व अशैक्षणिक कर्मचारियों को सरकारी सेवा में मर्ज करना किया जाना है। जिसके तहत कर्मचारियों के डॉक्यूमेंट उच्च शिक्षा आयुक्तालय की स्क्रेनिंग कमेटी चेक कर चुकी है। अब तक न तो नियमित किया गया और न ही वेतन दिया। उप मुख्यमंत्री से भी मिले थे। लेकिन संतोषजनक जवाब नहीं मिला। वर्ष 2003 से सभी स्टाफ नियमित सेवाएं दे रहे हैं। अधिकतर कर्मचारी ओवर एज हो चुके हैं, नियमित होने की आस में बिना वेतन नौकरी कर रहे हैं। अब हमें कहां नौकरी मिलेगी।

इनका कहना है
15 फरवरी को कॉलेज आयुक्त की अध्यक्षता में प्रदेश के सभी संभाग के एडी व कॉलेज प्रिंसिपलों की आॅनलाइन मिटिंग हुई थी। जिसमें छीपाबड़ौद के प्रेमसिंह सिंधवी व नैनवां का मारवाड़ा कॉलेज का मुद्दा उठाया था। इन दोनों कॉलेजों को सरकारी तो कर दिया लेकिन न तो इन्हें नियमित किया और न ही तनख्वाह मिली यह जानकारी उच्चाधिकारियों के समक्ष रखी थी। इस पर कमीशनर ने मामला संज्ञान में होने और सरकार द्वारा जल्द ही कार्रवाई करने की बात कहीं है। 
- डॉ. रघुराज सिंह परिहार, सहायक क्षेत्रिय निदेशक, आयुक्तालय कोटा

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