टाइगर के बराबर प्रोटेक्शन का अधिकार फिर भी बेकद्री का शिकार

गंदे नालों में पड़ा शेड्यूल-1 का वन्यजीव मगरमच्छ, नाले व नहरों से निकल रिहायशी इलाकों में मचा रहे दहशत

टाइगर के बराबर प्रोटेक्शन का अधिकार फिर भी बेकद्री का शिकार

रिहायशी इलाकों में आने से रोकने को लेकर कोई एक्शन प्लान नही

कोटा। वाइल्ड लाइफ प्रोटेक्शन एक्ट 1972 के तहत मगरमच्छ को सुरक्षा व संरक्षित का उतना ही अधिकार है, जितना टाइगर को है। क्योंकि, दोनों ही एनिमल शेड्यूल-1 में संरक्षित है। इसके बावजूद  मगरमच्छ बेकद्री का शिकार हैं। इनके प्राकृतिक आवास व फूड-चैन को सुरक्षित रखने, नेचुरल हैबीटाट डवलपमेंट व रिहायशी इलाकों में आने से रोकने को लेकर अब तक वन्यजीव विभाग द्वारा कोई एक्शन प्लान तैयार नहीं किया गया। नतीजन, शेड्यूल वन एनीमल मगरमच्छों का गंदे सीवरेज के नाले बसेरा बन गए। वहीं, सुरक्षा दीवार नहीं होने से यह रिहायशी इलाकों में आ रहे हैं। जिससे इंसान और वन्यजीवों के बीच संघर्ष की स्थिति उत्पन्न होती है। वहीं, अनहोनी का खतरा बना रहता है। 

रायपुरा नाले में सीवरेज, 5 दर्जन से ज्यादा मगरमच्छ
नेचर प्रमोटर एएच जैदी बताते हैं, रायपुर का नाला बेहद गंदा है। जिसमें सीवरेज व फैक्ट्रियों के अपशिष्ट पदार्थ गिरते हैं। नाले का गंदा पानी आगे जाकर चंद्रलोही नदी से चंबल में गिरता है। यह नाला करीब डेढ़ से दो किमी लंबा और 20 फीट चौड़ा है। जिसमें 5 दर्जन से अधिक मगरमच्छों का बसेरा है, जिनकी लंबाई 3 से 15 फीट तक है। हालात यह हैं, गंदगी के कारण मगरमच्छ का प्राकृतिक रंग सफेद हो चुका है। इस नाले के पास से गुजरते वक्त लोगों का सांस लेना तक मुश्किल हो जाता है। ऐसे दूषित पानी में रहने से मगरमच्छों का सरवाइवल रेट प्रभावित हो सकता है।

चंद्रलोही नदी में मिल रहा नाले का गंदा पानी
स्थानीय निवासी भैरवलाल व पप्पू कुमार ने बताया कि रायपुरा नाले की लंबे समय से सफाई नहीं हुई। वर्तमान में यह गंदगी व कचरे से अटा होने से इसकी गहराई बहुत कम हो गई। फैक्ट्रियों का रसायनयुक्त दूषित पानी भी इसी नाले में प्रवाहित होता है।  नाले का गंदा पानी रायपुरा, देवली अरब व राजपुरा होते हुए चंद्रलोही नदी में मिल रहा है। जहां जलीय जीव-जंतुओं के जीवन पर भी खतरा मंडरा रहा है। 

इंसानों पर हमला कर चुका मगरमच्छ   
वन्यजीव प्रेमी जुनेद शेख ने बताया कि कुछ वर्षों पहले  रायपुरा नाले के किनारे बाड़ियां हैं, जहां सब्जियों की खेती कर रहे एक किसान पर मगरमच्छ ने हमला कर कर लहुलुहान कर दिया था। किसान का एक पैर जख्मी हो गया था। वहीं, 20 वर्ष पहले देवली अरब में नाले किनारे एक चबुतरा बना हुआ था। जहां एक महिला अपने बच्चे को बिठाकर कपड़े धो रही थी तभी मगरमच्छ ने बच्चे पर हमला कर दिया था।  

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इंसान और मगरमच्छ दोनों की जान को खतरा
वन्यजीव प्रेमी हेमेंद्र कुमार बताते हैं, रायपुरा नाले से 100 फीट की दूरी पर ही आबादी क्षेत्र है। नाले के किनारे रायपुरा, देवली अरब राजपुरा, बोरखेड़ा सहित कई कॉलोनियां बसी हैं। नाले की फेंसिंग नहीं होने से यह पानी से बाहर निकल जाते हैं। जिससे इंसान व वन्यजीव में संघर्ष की स्थिति बन जाती है। रेस्क्यू टीम के अनुसार, हर साल रिहायशी इलाकों से 70 से 80 मगरमच्छों का रेस्क्यू करते है। वर्तमान में अप्रेल से अब तक 35 से ज्यादा मगरमच्छों का रेस्क्यू किया जा चुका है। कई बार लोग अपने बचाव के लिए मगरमच्छों पर पत्थरों से हमला भी कर देते हैं। वन विभाग की लापरवाही से दोनों की जान का खतरा बना रहता है। 

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मगरमच्छ को मारने पर 7 साल की सजा
मगरमच्छ शेड्यूल-1 श्रेणी का वन्यजीव है। इसे नुकसान पहुंचाने या मारने पर गैर जमानती 7 साल की सजा का प्रावधान है। जबकि, जुर्माने का कोई प्रावधान नहीं है।

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वन्यजीव प्रेमियों ने दिए सुझाव 
- नाले से नदी तक के किनारे चारों तरफ तार फेंसिंग करवाकर क्रोकोडाइल प्वाइंट डवलप किया जाए। साथ ही जगह-जगह चेतावनी बोर्ड लगाए जाएं।
- नदी-नालों की सफाई करवाकर नेचुरल हैबीटॉट डवलप हो।
- एक से ज्यादा क्रोकोडाइल रेस्क्यू टीम बनाई जाए। 
-वन्यजीव विभाग रेस्क्यू के दौरान मगरमच्छों पर टेगिंग करवाएं। 
- नहर व नालों में मृत जीव-जंतु, जानवर, मटन-चिकन के अवशेष व खाद्य सामग्री न फेंकी जाए। 
- जब मगरमच्छों को भोजन नहीं मिलेगा तो वह आबादी क्षेत्रों से सटे नहर-नालों में नहीं आएंगे। 
- इनके संरक्षण व भोजन की नियमित व्यवस्था की जाए। 

इनका कहना है
बेकद्री जैसी कोई बात नहीं है। इस नाले की सफाई होना जरूरी है। मौका स्थिति देख मगरमच्छों के संरक्षण के बेहतर प्रबंधन के लिए प्रस्ताव तैयार करवाकर उच्चाधिकारियों को भिजवाया जाएगा। 
-अनुराग भटनागर, डीएफओ वन्यजीव विभाग

मौका स्थिति दिखवाकर मामले की जानकारी लेंगे। मगरमच्छों के उचित संरक्षण के लिए प्रस्ताव तैयार करवाएंगे। साथ ही फेंसिंग करवाकर आसपास चेतावनी बोर्ड भी लगवाएंगे, ताकि, मगरमच्छ आबादी क्षेत्र में न आ सके। रेस्क्यू के लिए  टीमें 24 घंटे तैनात हैं। 
-रामकरण खैरवा, संभागीय मुख्य वन संरक्षक एवं क्षेत्र निदेशक, वन विभाग कोटा 

क्या कहते हैं वन्यजीव प्रेमी
क्रोकोडाइल प्वाइंट बनाकर करें सुरक्षित  
रायपुरा नाला चंद्रलोही नदी से होते हुए चंबल से जुड़ा है। 2 किमी लंबे नाले में 5 दर्जन से अधिक व चंद्रेसल मठ के पास चंद्रलोही नदी के 200 मीटर के क्षेत्र में बड़ी संख्या में मगरमच्छों की संख्या है। जिनके संरक्षण के लिए वन्यजीव विभाग को ठोस योजना बनानी चाहिए। नाले से नदी तक के किनारों से कुछ दूरी पर फैंसिग कर दी जाए तो यह सुरक्षित रह सकते हैं और ग्रामीणों का भय भी दूर हो सकता है। क्रोकोडाइल प्वाइंट बनने से न केवल पर्यटन बढ़ेगा बल्कि शेड्यूल वन के एनिमल भी संरक्षित रह पाएंगे। इससे पहले नाले की सफाई करवाई जाना जरूरी है।
-एएच जैदी, नेचर प्रमोटर

आलनिया, चंद्रलोही व चंद्रेसल तीनों नदियां प्रदूषित हो रही है, जिनमें मगरमच्छ रह रहे हैं। भोजन नहीं मिलने से यह जानवरों पर अटैक करते हैं और आबादी क्षेत्र में घुसते हैं। इसे रोकने के लिए तीनों नदियों को जीवित करने की जरूरत है, जो वर्तमान में इंडस्ट्रीयल पॉल्यूशन की वजह से मृत अवस्था में है। जब पानी साफ रहेगा तो ईको सिस्टम बनेगा और फूडचैन डवलप होगा। 
-तपेश्वर सिंह भाटी, अध्यक्ष पर्यावरण एवं मुकुंदरा समिति 

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