धूप से नहीं लापरवाही से टूटा हजारों पौधों का दम
अधिकारियों की लापरवाही से लाखों के पौधे हुए बर्बाद
ठेकेदार का साढ़े पांच माह से अटका वेतन तो पानी हुआ बंद ।
कोटा। नगर विकास न्यास के अधिकारी अपने काम के प्रति कितने सजग और जिम्मेदार हैं, इसकी बानगी नए बस स्टैंड स्थित 80 फीट लिंक रोड पर नजर आती है। तीन किमी की सड़क पर डिवाइडर में लगे दर्जनों नन्हें पौधे जवां होने से पहले ही दम तोड़ चुके हैं तो कुछ खत्म होने की कगार पर हैं। वाहन चालकों के मददगार इन पौधों की दुर्दशा झुलसाने वाली धूप से नहीं बल्कि यूआईटी के जिम्मेदारों की लापरवाही से हुई है। हालात यह है, इन पौधों को करीब एक साल से पानी नहीं दिया गया। जिससे मुस्कुराती हरियाली मुरझा गई। दरअसल, वर्ष 2018 में यूआईटी ने 80 फीट क्षेत्र में सीसी सड़क का निर्माण करवाया था। इसके एक साल बाद ही वर्ष 2019 में डिवाइडरों में दर्जनों पौधे लगाए गए थे। शुरुआत में तो इसकी सही देखभाल हुई लेकिन मार्च 2023 के बाद से पौधों की सार-संभाल पर ध्यान नहीं दिया गया। ऐसे में 70 फीसदी पौधे सूखकर बर्बाद हो गए।
एक साल से नहीं मिला पौधों को पानी
80 फीट रोड पर कार सर्विस दुकानदार हितेंद्र व रहवासी मनोज कुमार ने बताया कि यूआईटी के एईएन व जेईएन को पहले भी पानी के अभाव में पौधों के सूखने की शिकायत की थी लेकिन ध्यान नहीं दिया गया। उन्होंने बताया कि डीसीएम मार्ग को बोरखेड़ा चौराहे तक सड़क की लंबाई करीब 3 किमी है। इसमें नए बस स्टैंण्ड से आगे कैनाल से बोरखेड़ा चौराहे तक लगभग सभी पौधे सूख चुके हैं। 6 महीने से इस मार्ग पर पानी का टैंकर नहीं देखा है। यूआईटी अधिकारियों की लापरवाही से सड़क के डिवाइडर में लगे पौधे सूख चुके हैं। झाड़ियों में तब्दील हो गए हैं। जबकि, इन पौधों की सार-संभाल के लिए अधिकारियों ने ठेका दे रखा है। लेकिन, जिम्मेदार साइड पर जाते ही नहीं है, जिसका प्रत्यक्ष प्रमाण बर्बाद होते पौधे है। क्षेत्रवासियों के अनुसार, मार्च 2023 के बाद से ही पौधों को पानी नहीं मिला। जिसकी वजह से हरे-भरे पौधे झाड़ियों में बदल गए।
क्या कहते हैं अधिकारी
ठेकेदार का कुछ माह का पैमेंट रुका हुआ था, जिसकी वजह से वह पानी नहीं डाल रहा था। उसको बोल दिया है, आज से ही पानी डलवाना शुरू करवा दिया जाएगा।
- सागर मीणा, एईएन, यूआईटी
मामला दिखता हूं। संबंधित अधिकारियों को पौधों की नियमित सार-संभाल के लिए पाबंद कर व्यवस्था सुनिश्चित करेंगे।
- कुशाल कोठारी, सचिव, नगर विकास न्यास
अक्टूबर 2023 से ही यूआईटी द्वारा भुगतान नहीं किया गया है। करीब 4 से 5 लाख का भुगतान अटका हुआ है। यह तीन किमी की सड़क है, जिसके डिवाइडर पर दर्जनों पौधे लगे हैं। इन्हें पानी देने के लिए एक बार में 10 से ज्यादा टैंकर लगते हैं। पैमेंट नहीं होने के कारण काम प्रभावित हुआ।
- प्रफूल पाठक, ठेकेदार
व्यापारियों का कहना है...
80 फीट रोड पर पौधे सूख जाने से रात को सड़क की दोनों लेन से गुजरने वाले वाहनों की हाई बीम रोशनी चालकों की आंखों को चकाचौंध कर देती है। जिससे हादसों का खतरा बना रहता है। पहले पौधे बड़े व घने थे, जिससे वाहनों की रोशनी सीधे आंखों पर नहीं पड़ती थी। लेकिन अब स्थिति उलट है। तेज रोशनी के बीच स्पीड से दौड़ते वाहनों के कारण हादसे का खतरा बना रहता है। क्योंकि, हाई बीम की रोशनी बहुत तेज होती है और इससे दूसरी तरफ के ड्राइवर की आंखे पूरी तरह से ढक जाती है। जबकि, सड़कों के बीच में पौधे लगाने से हाई बीम की रोशनी सीधे आंखों तक नहीं पहुंच पाती। मार्च के बाद से यहां टैंकरों को पानी देते नहीं देखा।
- अजय कुश्वाह, अध्यक्ष, कुश्वाह समाज बोरखेड़ा
डिवाइडरों में लाखों की कीमत के लगे पौधे पानी के अभाव में सूखकर बिखर चुके हैं। जगह-जगह से पौधे गायब हो गए। मार्च 2023 के बाद से पौधों को पानी नहीं दिया गया। एईएन, जेईएन व एक्सईएन कोई भी अधिकारी फिल्ड विजिट नहीं करते। बारिश व व्यापारी के भरोसे ही कुछ पौधे जीवित हैं। आसपास के दुकानदार ही पानी डालते हैं। लेकिन, यूआईटी द्वारा पौधों को टैंकरों से पानी नहीं दिया जाता।
- मोहित झाला, अध्यक्ष, 80 फीट व्यापार संघ
यूआईटी अधिकारियों की लापरवाही के कारण पौधे पनपने से पहले ही उजड़ गए। लंबे समय से पौधों को पानी नहीं दिया जा रहा। ठेकेदार का भुगतान अटका होने से उसने भी टैंकर से पौधों को पानी देना बंद कर दिया। स्पीड से दौड़ते वाहनों के हाईबीम रोशनी के कारण हादसे का खतरा बना रहता है। वहीं, लेबर होते हुए भी सड़कों की सफाई नहीं होती। दिनभर धूल उड़ती है और अधिकतर रोड लाइटें भी बंद हैं। जिसकी शिकायत के बावजूद अधिकारी ध्यान नहीं देते।
- बब्लू कसाणा, पार्षद, वार्ड 17
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