जांघिलों की अठखेलियों से गुलजार होने लगा उदपुरिया

पर्यटन स्थल बनाने की दरकार

जांघिलों की अठखेलियों से गुलजार होने लगा उदपुरिया

तालाब के बीचों-बीच पानी में ही 40-50 बबूल के पेड़ों पर पक्षी अपना घोंसला बनाते थे।

दीगोद। भरतपुर केवलादेव पक्षी विहार की शान कहे जाने वाले जांघिलों पेटेंट स्टार्क का राज्य में अब दूसरा प्रजनन स्थल कोटा जिले का उदपुरिया पक्षी विहार बन गया है। इस वर्ष यहां बड़ी संख्या में ये पक्षी आए हैं। जहां उन्होंने अपने घोंसले बनाना शुरू कर दिया है। कोटा जिले से 30 किलोमीटर दूर दीगोद के उदपुरिया गांव का यह स्थान विगत 25 वर्षों से आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। इस स्थान पर प्रतिवर्ष अगस्त माह से फरवरी माह तक पेटेंट स्टार्क पक्षियों की कई प्रजातियां जिसमें ओपन बिल स्टार्क, ब्लैक नेक स्टार्क, परपल मोरेन आदि आती हैं। यह स्थान प्रवासी पक्षियों की प्रजनन स्थली भी है। जहां प्रतिवर्ष औसतन 300 घोंसले बनाकर लगभग 1000 से 1200 पक्षियों का जमावड़ा रहता है। इको डेवलपमेंट कमेटी उदपुरिया के माध्यम से इस पक्षी विहार को एक टूरिज्म के अंतर्गत पर्यटक स्थल बनाने की मांग पिछले कई वर्षों से सभी कमेटियों के प्रतिनिधि एवं प्रशासनिक अधिकारियों से की जा रही है। कमेटी के 40 बीघा में फैला है पक्षी विहार तालाब स्थानीय निवासी श्याम जांगिड़ ने बताया कि यह रियासत कालीन तालाब 40 बीघा में फैला हुआ है। तालाब के बीचों-बीच पानी में ही 40-50 बबूल के पेड़ों पर पक्षी अपना घोंसला बनाते थे। लेकिन वर्ष 2018 में तालाब की मिट्टी खुदाई के दौरान पेड़ गिर गए। जिससे पक्षियों को आशियाना बनाने में काफी परेशानियां पैदा हो रही हैं। जिसके चलते पक्षियों की संख्या में पिछले तीन-चार वर्षों में कमी होने लगी है।

स्पीकर बिरला ने 2014 में पूर्व सीएम को लिखा था पत्र
वर्ष 2014 में कोटा बूंदी से सांसद रहे वर्तमान लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला तत्कालीन मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया को पत्र लिखकर ग्राम उदपुरिया पक्षी विहार को पर्यटक स्थल विकसित करने की मांग कर चुके हैं। ऐसे में उम्मीद है कि अब वह लोकसभा अध्यक्ष भी हैं और वापस प्रदेश में बीजेपी सरकार आ चुकी है। ऐसे में इस मामले को अब वापस वह गंभीरता से लेते हुए इस पक्षी विहार को पर्यटक स्थल विकसित करने पर जोर देंगे। इसके साथ ही वर्ष 2016 में उपनिदेशक पर्यटन विभाग ने भी पत्र लिखकर इसको पर्यटक स्थल के रूप में विकसित करने की बात कही थी। लेकिन समय के साथ-साथ सब कुछ कागजों और फाइलों में दबकर रह गया।ं पर्यटक स्थल घोषित होने के बाद यहां के युवाओं को रोजगार के अवसर मिलेंगे। समिति के प्रयासों से विगत वर्षों में विदेशी पर्यटक भी यहां आए हैं। जांघिलों की अठखेलियां देखकर वह काफी मोहित होते हैं। पर्यटन विभाग द्वारा प्रकाशित होने वाले पर्यटक साहित्य में भी इसका नाम शामिल है। पूर्व में राज्य सरकार के पर्यटन विभाग द्वारा भी इसका प्रस्ताव तैयार कर स्वीकृति के लिए वर्ष 2009-10 में भिजवाया जा चुका है।
- डॉक्टर एलएन शर्मा, कमेटी अध्यक्ष व पूर्व सरपंच

पाल तैयार कर वॉच टावर बनाए जाने की दरकार
कमेटी के अध्यक्ष डॉक्टर एलएन शर्मा ने सरकार से मांग करते हुए कहा कि यहां पक्षियों को देखने के लिए वॉच टावर बनाया जाए। साथ ही पार्किंग स्थल एवं सुलभ शौचालय के निर्माण, तालाब को संरक्षित क्षेत्र घोषित करने, पंचायत प्रशासन द्वारा तालाब की पाल के चारों ओर से अतिक्रमण हटाकर घूमने के लिए पाल तैयार करने, स्टेट हाइवे 70 व कोटा-बारां रोड पर सड़क किनारे जांघिल पक्षी विहार की जानकारी देने वाले होर्डिंग्स और बोर्ड लगाने तथा इस स्थान को पर्यटन स्थल घोषित करने आदि मांगें भी उन्होंने रखी थीं। 

इस वर्ष पक्षियों ने तालाब की पाल पर मौजूद बबूल के पेड़ों पर घोंसले बनाए हैं। जिससे ग्राम वासियों को उजड़े हुए पक्षी विहार को पुन: आबाद होने की उम्मीद जगी है। पूर्व में पूर्व पर्यटन मंत्री बीना काक ने भी यहां अवलोकन किया था।
- श्याम जांगिड़, ग्रामवासी, उदपुरिया

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दीगोद क्षेत्र का आकर्षण का केंद्र उदपुरिया तालाब अपने आप में विशेष स्थान रखता है। इसको पर्यटन विभाग में शामिल करने के लिए पूर्व में लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला भी पत्र लिख चुके हैं। मैं भी इसको पर्यटन विभाग में शामिल करने के लिए पूर्ण प्रयास करूंगी और उच्च अधिकारियों को भी अवगत करवाऊंगी।
- कृष्णा शर्मा, प्रधान सुल्तानपुर 

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उदपुरिया का तालाब जांघिल पक्षियों का बसेरा है। इसको पर्यटन विभाग में शामिल किया जाना चाहिए। लेकिन यह हमारे विभाग के अधीन नहीं आता। ऐसे में हम इसके लिए कुछ प्रयास नहीं कर सकते।
- देवेंद्रपाल, कार्यवाहक रेंजर, सुल्तानपुर

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