कोटा में शिकारी भेड़ियों जैसे खूंखार हो रहे कुत्ते
कुत्तों का आतंक लोगों का बन रहा दुश्मन
विदेशी नस्ल के कुत्तों से ज्यादा देसी खूंखार हो गए हैं।
कोटा। विदेशी नस्ल के श्वानों से ज्यादा देसी श्वान खूंखार हो हो रहे हैं। गली-गली घूमने वाले ये श्वान लोगों को अपना शिकार बना रहे हैं। पशु चिकित्सकों का कहना है कि पिछले कुछ समय से श्वानों के बिहेवियर में काफी बदलाव आया है। श्वानों की शिकार की आदत शहरवासियों पर भारी पड़ रही है। रात के समय यह श्वान किसी हैवान से कम नहीं है। आए दिन रात बाइक पीछा कर सवार को घायल करने की घटनाएं हो रही है। मौसम में हो रहे बार बार परिवर्तन कभी सर्दी तो कभी गर्मी और बदलते मौसम में कुत्ते खतरनाक हो गए हैं। शहर से लेकर गांवों की गलियों में दिन-रात देसी श्वानों का झुंड दिख रहा है। विदेशी नस्ल के श्वानो से ज्यादा देसी खूंखार हो गए हैं। गली-गली घूमने वाले ये श्वान लोगों को अपना शिकार बना रहे हैं। श्वान का आतंक लोगों का दुश्मन बन रहा है। हालात ऐसे हैं कि पिछले एक पखवाड़े में हर चार घंटे में चार से पांच लोग श्वान के शिकार होकर अस्पताल पहुंच रहे हैं।
बाइक के पीछे भागते हुए किया जख्मी
मुकेश वर्मा ने बताया कि 10 मार्च को रात को डेढ बजे दशहरा मैदान सीसी रोड से सकतपुरा जा रहा था। दशहरा मैदान के बाहर घुमंतु जाति के लोग जो मुर्दा मवेशी उठाते उनका डेरा वहां खुंखार श्वानों ने मेरी मोटर साइकिल का पीछा किया मैने गति बढाई तो काटने दौड़ मैन ब्रेक लगाया तो बाइक फिसल गई जिसमें मेरे हाथ और पेर में चोट आई। मेरे जैसी मोटर साइकिल सवार आए दिन इनकी चपेट आ रहे है। चलती गाड़ी पर ये किसी का भी पैर पकड़ लेते हैं।अधिकांश मोटर साइकिल सवारों को गाड़ी से गिरकर घायल कर रहे है। चौपहिया वाहन के पीछे भी ये दूर तक भागते रहते हैं। ये हालात पूरे शहर व हाइवे के हैं। निगम के अधिकारियों से शिकायत की तो उनका कहना है कि हाईकोर्ट की रोक लगी हुई है कि किसी भी श्वान को पकड़कर उसे जंगल में नहीं छोड़ सकते। इनकी नसबंदी कर वापस वहीं छोड़ने का ही कार्य चल रहा है।
श्वानों को डराने की आदत बन जाती है
पशु चिकित्सक डॉ. बनवारी ने बताया कि डॉग में स्वभाव में पिछले लंबे समय से काफी बदलाव हो रहे है। अब श्वान हिंसक हो रहे है। किसी कारण से श्वान चिढ़चिढा हो गया तो वह लोगों का पीछा करेंगा। किसी ने उसको चोट पहुंचाने पर भी श्वान इरिटेट हो जाता है। वाहनों की तेज लाइट, कर्कश आवाज श्वानों कई बार चिढ़चिढा कर देती और वो वाहनों के पीछे भागते लोगों को डराने लगते है। इसमें उन्हें मजा आने लगता है उनकी आदत बन जाती है। कई बार इलाकों को लेकर भी श्वान उत्तेजित होकर हिंसक व्यवहार करने लगते है।
खाली पेट और स्वभाव में बदलाव से हो रहे हिंसक
पशु चिकित्सक डॉ. अखिलेश पाण्डेय ने बताया कि कोटा में श्वानों की संख्या में लगतार बढोतरी हो रही है। नसबंदी अभियान के बावजूद इनकी संख्या बढ़ रही है। जिससे इनको खाना नहीं मिल रहा इससे इनमें शिकारी आदत पनप रही है। दूसरा मौसम में बार बार परिवर्तन श्वान के व्यवहार में बदलाव आया है। कभी गर्मी तो कभी सर्दी ऐसे मौसम में श्वान ज्यादा आक्रामक हो जाते हैं। क्योंकि कुत्तों के दिमाग में थर्मो रेगलेट्री सिस्टम नहीं होता है। यही कारण है कि अपनी गर्मी को शांत करने के लिए जीभ निकालकर हांफते हैं। इससे महज 10 से 15 प्रतिशत ही गर्मी निकल पाती है। गर्मी के चलते उनमें चिड़चिड़ापन आ जाता है। वाहनों की आवाज सुनने पर आक्रामक होकर लोगों को काट लेते हैं। दूसरी बड़ी वजह यह भी है कि इनके रहने की जगह भी कम होती जा रही है। हर तरफ मकान बन गए हैं, जो जगह बच रही है वहां गाड़ियों का कब्जा रह रहा है। पहले घरों के आसपास इन्हें खाने के लिए पर्याप्त मात्रा में जूठन मिल जाता था। सफाई को लेकर लोग जागरूक हुए तो अब खाने को भी नहीं मिल रहा है। खाली पेट होने के चलते गुस्सा भी बढ़ रहा है।
मुर्दा जानवर खाने वाले श्वान हो रहे शिकारी
पशु चिकित्सक डॉ. अखिलेश पांडे ने बताया कि श्वानों के स्वभाव में बदलाव आ रहा है। मुर्दा जानवरों खाने वाले श्वान खूंखार हो रहे है। ऐसे इलाकों चिहिंत कर इन श्वानों को श्वान शाला रखना होगा तभी डॉग बाइट की घटना पर अंकुश लग सकेंगा। श्वानों सुंघने क्षमता बहुत तेज होती है। श्वानों को काफी वफादार और इंसानों का फ्रेंडली जानवर माना जाता है। फिर वहीं श्वान स्कुटी, बाइक या कार के पीछे ऐसे क्यों पड़ जाते हैं, जैसे वे आपके कट्टर दुश्मन हों इस दौरान श्वान पूरी रफ्तार के साथ वाहन के पीछे भागते हैं। उस दौरान अगर आप गिर जाएं या आपके कपड़े उनके मुंह में आ जाएं तो निश्चित तौर पर वे आप पर हमला कर देंगे। विज्ञान कहता है कि श्वान के इस व्यवहार के लिए आप जिम्मेदार नहीं होते हैं, बल्कि आपके वाहन के टायर उनका निशाना होते हैं। असल में वे आपके वाहन के टायर से आने वाली दूसरे श्वान की गंध से आक्रामक हो जाते हैं। दरअसल, श्वानों की सूंघने की क्षमता बहुत ज्यादा होती है। श्वान दूसरे श्वान की गंध बहुत जल्द पकड़ लेते हैं। दरअसल, श्वान अपने इलाके में दूसरे क्षेत्र के श्वान को बर्दाश्त नहीं करते हैं। वो वाहनों के पीछे भागते है।
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