जंगल में खेल मैदान, 44 कॉलेजों में एक ही पीटीआई

महाविद्यालयों में स्पोर्ट्स एजुकेशन के बुरे हाल, कहीं मैदान नहीं तो कहीं शारीरिक शिक्षक नहीं

जंगल में खेल मैदान, 44 कॉलेजों में एक ही पीटीआई

स्पोर्ट्स वीक के नाम पर महज खानापूर्ति की जा रही है।

कोटा। हाड़ौती के राजकीय महाविद्यालयों में शारीरिक शिक्षा का बुरा हाल है। यहां न तो खेलने की जगह है और न ही खिलाने वाले शिक्षक हैं। सरकार की उपेक्षा और कॉलेज प्रशासन की लापरवाही से खेल प्रतिभाएं संघर्ष से जूझ रही है। जबकि, स्पोर्ट्स विद्यार्थियों का कॅरियर बना सकता है। इधर, कोटा विश्वविद्यालय ने स्पोर्ट्स कैलेंडर जारी कर दिया है। अंतर महाविद्यालय प्रतियोगिताएं 4 सितम्बर से शुरू होगी, जो दिसम्बर तक जारी रहेगी। इसमें नेशनल लेवल तक छात्र-छात्राओं को प्रतिभा दिखाने का मौका मिलेगा, जो उनकी कॅरियर की दिशा बदल सकता है। लेकिन, हालात यह हैं, कॉलेजों के खेल मैदानों में जंगल खड़े हैं। अभी तक न तो खेल मैदानों की साफ-सफाई करवाई गई और न ही संविदा पर पीटीआई लगाए गए। स्पोर्ट्स वीक के नाम पर महज खानापूर्ति की जा रही है। 

43 कॉलेजों में एक भी पीटीआई नहीं 
कोटा संभाग में 44 राजकीय महाविद्यालय हैं। जिनमें से एकमात्र गवर्नमेंट कॉलेज बारां में ही एक पीटीआई हैं। शेष 43 कॉलेजों में शारीरिक शिक्षक नहीं है। कोटा विवि द्वारा जब अंतर महाविद्यालय प्रतियोगिता का आयोजन करवाया जाता है तो महाविद्यालय द्वारा 3 से 4 माह के लिए संविदा पर शिक्षक रख लिया जाता है, जिसे प्रतियोगिता के बाद हटा दिया जाता है। इसके बाद पूरे साल स्पोर्ट्स सिखाने वाला नहीं होता। विद्यार्थी खेलों की बारीकियां व नियम कायदे नहीं सीख पाते। नतीजन, इंटर स्टेट लेवल की प्रतियोगिताओं से बाहर हो जाते हैं।  

1992 के बाद नहीं हुई भर्ती
सरकारी कॉलेजों में वर्ष 1992 के बाद से ही पीटीआई की भर्ती नहीं हुई। हर साल भर्ती की आस में बड़ी संख्या में युवा बीपीएड की डिग्री ले रहे हैं।  लेकिन, भर्ती के अभाव में उनके सपने चकनाचूर हो रहे हैं। अधिकतर कॉलेजों में पीटीआई का चार्ज भी प्रोफेसरों को सौंप रखा है। जिसकी वजह से वे न तो अपने मूल कार्य कर पाते और न ही छात्रों को स्पोर्ट्स सिखा पाते। हालात यह हैं, सरकारी कॉलेजों में स्पोर्ट्स के नाम पर महज औपचारिकता निभाई जा रही है। 

बिना सीखे खेल रहे गेम्स
शहर के राजकीय महाविद्यालयों के प्रोफेसर्स का कहना है, पीटीआई नहीं होने से उन्हें ही अतिरिक्त चार्ज दे रखा है। जिसकी वजह से शिक्षक ों के मूल कार्य प्रभावित हो रहे हैं। स्पोट्स में जानकारी न होने के बावजूद विद्यार्थियों को गेम्स खिला रहे हैं, प्रेक्टिस के नाम पर कुछ नहीं हो रहा। 4 माह के लिए ही संविदा पर शारीरिक शिक्षक लगाते हैं फिर हटा दिए जाते हैं। 

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क्या कहते हैं विद्यार्थी 
नवीन कॉलेज में स्पोर्ट्स ग्राउंड नहीं है। लेकिन, पास में खाली जगह है, उसमें जंगल उगा हुआ है। न तो हमारे पास खेलने की जगह है और न ही खिलाने वाले शिक्षक। सात दिन बाद गेम्स शुरू हो जाएंगे, प्रेक्टिस कहां करें और कौन करवाएगा, यह बताने वाला भी कोई नहीं है। 
- रिद्धम शर्मा, छात्र, गवर्नमेंट आर्ट्स कॉलेज 

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कॉलेज के खेल मैदान में लंबे समय से झाड़ियां उगी हुई हैं। बरसाती पानी भरा हुआ है। खेल प्रतियोगिताओं के नाम पर खानापूर्ति की जाती है। अभी तक न तो शारीरिक शिक्षक लगाए गए और न ही मैदान की साफ-सफाई करवाई गई। फुटबॉल हैंडबॉल, कबड्डी, नेटबॉल, वॉलीबॉल सहित कई गेम्स की प्रेक्टिस कहां करें, विद्यार्थी परेशान हैं। 
- आशीष मीणा, छात्रसंघ अध्यक्ष, गवर्नमेंट साइंस कॉलेज

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हमारे कॉलेज में खेल मैदान नहीं है। 4 हैक्टेयर भूमि पर जंगल बसा है। पिछले दो साल से फुटबॉल, बास्केट बॉल, बेडमिंटन हॉल बनवाने की मांग कर रहे हैं, जो अब तक नहीं बने। हमारे पास न तो पीटीआई है और न ही स्पोर्ट्स एक्यूमेंट। जबकि, हम स्पोर्ट्स में कॅरियर बनाना चाहते हैं, जिसका मौका ही नहीं मिलता। खेल सप्ताह के नाम पर चम्मच दौड़ व कुर्सी दौड़ करवाकर आफत टाल दी जाती है।
- अनसुईया मीणा, छात्रा सेविका रामपुरा कॉलेज

वर्ष 2020 के बाद से कॉलेज में नियमित स्पोर्ट्स टीचर नहीं है। आयुक्तालय या कोटा विवि द्वारा जब भी कोई खेल प्रतियोगिताएं होती हैं तो एक माह पहले ही संविदा पर पीटीआई रख लिए जाते हैं, जो सिर्फ 4 महीने तक ही रहते हैं। इसके बाद छात्राओं को सिखाने वाला कोई नहीं होता।  लड़कियों को प्रेक्टिस के लिए स्टेडियम जाना पड़ता है। 
- अंजली मीणा, छात्रसंघ अध्यक्ष, जेडीबी साइंस कॉलेज

खेल मैदान तो है लेकिन खेलने लायक नहीं है। ग्राउंड जंगल में तब्दील हो चुके हैं। खो-खो, क्रिकेट, कब्बडी, फुटबॉल, रस्साकसी गेम मिटÞ्टी वाले ग्राउंड पर खेले जाते हैं, जो बरसात के चलते तालाब बने हुए हैं। यहां स्पोर्ट्स पर ध्यान नहीं दिया जाता, महज खानापूर्ति की जाती है। जबकि, स्पोर्ट्स कॅरियर बना सकता है। 
- अर्पित जैन, छात्रसंघ अध्यक्ष गवर्नमेंट कॉमर्स कॉलेज

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संविदा पर पीटीआई रख लिए हैं, जब तक गेम्स चलेंगे तब तक वह रहेंगे। पथरीली मिट्टी होने के कारण मैदान उबड़-खाबड़ हैं। हालांकि, टेबल टेनिस के लिए एक रूम व बैडमिंटन के लिए आॅडिटोरियम में व्यवस्था की है लेकिन पानी टपकने की परेशानी है, जिसे दुरुस्त करवाया जा रहा है। 
- हितेंद्र कुमार, प्राचार्य, गवर्नमेंट कॉमर्स कॉलेज

विद्यार्थियों को गेम्स सिखाने व प्रेक्टिस करवाने के लिए जल्द ही संविदा पर शिक्षक रखे जाएंगे। मैदान में बारिश का पानी भरा होने से झाड़-झंकाड़ हटाने में परेशानी हो रही है। लेकिन, गेम्स शुरू होेने से पहले ही मैदान साफ करवा दिए जाएंगे। 
- प्रतिमा श्रीवास्तव, गवर्नमेंट साइंस कॉलेज

विद्यार्थियों व संबंधित कोच को स्पोर्ट्स एक्टिवीटी के लिए पुराने गवर्नमेंट कॉलेज कोटा में ही जाना पड़ेगा। क्योंकि, हमारे पास ग्राउंड नहीं है। पीटीआई का एक पद खाली है। सरकार पीटीआई तो महाविद्यालय प्रतिभाएं तराश सकता है। मैं राष्टÑीय स्तरीय खिलाड़ी हूं, इसलिए स्पोर्ट्स की ताकत जानता हूं। इस क्षेत्र में बच्चे कॅरियर बना सकते हैं। ग्रामीण परिवेक्ष से आने वाले स्टूडेंट्स टैलेंट रखते हैं, जिन्हें मंच दिए जाने की जरूरत है।
- प्रो. रोशन भारती,  प्राचार्य, गवर्नमेंट आर्ट्स कॉलेज

स्पोर्ट्स टीचर रखे हुए एक माह से ज्यादा समय हो चुका है। हमारे पास बास्केट बॉल ग्राउंड है। वर्तमान में हम वॉलीबॉल, खो-खो, कबड्डी, हैंडबॉल व तीरंदाजी के लिए ग्राउंड बनवा रहे हैं। जिसका काम भी चल रहा है। हालांकि, बारिश के कारण जेसीबी नहीं चल पाने से काम रुका है,जल्द ही सभी खेल मैदान डवलप हो जाएंगे। जिसका लाभ जेडीबी साइंस के साथ राजकीय कला कन्या कॉलेज की बालिकाओं को भी मिलेगा।
- प्रो.अजय विक्रम, प्राचार्य, जेडीबी साइंस कॉलेज

कैम्पस में खेल मैदान नहीं है लेकिन छात्राओं के खेलने व प्रेक्टिस की व्यवस्था पुख्ता करवाते हैं। गत वर्ष की तरह इस वर्ष भी बैडमिंटन के लिए स्टेडियम के सामने बैडमिंटन हॉल में नि:शुल्क प्रैक्टिस करवाते हैं। खेल सुविधाओं के संबंध में आयुक्तालय ने हमसे जानकारी मांगी थी, जो दे दी गई है। ऐसे में सुविधाओं में इजाफे की उम्मीद है। 
- प्रो. सीमा चौहान, प्राचार्य, जेडीबी आर्ट्स कॉलेज

कॉलेज में न तो पीटीआई है और न ही खेल मैदान। मैं राज्य स्तरीय खिलाड़ी हूं, इसलिए चाहता हूं कॉलेज की 4 हैक्टेयर भूमि पर उगे जंगल को साफ कर खेल मैदान बने। लेकिन, हमारे पास बजट नहीं है, हालांकि आयुक्तालय को इसके लिए पत्र भेजा है। प्राचार्य होने के बावजूद वित्तीय पावर नहीं मिलने से हर कार्य के लिए नोडल कॉलेजों पर निर्भर रहना पड़ता है। फिर भी हम स्पोर्ट्स एक्टिवीटी करवाते हैं।  
- डॉ. राजेश कुमार चौहान, प्राचार्य, रामपुरा गर्ल्स कॉलेज

हाड़ौती के एकमात्र बारां कॉलेज में ही पीटीआई हैं। हालांकि, अन्य कॉलेजों में संविदा पर स्पोट्स शिक्षक लगाकर व्यवस्था सुचारू चला रहे हैं। अंतर महाविद्यालय खेल प्रतियोगिताओं की तैयारी के लिए सभी कॉलेज संविदा पर शिक्षक नियुक्त करते हैं। वहीं, सरकार ने आरपीएससी के माध्यम से पीटीआई व लाइब्रेरियन की भर्ती निकाली है, जिनके पेपर भी हो चुके हैं। आगामी समय में निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार सरकार गवर्नमेंट कॉलेजों को पीटीआई की नियुक्ति करेगी। 
- डॉ. गीताराम शर्मा, क्षेत्रिय सहायक निदेशक कॉलेज आयुक्तालय 

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