भारत की मालदीव में चल रही परियोजनाओं में आई तेजी
मालदीव को दी जाने वाली विकास सहायता में वृद्धि की है
यह 4 अरब रुपए की बजटीय राशि से लगभग दोगुनी रकम है। भारत ने दोनों देशों के बीच तनावपूर्ण संबंधों के बावजूद मालदीव को दी जाने वाली विकास सहायता में वृद्धि की है।
माले। मालदीव में बीते साल मोहम्मद मुइज्जू के राष्ट्रपति पद संभालने के बाद से दोनों देशों के रिश्तों में तनाव है। कई बार तो दोनों देशों में काफी ज्यादा तल्खी देखी गई लेकिन इस सबके बावजूद भारत की मालदीव में चल रही परियोजनाओं में तेजी आई है। ऐसा इसलिए क्योंकि भारत ने मालदीव को वित्तीय सहायता जारी रखी है। आधिकारिक रिकॉर्ड के अनुसार, भारत ने मार्च में समाप्त होने वाले इस वित्तीय वर्ष में मालदीव में परियोजनाओं के लिए करीब 7 अरब रुपए की राशि आवंटित की है। यह 4 अरब रुपए की बजटीय राशि से लगभग दोगुनी रकम है। भारत ने दोनों देशों के बीच तनावपूर्ण संबंधों के बावजूद मालदीव को दी जाने वाली विकास सहायता में वृद्धि की है।
मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू ने अपने देश से भारतीय सैनिकों को हटाने की मांग करते हुए चीन की तरफ दोस्ती का हाथ बढ़ाया है। इससे भारत और मालदीव के रिश्ते कमजोर हुए लेकिन इसका दोनों देशों के बीच विकास सहयोग पर फर्क नहीं पड़ा है। भारत के मालदीव को सहयोग जारी रखने की वजह से परियोजनाएं तेज गति से आगे बढ़ रही हैं। इन प्रयासों में सड़कों, पुलों और हवाई अड्डों का निर्माण शामिल है, जिन्हें भारत से ऋण सहायता दी गई है। मोहम्मद मुइज्जू के अनुरोध के बाजद भारत सरकार मई तक माले से अपने सैनिकों को वापस बुलाने पर सहमत हुई है। दूसरी ओर भारतीय की ओर से दी जाने वाली मानवीय और चिकित्सा सहायता पर भी जोर दिया है। वित्तीय आवंटन के मामले में मालदीव को भारत का समर्थन पड़ोसी भूटान के बाद दूसरे स्थान पर है।
भारत ने मालदीव को वित्तीय मदद जारी रखी है लेकिन वह माले के चीन के साथ बढ़ते जुड़ाव को लेकर चिंतित है। हाल ही में मालदीव ने अपने एक बंदरगाह पर एक चीनी शोध जहाज को आने की इजाजत दी है। भारत इस क्षेत्र में बाहरी शक्तियों, विशेष रूप से चीन की उपस्थिति को सुरक्षा खतरे के रूप में देखता है। इन चुनौतियों के बावजूद, भारत मालदीव को विकास सहायता के लिए प्रतिबद्ध है।
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